दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर केन्द्र सरकार की योजना पर अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी थी.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और NCR में प्रदूषण का मामले बुधवार को सुनवाई की. कोर्ट ने वाहनों के कलर कोड स्टीकर मामले में कानून मंत्रालय से नियमों में बदलाव के हालत पर जवाब मांगा है. मंत्रालय को निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुरुवार तक जवाब दें कि प्रदूषित वाहनों की पहचान के लिए बनी इस योजना का क्या हुआ? अमिक्स क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि सड़क परिवहन मंत्रालय ने सकारात्मक तरीके से नियमों का पालन किया और योजना को कानून मंत्रालय को भेजा. लेकिन कानून मंत्रालय ने इस पर कदम नहीं उठाया. अगर कानून मंत्रालय ने समय पर कार्य किया होता तो दिल्ली में गंभीर श्रेणी प्रदूषण को रोका जा सकता था.
उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में गंभीर श्रेणी प्रदूषण के कारण गरीब प्रभावित होते हैं और दैनिक मजदूर अपनी आजीविका खो रहे हैं. वहीं, सरकारी वकील ने कहा कि कानून मंत्रालय से राय नहीं मिलने के बावजूद सड़क परिवहन मंत्रालय सभी राज्यों को अधिसूचना जारी कर सकता है.
ल्ली में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- किसी न किसी को जेल भेजा जाना चाहिए, यही एक तरीका है
बता दें, दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर केन्द्र सरकार की योजना पर अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी थी. केंद्र सरकार ने पेट्रोल और CNG गाड़ियों के लिए ब्लू स्टिकर और डीजल गाड़ियों में नारंगी स्टिकर लगाने की योजना बनाई थी ताकि उनकी पहचान हो सके. पेट्रोल-सीएनजी वाहनों के लिए हल्का नीला स्टिकर प्रयुक्त किया गया था. खास बात ये है कि वाहनों पर लगने वाले यह स्टीकर ‘सेल्फ डेस्ट्रेकेटिव' होंगे. यानी एक निश्चित अवधि के बाद खुद ही खत्म हो जाएंगे. इन कलर कोड वाले स्टीकर से 15 साल पुरानी पेट्रोल की और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों की पहचान ज़्यादा आसानी से हो सकेगी. पुराने वाहनों के NCR में चलने पर NGT ने रोक लगा रखी है.
दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में गंभीर श्रेणी प्रदूषण के कारण गरीब प्रभावित होते हैं और दैनिक मजदूर अपनी आजीविका खो रहे हैं. वहीं, सरकारी वकील ने कहा कि कानून मंत्रालय से राय नहीं मिलने के बावजूद सड़क परिवहन मंत्रालय सभी राज्यों को अधिसूचना जारी कर सकता है.
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बता दें, दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर केन्द्र सरकार की योजना पर अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी थी. केंद्र सरकार ने पेट्रोल और CNG गाड़ियों के लिए ब्लू स्टिकर और डीजल गाड़ियों में नारंगी स्टिकर लगाने की योजना बनाई थी ताकि उनकी पहचान हो सके. पेट्रोल-सीएनजी वाहनों के लिए हल्का नीला स्टिकर प्रयुक्त किया गया था. खास बात ये है कि वाहनों पर लगने वाले यह स्टीकर ‘सेल्फ डेस्ट्रेकेटिव' होंगे. यानी एक निश्चित अवधि के बाद खुद ही खत्म हो जाएंगे. इन कलर कोड वाले स्टीकर से 15 साल पुरानी पेट्रोल की और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों की पहचान ज़्यादा आसानी से हो सकेगी. पुराने वाहनों के NCR में चलने पर NGT ने रोक लगा रखी है.
दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
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