नई दिल्ली:
फिरोजशाह कोटला मैदान में होने वाले क्रिकेट मैचों के दौरान आरपी मेहरा ब्लॉक का भी उपयोग करने की अनुमति मांगने वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने डीडीसीए से कहा कि क्यों ना आप पर आरपी ब्लॉक मामले मे एक करोड़ का जुर्माना लगाया जाए। कोर्ट ने कहा कि जनता के बीच ये संदेश जाना नहीं चाहिए कि हर कोई कोर्ट आकर कुछ पैसा देने को कह कर राहत पा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने डीडीसीए के सदस्य एनसी बख्शी को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर आरपी मेहरा ब्लाक तोड़ दिया जाएगा तो आपको क्या मैडल मिल जाएगा। हालांकि यह मामला कोर्ट के सामने नहीं है कि आरपी मेहरा ब्लॉक गैरकानूनी है या नहीं लेकिन बख्शी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि ब्लाक गैर कानूनी तरीके से बना है इसलिए इसे तोड़ा जाए। इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार 8 अप्रैल को करेगा।
रसीद कहां है
इससे पहले इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डीडीसीए को कहा था कि जो पैसा उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश के बाद दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पास जमा कराया था, उसकी रसीद की प्रति वह कोर्ट के समक्ष पेश करें। पिछले सोमवार सुप्रीम कोर्ट में डीडीसीए ने कहा था कि उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश के बाद बकाया राशि 15 जनवरी 2016 को ही दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पास जमा करा दी थी। ऐसा करके डीडीसीए चाहता था कि उन्हें कोटला स्टेडियम में क्रिकेट मैचों के आयोजन के लिए कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिल सके। लेकिन उन्हें पैसा जमा करने के बाद भी स्टेडियम के आरपी मेहरा ब्लॉक को मैच के दौरान इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जा रही है।
सुनवाई से इंकार
गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने डीडीसीए द्वारा कोटला स्टेडियम के आरपी मेहरा ब्लॉक के सम्बन्ध में कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिए जाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर बीते दिनों सुनवाई से इंकार कर दिया था। जिसके बाद डीडीसीए ने अपनी याचिका हाई कोर्ट से वापस ले ली थी और मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।
उल्लेखनीय है कि डीडीसीए की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2011 से पहले हुए अवैध निर्माण, एनसीटी विशेष प्रावधान एक्ट तहत नियमित कर दिए गए हैं। इसलिए इस ब्लॉक को यहां होने वाले क्रिकेट मैच के लिए प्रयोग करने की अनुमति दी जाए। हालांकि दिल्ली सरकार ने इसका विरोध किया था। एसडीएमसी ने हाई कोर्ट को बताया था कि फिरोजशाह कोटला मैदान में टी-20 वर्ल्ड कप का मैच करवाने के लिए उन्होंने डीडीसीए को सर्टिफिकेट जारी कर दिया है। लेकिन यह सर्टिफिकेट आरपी मेहरा ब्लॉक के इस्तेमाल के लिए नहीं है क्योंकि इस ब्लॉक का निर्माण अवैध तरीके से किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने डीडीसीए के सदस्य एनसी बख्शी को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर आरपी मेहरा ब्लाक तोड़ दिया जाएगा तो आपको क्या मैडल मिल जाएगा। हालांकि यह मामला कोर्ट के सामने नहीं है कि आरपी मेहरा ब्लॉक गैरकानूनी है या नहीं लेकिन बख्शी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि ब्लाक गैर कानूनी तरीके से बना है इसलिए इसे तोड़ा जाए। इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार 8 अप्रैल को करेगा।
रसीद कहां है
इससे पहले इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डीडीसीए को कहा था कि जो पैसा उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश के बाद दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पास जमा कराया था, उसकी रसीद की प्रति वह कोर्ट के समक्ष पेश करें। पिछले सोमवार सुप्रीम कोर्ट में डीडीसीए ने कहा था कि उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश के बाद बकाया राशि 15 जनवरी 2016 को ही दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पास जमा करा दी थी। ऐसा करके डीडीसीए चाहता था कि उन्हें कोटला स्टेडियम में क्रिकेट मैचों के आयोजन के लिए कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिल सके। लेकिन उन्हें पैसा जमा करने के बाद भी स्टेडियम के आरपी मेहरा ब्लॉक को मैच के दौरान इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जा रही है।
सुनवाई से इंकार
गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने डीडीसीए द्वारा कोटला स्टेडियम के आरपी मेहरा ब्लॉक के सम्बन्ध में कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिए जाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर बीते दिनों सुनवाई से इंकार कर दिया था। जिसके बाद डीडीसीए ने अपनी याचिका हाई कोर्ट से वापस ले ली थी और मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।
उल्लेखनीय है कि डीडीसीए की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2011 से पहले हुए अवैध निर्माण, एनसीटी विशेष प्रावधान एक्ट तहत नियमित कर दिए गए हैं। इसलिए इस ब्लॉक को यहां होने वाले क्रिकेट मैच के लिए प्रयोग करने की अनुमति दी जाए। हालांकि दिल्ली सरकार ने इसका विरोध किया था। एसडीएमसी ने हाई कोर्ट को बताया था कि फिरोजशाह कोटला मैदान में टी-20 वर्ल्ड कप का मैच करवाने के लिए उन्होंने डीडीसीए को सर्टिफिकेट जारी कर दिया है। लेकिन यह सर्टिफिकेट आरपी मेहरा ब्लॉक के इस्तेमाल के लिए नहीं है क्योंकि इस ब्लॉक का निर्माण अवैध तरीके से किया गया है।
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