एक शख्स दिल्ली में आया तो था आईएएस बनने की तैयारी करने के लिए, लेकिन उसने सिविल सर्विस की तैयारी करवाने वाले एक कोचिंग सेंटर की क्लास के पेड वीडियो अवैध तरीके से डाउनलोड कर यूट्यूब और टेलीग्राम पर ऑनलाइन बेचना शुरू कर दिया. पुलिस ने कोचिंग सेंटर की शिकायत पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
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उत्तरी दिल्ली के डीसीपी एन्टो अल्फोंस के मुताबिक, मौरिस नगर में चलने वाले एक कोचिंग सेंटर 'द स्टडी एन इंस्टीट्यूट फ़ॉर आईएएस' की तरफ से एक शिकायत मिली कि कोविड लॉकडाउन के बाद उन्होंने अपनी कोचिंग के छात्रों के लिए एक मोबाइल एप 'द स्टडी बाई मणिकांत सिंह' लॉन्च किया, जिसके जरिये सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे छात्र घर बैठे तैयारी कर सकें. ये ऐप 21 मई को शुरू हुआ, इसमें जो भी वीडियो डाले गए वो पेड थे, लेकिन इसी बीच अक्टूबर के महीने में कोचिंग सेंटर के लोगों को पता चला कि कोई गैंग उनके वीडियो डाउनलोड कर यूट्यूब और टेलीग्राम पर बेच रहा है.
शिकायतकर्ता ने जब यूट्यूब पर बेचने वाले से संपर्क किया तो वो उसी के वीडियो डिस्काउंट देकर शिकायतकर्ता को भी बेचने के लिए तैयार हो गया. आरोपी ने गूगल ड्राइव का लिंक भी शेयर किया और पैसे ऑनलाइन भेजने के लिए कहा.
उत्तरी दिल्ली की साइबर सेल ने जब इस मामले के जांच शुरू की तो पता चला कि जो ऑनलाइन पेमेंट जा रही है, उसका अकॉउंट नम्बर मॉडल टाउन की एक बैंक में है. अकॉउंट होल्डर का नाम राणा प्रताप सिंह है, जिसने अपना पता मऊ, यूपी लिखवाया है, लेकिन जांच में पता चला कि उसका वो 22 साल का प्रियदर्शन तिवारी उर्फ विक्रांत उर्फ विराट है. उसने फर्ज़ी नाम से कोचिंग सेंटर के ऐप को डाउनलोड कर उसमें अपना रजिस्ट्रेशन कराया था और फिर कोचिंग सेंटर के वीडियो को डाउनलोड कर उन्हें टेलीग्राम और यूट्यूबर के जरिये ऑनलाइन बेचने लगा.
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आरोपी के मोबाइल से ऑनलाइन क्लास के 12 वीडियो मिले, जिसमें 9 वीडियो शिकायतकर्ता के कोचिंग सेंटर के थे जबकि 3 एक दूसरे कोचिंग सेंटर के. पुलिस के मुताबिक आरोपी मूलरूप से यूपी के मऊ का रहने वाला है और उसने एक नामी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद पॉलिटिकल साइंस से बीए किया है. उसने मऊ में अपना एक कोचिंग सेंटर विज़न एजुकेयर नाम से खोला और बाद में यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली आ गया, यहां आकर उसे पता चला कि कई टेलीग्राम ग्रुप सिविल सर्विस की तैयारी के ऑनलाइन वीडियो मुहैया करवाते हैं. आरोपी चाहता था कि वो अपना सिलेबस तैयार करे, उसने कई टेलीग्राम से कई लोगों से संपर्क किया और फिर उसने विकास तिवारी के फ़र्ज़ी नाम से द स्टडी बाई मणिकांत सिंह नाम का ऐप डाउनलोड कर लिया.
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