मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप झेलने वाली कांग्रेस को दिल्ली विधानसभा चुनाव में समुदाय से निराशा ही हाथ लगी है. कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में पांच मुस्लिम चेहरों पर दांव लगाया था लेकिन सभी की जमानत जब्त हो गई. सीलमपुर से दिल्ली में कांग्रेस के कद्दावर नेता चौधरी मतीन अहमद भी जमानत नहीं बचा पाए लेकिन उन्हें पार्टी के सभी मुस्लिम प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा वोट मिले हैं. उन्हें 15.61 फीसदी वोट मिले हैं. इस बार AAP के अब्दुल रहमान 56.05 प्रतिशत वोटों के साथ जीते हैं.
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दक्षिण दिल्ली की ओखला विधानसभा सीट पर भी मुस्लिम समाज ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया. इस बार कांग्रेस ने आसिफ मोहम्मद खान को टिकट नहीं देकर परवेज हाशमी पर भरोसा जताया. हाशमी को 2.59 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि भाजपा के ब्रह्म सिंह को 21.97 प्रतिशत मत मिले हैं. अमानतुल्ला खान 66.03 वोट हासिल कर जीते हैं.
बल्लीमारान से इस बार भी कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आज़मा रहे युसूफ को 4.73 फीसदी वोट मिले हैं और आप के इमरान हुसैन 64.65 फीसदी वोट प्राप्त कर विजय हुए हैं. मुस्तफाबाद सीट से मुस्लिम मतदाताओं ने कांग्रेस का समर्थन नहीं किया. इस बार कांग्रेस ने हसन अहमद के बेटे अली महदी को टिकट दिया और उन्हें महज 2.89 प्रतिशत वोट मिले हैं. वहीं आप के युनूस 53.2 फीसदी वोट हासिल करके जीत गए हैं.
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मटियामहल सीट पर इस बार कांग्रेस के मिर्जा जावेद को 3.85 प्रतिशत वोट मिले हैं. इस बार शोएब इकबाल आप के टिकट पर मैदान में हैं और उन्हें 75.96 फीसदी वोट मिले हैं. यही हाल चांदनी चौक और बाबरपुर विधानसभा क्षेत्रों का है, जहां अच्छी खासी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है. बाबरपुर से कांग्रेस की उम्मीदवार अन्वीक्षा जैन को 3.59 फीसदी और चांदनी चौक से कांग्रेस प्रत्याशी अल्का लंबा को 5.03 प्रतिशत वोट मिले हैं.
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