फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर दिल्ली सरकार में बेचैनी है. ये बेचैनी इसलिए भी है क्योंकि लोगों में इस प्रदूषण से घबराहट फैल गई है. शुक्रवार को एनजीटी ने दिल्ली सरकार से सवाल पूछा कि जब हवा ही नहीं चल रही है तो आप प्रदूषण का ठीकरा दूसरे राज्यों पर कैसे फोड़ रहे हैं.
कूड़ा जलाने, धूल उड़ने और दस साल पुरानी डीजल गाड़ियों को क्यों नहीं हटाया गया. इसके जवाब में दिल्ली सरकार ने बताया कि धूल उड़ने से रोकने के लिए राजस्व विभाग ने अब तक 854 चालान करके करीब एक करोड़ 61 हजार रुपये वसूले. इसी तरह पूर्वी दिल्ली निगम ने 648 चालान करके 54 लाख जुर्माना, दक्षिणी दिल्ली और उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने क्रमश 1026 और 378 चालान किए.
यही नहीं, खुले में कूड़ा और पत्तियां जलाने वाले करीब साढ़े छह सौ लोगों पर चालान करके करीब पंद्रह लाख रुपये वसूले गए. एनजीटी ने दो साल पहले वर्द्धमान कौशिक के मामले में आदेश दिया था कि दिल्ली में यदि कोई खुले में कूड़ा जलाता मिला तो उसे पर पांच हजार का जुर्माना और किसी निर्माण स्थल पर धूल उड़ते पाए जाने पर पांच लाख तक का जुर्माना लगा सकती है. लेकिन इसके बावजूद प्रदूषण घटने की बजाए लगातार बढ़ रहा है.
कूड़ा जलाने, धूल उड़ने और दस साल पुरानी डीजल गाड़ियों को क्यों नहीं हटाया गया. इसके जवाब में दिल्ली सरकार ने बताया कि धूल उड़ने से रोकने के लिए राजस्व विभाग ने अब तक 854 चालान करके करीब एक करोड़ 61 हजार रुपये वसूले. इसी तरह पूर्वी दिल्ली निगम ने 648 चालान करके 54 लाख जुर्माना, दक्षिणी दिल्ली और उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने क्रमश 1026 और 378 चालान किए.
यही नहीं, खुले में कूड़ा और पत्तियां जलाने वाले करीब साढ़े छह सौ लोगों पर चालान करके करीब पंद्रह लाख रुपये वसूले गए. एनजीटी ने दो साल पहले वर्द्धमान कौशिक के मामले में आदेश दिया था कि दिल्ली में यदि कोई खुले में कूड़ा जलाता मिला तो उसे पर पांच हजार का जुर्माना और किसी निर्माण स्थल पर धूल उड़ते पाए जाने पर पांच लाख तक का जुर्माना लगा सकती है. लेकिन इसके बावजूद प्रदूषण घटने की बजाए लगातार बढ़ रहा है.
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