मनीष सिसोदिया (फाइल फोेटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार ने दिल्ली के सभी प्राइवेट स्कूलों में मैनेजमेंट कोटा पूरी तरह से ख़त्म तो कर ही दिया गया है। इसके साथ ही, 62 ऐसे पैमाने भी रद्द कर दिए गए हैं जिनके आधार पर निजी स्कूल नर्सरी में बच्चों का दाखिले कर रहे थे। सरकार के मुताबिक़, ये पैमाने आपत्तिजनक, गैर पारदर्शी और मनमाने थे।
'स्कूलों को देना था क्राइटेरिया...'
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से जब पूछा गया कि क्या यह फैसला देर से नहीं लिया गया क्योंकि स्कूल तो पहले से ऐसे ही काम कर रहे हैं तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, "यह फैसला लेट बिलकुल नहीं है। 31 तारीख तक सभी स्कूलों को अपना क्राइटेरिया बनाकर देना था। हमें भरोसा था स्कूल जब क्राइटेरिया बनाएंगे तो सब पारदर्शी और वाजिब होगा लेकिन जब 1 से 5 तारीख के बीच हमने इसका विश्लेषण किया तो यह पाया और 6 तारीख को आदेश कर दिया।"
'आपत्तिजनक होगा तो हम देंगे दखल'
एनडीटीवी इंडिया से ख़ास बातचीत में सिसोदिया ने कहा कि स्कूल वाजिब क्राइटेरिया बना सकते हैं, लेकिन अगर आपत्तिजनक होगा तो हम दखल देंगे। दिल्ली सरकार के पास यह पॉवर नहीं कि वह दाखिले के प्रक्रिया में दखल दे या स्कूल की ऑटोनमी में दखल दे लेकिन कानून में यह पॉवर है कि अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसको रोकने का अधिकार सरकार के पास है।"
सरकार के इस फैसले से कहीं कोई भ्रम तो नहीं फैल जाएगा?
दिल्ली में नर्सरी एडमिशन की प्रक्रिया 1 जनवरी से शुरू हो चुकी है ऐसे में हमारा सवाल था कि सरकार के इस फैसले से कहीं कोई भ्रम तो नहीं फैल जाएगा? इसके जवाब में मनीष सिसोदिया ने कहा, "कृपया लोग भ्रम में न आएं। 22 जनवरी तक स्कूल के पास कोई पॉवर नहीं है वह 22 तक केवल फॉर्म जमा करा सकते हैं इससे ज़्यादा नहीं, क्राइटेरिया और उसके आधार पर आगे की प्रक्रिया उसके बाद शुरू होगी इसलिए बच्चों के माता पिता निश्चिन्त रहें।"
मैनेजमेंट कोटे पर क्या कहना है स्कूल असोसिएशन का..
दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल्स मैनेजमेंट असोसिएशन के प्रेजिडेंट आरसी जैन के मुताबिक, 'दिल्ली सरकार का यह आदेश कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट है। मामला हाईकोर्ट में है। सुनवाई 21 जनवरी को है। 2014 में एलजी की सरकार मैनेजमेंट कोटे के खिलाफ कोर्ट गई थी। सिंगल बेंच ने हमारे फेवर में फैसला सुनाया था। फिर एलजी डबल बेंच में ले गए जिस पर 21 जनवरी को सुनवाई है। गांगुली कमेटी ने भी मैनेजमेंट कोटे की सिफारिश की थी। इस सरकार ने स्कूलों से बदला लिया। हमने ऑड ईवन में बस देने से मना किया था। बस के मसले पर 14 जनवरी को सुनवाई है। हम वहां भी मैनेजमेंट कोटे का मामला उठाएंगे।'
'स्कूलों को देना था क्राइटेरिया...'
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से जब पूछा गया कि क्या यह फैसला देर से नहीं लिया गया क्योंकि स्कूल तो पहले से ऐसे ही काम कर रहे हैं तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, "यह फैसला लेट बिलकुल नहीं है। 31 तारीख तक सभी स्कूलों को अपना क्राइटेरिया बनाकर देना था। हमें भरोसा था स्कूल जब क्राइटेरिया बनाएंगे तो सब पारदर्शी और वाजिब होगा लेकिन जब 1 से 5 तारीख के बीच हमने इसका विश्लेषण किया तो यह पाया और 6 तारीख को आदेश कर दिया।"
'आपत्तिजनक होगा तो हम देंगे दखल'
एनडीटीवी इंडिया से ख़ास बातचीत में सिसोदिया ने कहा कि स्कूल वाजिब क्राइटेरिया बना सकते हैं, लेकिन अगर आपत्तिजनक होगा तो हम दखल देंगे। दिल्ली सरकार के पास यह पॉवर नहीं कि वह दाखिले के प्रक्रिया में दखल दे या स्कूल की ऑटोनमी में दखल दे लेकिन कानून में यह पॉवर है कि अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसको रोकने का अधिकार सरकार के पास है।"
सरकार के इस फैसले से कहीं कोई भ्रम तो नहीं फैल जाएगा?
दिल्ली में नर्सरी एडमिशन की प्रक्रिया 1 जनवरी से शुरू हो चुकी है ऐसे में हमारा सवाल था कि सरकार के इस फैसले से कहीं कोई भ्रम तो नहीं फैल जाएगा? इसके जवाब में मनीष सिसोदिया ने कहा, "कृपया लोग भ्रम में न आएं। 22 जनवरी तक स्कूल के पास कोई पॉवर नहीं है वह 22 तक केवल फॉर्म जमा करा सकते हैं इससे ज़्यादा नहीं, क्राइटेरिया और उसके आधार पर आगे की प्रक्रिया उसके बाद शुरू होगी इसलिए बच्चों के माता पिता निश्चिन्त रहें।"
मैनेजमेंट कोटे पर क्या कहना है स्कूल असोसिएशन का..
दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल्स मैनेजमेंट असोसिएशन के प्रेजिडेंट आरसी जैन के मुताबिक, 'दिल्ली सरकार का यह आदेश कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट है। मामला हाईकोर्ट में है। सुनवाई 21 जनवरी को है। 2014 में एलजी की सरकार मैनेजमेंट कोटे के खिलाफ कोर्ट गई थी। सिंगल बेंच ने हमारे फेवर में फैसला सुनाया था। फिर एलजी डबल बेंच में ले गए जिस पर 21 जनवरी को सुनवाई है। गांगुली कमेटी ने भी मैनेजमेंट कोटे की सिफारिश की थी। इस सरकार ने स्कूलों से बदला लिया। हमने ऑड ईवन में बस देने से मना किया था। बस के मसले पर 14 जनवरी को सुनवाई है। हम वहां भी मैनेजमेंट कोटे का मामला उठाएंगे।'
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