आप प्रवक्ता दिलीप पांडे (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार ने उसकी दिल्ली सरकार का दिल्ली विधानसभा से पास किया हुआ एक भी बिल पास नहीं किया और दर्जनों ऐसे बिल हैं जो केंद्र की मंज़ूरी की बाट जोह रहे हैं।
आम आदमी पार्टी के दिल्ली संयोजक दिलीप पाण्डेय ने आरोप लगाया कि "ऐसे एक नहीं बल्कि दर्जनों बिल केंद्र सरकार रोककर बैठी है। कोई टेक्निकल समस्या नहीं हैं, समस्या पोलिटिकल है। अगर दिल्ली सरकार के सभी बिल पास हो गए तो देश को पता चल जाएगा कि हमने सवा साल में कितना काम कर दिखाया और मोदी जी ने कितना।"
दिलीप पाण्डेय के मुताबिक़ "चलिये मान लेते हैं वेतन बढ़ोतरी के बिल पास से विधायकों को फायदा होगा, चलिए मान लिया कि जनलोकपाल बिल पर विवाद हो सकते हैं लेकिन जनता के फायदे और हित वाले बिल भी केंद्र सरकार ने पास नहीं किये जिससे 16 महीने की सरकार आज तक कोई एक कानून तक नहीं बनवा पाई क्योंकि अभी एक भी बिल केंद्र ने वापस नहीं किया।
असल में दिल्ली सरकार के मोटे तौर पर इस समय 9 बिल एलजी/केंद्र/राष्ट्रपति के पास लंबित है
1. प्राइवेट स्कूल फीस और दाखिले में पारदर्शिता से जुड़ा बिल - 16 दिसंबर 2015 से लंबित
2. नो डिटेंशन पॉलिसी - यानी 1-8 क्लास में फ़ेल ना करने की नीति ख़त्म करने से जुड़ा बिल - 16 दिसंबर से लंबित
3. सिटीजन चार्टर - नागरिकों का समय पर काम ना करने वाले अधिकारियों से सख्ती से जुड़ा बिल - 17 दिसंबर से लंबित
4. न्यूनतम मज़दूरी बिल - उल्लंघन करने पर सख्ती से जुड़ा बिल - 16 दिसंबर से लंबित
5. वर्किंग जर्नलिस्ट बिल - मजीठिया आयोग की सिफारिशें लागू करने से जुड़ा बिल - 16 दिसंबर से लंबित
6. नेताजी सुभाष इंस्टिट्यूट को यूनिवर्सिटी में बदलने से जुड़ा बिल जिससे 4000 की बजाय 10,000 छात्र इंजीनियरिंग एक साथ कर सकेंगे - 3 जुलाई 2015 से लंबित
7. विधायकों की वेतन बढ़ोतरी से बिल- 16 दिसंबर से लंबित
8. जनलोकपाल बिल - 17 दिसंबर से लंबित
9. क्रिमिनल प्रोसीजर कोड संशोधन- मजिस्ट्रियल जांच का दायर बढ़ाने से जुड़ा बिल - 16 दिसंबर से लंबित
इन सब बिलों में से स्कूल एडमिशन और फीस, न्यूनतम मज़दूरी, सिटीजन चार्टर, पहली से आठवीं तक नो डिटेंशन पॉलिसी ख़त्म करना, नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी बनाकर इंस्टिट्यूट की क्षमता 4,000 से बढ़ाकर 10,000 छात्र करने वाले बिल जनता से जुड़े हैं जो पास नहीं हुए। यह सब 6 महीने से लेकर साल भर पहले से लंबित हैं।
कांग्रेस ने की शीला की तारीफ, बोली - केजरीवाल अपना कानून चलाते हैं
दिल्ली में 15 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हारुन यूसुफ़ का कहना है कि "जब हमारी सरकार थी तब शुरू से आखिर तक की प्रक्रिया में किसी बिल को 3-4 महीने लगते थे पास होने में, क्योंकि सीएम शीला दीक्षित सबसे लगातार फॉलो करती थीं। सबसे बातचीत करती थीं जिससे काम बिना दिक्कत के होते थे, जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और तब भी जब कांग्रेस की सरकार नहीं थी। और विधानसभा से पास होने के बाद तो हफ्ते दस दिन में राष्ट्रपति से पास हो जाता था।"
हारुन यूसुफ़ के मुताबिक़ समस्या ये है कि केजरीवाल अपना कानून चलाते हैं और प्रक्रिया का पालन नहीं करते, ऐसे में जब आप अपना कानून चलाएंगे तो फिर कोई कानून कैसे बनेगा?
दिल्ली बीजेपी के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि जब केजरीवाल सरकार किसी तय संवैधानिक प्रक्रिया का पालन ही नहीं करती, तो फिर बिल कैसे पास होंगे।
आम आदमी पार्टी के दिल्ली संयोजक दिलीप पाण्डेय ने आरोप लगाया कि "ऐसे एक नहीं बल्कि दर्जनों बिल केंद्र सरकार रोककर बैठी है। कोई टेक्निकल समस्या नहीं हैं, समस्या पोलिटिकल है। अगर दिल्ली सरकार के सभी बिल पास हो गए तो देश को पता चल जाएगा कि हमने सवा साल में कितना काम कर दिखाया और मोदी जी ने कितना।"
दिलीप पाण्डेय के मुताबिक़ "चलिये मान लेते हैं वेतन बढ़ोतरी के बिल पास से विधायकों को फायदा होगा, चलिए मान लिया कि जनलोकपाल बिल पर विवाद हो सकते हैं लेकिन जनता के फायदे और हित वाले बिल भी केंद्र सरकार ने पास नहीं किये जिससे 16 महीने की सरकार आज तक कोई एक कानून तक नहीं बनवा पाई क्योंकि अभी एक भी बिल केंद्र ने वापस नहीं किया।
असल में दिल्ली सरकार के मोटे तौर पर इस समय 9 बिल एलजी/केंद्र/राष्ट्रपति के पास लंबित है
1. प्राइवेट स्कूल फीस और दाखिले में पारदर्शिता से जुड़ा बिल - 16 दिसंबर 2015 से लंबित
2. नो डिटेंशन पॉलिसी - यानी 1-8 क्लास में फ़ेल ना करने की नीति ख़त्म करने से जुड़ा बिल - 16 दिसंबर से लंबित
3. सिटीजन चार्टर - नागरिकों का समय पर काम ना करने वाले अधिकारियों से सख्ती से जुड़ा बिल - 17 दिसंबर से लंबित
4. न्यूनतम मज़दूरी बिल - उल्लंघन करने पर सख्ती से जुड़ा बिल - 16 दिसंबर से लंबित
5. वर्किंग जर्नलिस्ट बिल - मजीठिया आयोग की सिफारिशें लागू करने से जुड़ा बिल - 16 दिसंबर से लंबित
6. नेताजी सुभाष इंस्टिट्यूट को यूनिवर्सिटी में बदलने से जुड़ा बिल जिससे 4000 की बजाय 10,000 छात्र इंजीनियरिंग एक साथ कर सकेंगे - 3 जुलाई 2015 से लंबित
7. विधायकों की वेतन बढ़ोतरी से बिल- 16 दिसंबर से लंबित
8. जनलोकपाल बिल - 17 दिसंबर से लंबित
9. क्रिमिनल प्रोसीजर कोड संशोधन- मजिस्ट्रियल जांच का दायर बढ़ाने से जुड़ा बिल - 16 दिसंबर से लंबित
इन सब बिलों में से स्कूल एडमिशन और फीस, न्यूनतम मज़दूरी, सिटीजन चार्टर, पहली से आठवीं तक नो डिटेंशन पॉलिसी ख़त्म करना, नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी बनाकर इंस्टिट्यूट की क्षमता 4,000 से बढ़ाकर 10,000 छात्र करने वाले बिल जनता से जुड़े हैं जो पास नहीं हुए। यह सब 6 महीने से लेकर साल भर पहले से लंबित हैं।
कांग्रेस ने की शीला की तारीफ, बोली - केजरीवाल अपना कानून चलाते हैं
दिल्ली में 15 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हारुन यूसुफ़ का कहना है कि "जब हमारी सरकार थी तब शुरू से आखिर तक की प्रक्रिया में किसी बिल को 3-4 महीने लगते थे पास होने में, क्योंकि सीएम शीला दीक्षित सबसे लगातार फॉलो करती थीं। सबसे बातचीत करती थीं जिससे काम बिना दिक्कत के होते थे, जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और तब भी जब कांग्रेस की सरकार नहीं थी। और विधानसभा से पास होने के बाद तो हफ्ते दस दिन में राष्ट्रपति से पास हो जाता था।"
हारुन यूसुफ़ के मुताबिक़ समस्या ये है कि केजरीवाल अपना कानून चलाते हैं और प्रक्रिया का पालन नहीं करते, ऐसे में जब आप अपना कानून चलाएंगे तो फिर कोई कानून कैसे बनेगा?
दिल्ली बीजेपी के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि जब केजरीवाल सरकार किसी तय संवैधानिक प्रक्रिया का पालन ही नहीं करती, तो फिर बिल कैसे पास होंगे।
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