नई दिल्ली:
नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री की आग में डायनासोर के जीवाश्म भी जलकर खाक हो गए। म्यूजियम से जुड़े सूत्र इस बात की तस्दीक करते हुए बताते हैं कि नर्मदा घाटी में खोजे गए करीब छह करोड़ साल पुराने भारतीय डायनासोर के कुछ जीवाश्म जल गए हैं। हालांकि पहली मंजिल पर रखे डायनासोर के जीवाश्म बचे हैं, लेकिन बाकी जगहों पर डायनासोर और दूसरे सरिसृप से जुड़े जीवाश्म जल गए हैं।
10 हजार से अधिक दुर्लभ किताबें भी जलीं
इतना ही नहीं वाइल्ड लाइफ से जुड़ी 10 हजार से ज्यादा दुर्लभ किताबें भी जल गई जो इन्वायरमेंटल बायोलॉजी से जुड़े छात्रों के अलावा पर्यायवरण पर शोध करने वालों के लिए खासी अहमियत रखती थी। दिल्ली बायोडवार्सिटी पार्क से जुड़े फयाज बताते हैं कि भारत में 10 बायो डायवर्सिटी जोन हैं। इस संग्राहलय में उससे जुड़ी बहुत सारी चीजें रखी थीं, जिनके जरिए लोगों को मनुष्य और प्रकृति के रिश्तों के बारे में बहुत सारी जानकारी मिलती थी। यही नहीं संरक्षित क्षेत्रों का संरक्षण कैसे हो, वहां रहने वाली जनजातियों के साथ तालमेल कैसे करें इन सारी बातों पर यहां कई महत्वपूर्ण किताबें और प्रोटो टाइप मॉडल रखे थे। म्यूजियम की स्थापना के समय ही एक रेड पांडा के प्रोटो टाइप मॉडल सहित कई जानवरों के मॉडल ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने दिए थे, वो सब जल गए हैं। यही नहीं जानवरों की खालों का एक बड़ा संग्रह और दुर्लभ तस्वीरें भी आग में खाक हो गईं।
जीवाश्मों का सबसे बड़ा संग्रह था यहां
फिलहाल छह मंजिला इस संग्रहालय में पहली मंजिल पर रखे जीवाश्म ही बच पाए हैं, बाकी मंजिलों पर रखे दुर्लभ जीवाश्म और जानवरों के मॉडल जलकर खाक हो चुके हैं। मशहूर पर्यायवरणविद् गौहर रजा का कहना है कि यहां ऐसे जीवाश्म मौजूद थे, जिनका वक्त गुजरने के साथ हम आधुनिक तरीके से अध्ययन करते थे। इस खबर से उन्हें बड़ी निराशा हुई है क्योंकि यहां जीवाश्म का जितना बड़ा कलेक्शन था वो देश में दूसरी किसी जगह पर नहीं था।
फिलहाल अनिश्चित काल के लिए ये संग्रहालय बंद कर दिया गया है। लेकिन इस आग ने हमारे ऐसे दुर्लभ ऐतिहासिक धरोहरों को मिटा दिया है, जिनके जरिए हम इतिहास के विकास में जीव जंतुओं और मनुष्य के रिश्ते को परिभाषित करते थे।
10 हजार से अधिक दुर्लभ किताबें भी जलीं
इतना ही नहीं वाइल्ड लाइफ से जुड़ी 10 हजार से ज्यादा दुर्लभ किताबें भी जल गई जो इन्वायरमेंटल बायोलॉजी से जुड़े छात्रों के अलावा पर्यायवरण पर शोध करने वालों के लिए खासी अहमियत रखती थी। दिल्ली बायोडवार्सिटी पार्क से जुड़े फयाज बताते हैं कि भारत में 10 बायो डायवर्सिटी जोन हैं। इस संग्राहलय में उससे जुड़ी बहुत सारी चीजें रखी थीं, जिनके जरिए लोगों को मनुष्य और प्रकृति के रिश्तों के बारे में बहुत सारी जानकारी मिलती थी। यही नहीं संरक्षित क्षेत्रों का संरक्षण कैसे हो, वहां रहने वाली जनजातियों के साथ तालमेल कैसे करें इन सारी बातों पर यहां कई महत्वपूर्ण किताबें और प्रोटो टाइप मॉडल रखे थे। म्यूजियम की स्थापना के समय ही एक रेड पांडा के प्रोटो टाइप मॉडल सहित कई जानवरों के मॉडल ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने दिए थे, वो सब जल गए हैं। यही नहीं जानवरों की खालों का एक बड़ा संग्रह और दुर्लभ तस्वीरें भी आग में खाक हो गईं।
जीवाश्मों का सबसे बड़ा संग्रह था यहां
फिलहाल छह मंजिला इस संग्रहालय में पहली मंजिल पर रखे जीवाश्म ही बच पाए हैं, बाकी मंजिलों पर रखे दुर्लभ जीवाश्म और जानवरों के मॉडल जलकर खाक हो चुके हैं। मशहूर पर्यायवरणविद् गौहर रजा का कहना है कि यहां ऐसे जीवाश्म मौजूद थे, जिनका वक्त गुजरने के साथ हम आधुनिक तरीके से अध्ययन करते थे। इस खबर से उन्हें बड़ी निराशा हुई है क्योंकि यहां जीवाश्म का जितना बड़ा कलेक्शन था वो देश में दूसरी किसी जगह पर नहीं था।
फिलहाल अनिश्चित काल के लिए ये संग्रहालय बंद कर दिया गया है। लेकिन इस आग ने हमारे ऐसे दुर्लभ ऐतिहासिक धरोहरों को मिटा दिया है, जिनके जरिए हम इतिहास के विकास में जीव जंतुओं और मनुष्य के रिश्ते को परिभाषित करते थे।
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