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This Article is From Apr 16, 2016

दिल्ली सरकार का 'एक साल बेमिसाल' का नारा ओखला विधानसभा में खोखला

दिल्ली सरकार का 'एक साल बेमिसाल' का नारा ओखला विधानसभा में खोखला
डिवाइडर और अंधेरे के कारण यहां अक्सर एक्सीडेंट होते हैं
नई दिल्ली:

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार का 'एक साल बेमिसाल' का नारा ओखला विधानसभा क्षेत्र में आकर खोखला साबित हो रहा है। सड़क निर्माण, सीवर डालने सहित अन्य कार्यों में खुलेआम घटिया सामग्री का इस्तेमाल सरकार के दावों को मुंह चिढ़ा रहा है। बिजली देने के दावे से ओखला के शाहीन बाग इलाके की जनता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है। स्थानीय विधायक यहां पार्क बनवाने में जुटे हैं, लेकिन जनता सीवर डलने के बाद महीनों से सड़क नहीं बनने के कारण गड्ढों से पटे रास्तों पर औंधे मुंह गिर रही है।

पूरे इलाके में गंदगी और प्रदूषण ने जनता का रहना दूभर किया हुआ है। स्थानीय विधायक खुद भी मानते हैं कि इलाके में सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ है, जिसके खिलाफ उन्होंने खुद जांच के लिए लिखा है। बावजूद इसके विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से घटिया सामग्री का इस्तेमाल बदस्तूर जारी है। और उधर दिल्ली के मुखिया अरविंद केजरीवाल 'एक साल बेमिसाल' का जश्न मानते नहीं थक रहे।
 


अबुल फ़जल इंक्लेव और शाहीन बाग इलाके में घटिया निर्माण सामग्री के इस्तेमाल के कारण एक साल से भी कम समय में सड़क जगह-जगह से उखड़ने लगी है। शाहीन बाग में ठोकर नंबर 6 और 7 का हाल तो और भी बुरा है। यहां विकास के नाम पर लगाए गए बोर्ड तो खूब चमक रहे हैं लेकिन सड़कों की हालत किसी से छिपी नहीं है। स्थानीय विधायक ने सड़क निर्माण में की गई घटिया सामग्री के इस्तेमाल की बात मानी और दावा किया कि क्वालिटी से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।   

नाला सफाई खानापूर्ति
इलाके से गुजरने वाले दो नालों की सफाई पर एक साल के अंदर 9 लाख रुपये खर्च हुए, लेकिन लगता है ये रुपये भी नाले में ही बह गए। जहां नाला खुला था वहां तो सफाई हुई, लेकिन बंद ढक्कनों को खोलकर सफाई करने की ज़हमत किसी ने नहीं उठाई। स्थानीय लोगों को शक है कि इस काम में भी अच्छा-खासा घोटाला करके कुछ लोगों ने अपनी जेबें भरी हैं। दिल्ली बाढ़ एवं सिचाई विभाग मंत्री गोपाल राय का कहना है कि अगर मामला मेरे सामने आया तो पूरे मामले की जांच की जाएगी और दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी।

लाइटें लगीं, अंधेरा जस का तस
कुछ साल पहले जामिया थाने से कालिंदी कुंज के बीच कई जगहों पर हाईमास्क लाइट लगाई गईं, लेकिन पिछले 2 साल से ये गायब हैं। इन्हें कौन उखाड़ ले गया, अब तक पुलिस भी पता नहीं कर पाई। जो पुरानी लाइटें बची हैं वे भी अंधेरे की साथी बन गईं। स्थानीय लोगों ने इस मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और उपराज्यपाल तक को लिखा, लेकिन अंधेरा अब भी छटा नहीं है। कई जगहों पर एक बार फिर लाइट लगाने की पहल हुई है, लेकिन लोगों का इल्जाम है कि इसमें भी नाते-रिश्तेदारी और बड़ी पहुंचवालों की ज्यादा सुनी गई है। स्थानीय विधायक ने इस मामले में दिल्ली नगर निगम को घसीटा है। उनका कहना है कि लाइटें मेनटेन करने की जिम्मेदारी उनकी है।

मौत का सबब बना डिवाइडर
ओखला थाने से कालिंदी कुंज पार्क तक यातायात को बेहतर बनाने के लिए सड़क पर जो डिवाइडर लगाया गया है वह अब स्ट्रीट लाइट नहीं होने के कारण लोगों को मौत परोस रहा है। सड़क पर लगे डिवाइडर में बीच-बीच में जहां भी क्रॉस करने के लिए खुली जगहें छोड़ी गई हैं वे अक्सर एक्सीडेंट का कारण बन रही हैं। रोजाना हजारों लोग दिल्ली और नोएडा के बीच सफर करते हैं और अक्सर ही यहां हादसे होते रहते हैं। लोग स्थानीय विधायक से भी खासे नाराज हैं, उन्हें शिकायत है कि उनका नुमाइंदा उनकी बात सरकार में नहीं उठाता।

उधर बाढ़ एवं सिचाई विभाग के जेई संजय कुमार मंगला कहते हैं कि ओखला विधायक के अनुरोध पर ही विभाग ने सड़क पर डिवाइडर लगाए हैं। हालांकि रिफ्लेक्टर न होने के कारण होने वाले हादसों पर कुछ कहने से वे पल्ला झाड़ गए। स्थानीय विधायक अमानतुल्लाह खान ने डिवाइडर से हो रहे हादसों के लिए उत्तर प्रदेश सिचाई विभाग को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि वे यहां लाइट नहीं लगने देते। उनका कहना है कि उनका 4 करोड़ का पूरा फंड खत्म हो चुका है, फिर भी कोई शिकायक करे तो वे और प्रयास करेंगे।

सीवर के काम में भी जबरदस्त झोल
विकास के नाम पर अबुल फजल इंक्लेव और शाहीन बाग में डाले जा रहे सीवर लाइन में भी घटिया सामग्री इस्तेमाल किए जाने का आरोप है। स्थानीय लोगों को शंका है कि लेबल न बिठाए जाने के कारण बरसात में उनके घरों में पानी घुस सकता है। यही नहीं शिकायत करने वालों को ठेकेदार अपनी तरह से सजा भी दे रहे हैं। शाहीन बाग में डी ब्लॉक की खुर्शीद मस्जिद लेन में आधा-अधूरा सीवर डालकर पिछले एक महीने से गड्ढे ऐसे ही छोड़ दिए गए हैं, क्योंकि लोगों ने बगल वाली गली में ठेकेदार के खिलाफ घटिया सामग्री के शिकायत की थी। इसकी वजह से लोगों को चलने में दक्कतें पेश आ रही हैं और कई बार लोग चोटिल भी हुए हैं।
 

यमुना सामने फिर भी पानी को तरसे
यमुना नदी के किनारे बसे अबुल फज़ल एन्क्लेव और शाहीन बाग के लाखों लोग पीने के पानी से महरूम हैं। जल बोर्ड का पानी नहीं होने की वजह से जो पानी वे खरीदकर पी रहे हैं उससे तमाम बीमारियां हो रही हैं। स्थानीय डॉक्टर एम. शमशाद बताते हैं कि कच्चे पानी में हैवी मेटल्स पाए जाते हैं, उससे लीवर, किडनी के अलावा आंतों पर बहुत असर पड़ता है।

अवैध पार्किंग बनी कैंसर
दिल्ली के कई अन्य इलाकों की तरह सड़क पर अवैध पार्किंग की समस्या जामियानगर में भी देखी जा सकती है। यहां माफियाओं ने ट्रक स्टैंड बना दिया है। जाम से परेशान लोगों द्वारा चलाई गई मुहीम में माफियाओं से आमना-सामना भी हुआ, मौके पर मौजूद यातायात पुलिस की मुस्तैदी से कई ट्रक ज़ब्त भी किए गए, लेकिन कुछ दिन बाद फिर वही हालात हैं।

बिजली की समस्या का कोई समाधान नहीं
शाहीन बाग के सी और डी ब्लॉक इलाके में रोजाना 8-10 घंटे बिजली कटौती आम बात है और अधिकारी समस्या का समाधान करने की बजाए खुद को असहाय बता रहे हैं। उनका कहना है कि ट्रांसफार्मर रखने के लिए स्थानीय विधायक उन्हें जमीन उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।

 

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