नई दिल्ली:
अगर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच इस गैंग को नहीं पकड़ती, तो विधानसभा की सुरक्षा में बड़ी सेंध लग सकती थी, क्योंकि इनके कब्ज़े से पुलिस ने बड़ी मात्रा में विधानसभा के फ़र्ज़ी स्टिकर और आईकार्ड और पार्किंग पास बरामद किए हैं।
क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट कमिश्नर रवींद्र यादव के मुताबिक कुछ दिन पहले उनकी टीम को सूचना मिली थी कि कुछ लोग विधानसभा के फ़र्ज़ी स्टिकर बेच रहे हैं। इसी सूचना पर क्राइम ब्रांच ने गुरुवार को रोहिणी के एक रेस्टोरेंट में छापेमारी कर विनोद बंसल और देवेंद्र राणा नाम के शख्स को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि विनोद दिल्ली विधानसभा के स्टिकर देवेंद्र राणा को बेचने आया था। विनोद के घर और गाड़ी की तलाशी से बड़ी मात्रा में विधानसभा के फ़र्ज़ी स्टिकर, आईकार्ड और पार्किंग पास बरामद हुए। उसके पास एक न्यूज़ चैनल का माइक भी बरामद हुआ, जिसे वो लेकर वह विधानसभा जाया करता था।
विनोद ने पुलिस को बताया कि वह सारा सामान दिल्ली विधानसभा के पूर्व सहसचिव लालमणि के ड्राईवर जितेंद्र से लेता आ रहा है। पुलिस ने जितेंद्र को भी गिरफ्तार कर लिया। जितेंद्र के पास भी विधानसभा के फर्जी आईकार्ड, स्टिकर और पार्किंग पास बरामद हुए। उसकी कार में भी विधानसभा का फ़र्ज़ी स्टिकर लगा हुआ है। जितेंद्र ने पुलिस को बताया की उसे ये स्टिकर पहले दिल्ली विधानसभा के सहसचिव लालमणि से मिल रहे थे, लेकिन उनके तबादले के बाद यह सारा सामान विधानसभा में नौकरी करने वाला खत्री नाम का शख्स दे रहा था, जो फिलहाल फरार है।
पुलिस के मुताबिक यह गैंग स्टिकर, आईकार्ड और पार्किंग पास 20 से 50 हज़ार रुपये में बेच रहे थे। इनके खरीददार वे लोग होते थे, जो स्टिकर लगाकर पुलिस, पार्किंग वालों या दूसरे लोगों पर धौंस जमाते थे।
पुलिस का कहना है कि सबसे बड़े खतरे वाली बात यह थी कि इस तरह का स्टिकर लगाकर कोई आतंकवादी भी कार से विधानसभा में घुस सकता था। पुलिस अब विधानसभा के पूर्व सहसचिव लालमणि की भूमिका की जांच कर रही है।
क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट कमिश्नर रवींद्र यादव के मुताबिक कुछ दिन पहले उनकी टीम को सूचना मिली थी कि कुछ लोग विधानसभा के फ़र्ज़ी स्टिकर बेच रहे हैं। इसी सूचना पर क्राइम ब्रांच ने गुरुवार को रोहिणी के एक रेस्टोरेंट में छापेमारी कर विनोद बंसल और देवेंद्र राणा नाम के शख्स को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि विनोद दिल्ली विधानसभा के स्टिकर देवेंद्र राणा को बेचने आया था। विनोद के घर और गाड़ी की तलाशी से बड़ी मात्रा में विधानसभा के फ़र्ज़ी स्टिकर, आईकार्ड और पार्किंग पास बरामद हुए। उसके पास एक न्यूज़ चैनल का माइक भी बरामद हुआ, जिसे वो लेकर वह विधानसभा जाया करता था।
विनोद ने पुलिस को बताया कि वह सारा सामान दिल्ली विधानसभा के पूर्व सहसचिव लालमणि के ड्राईवर जितेंद्र से लेता आ रहा है। पुलिस ने जितेंद्र को भी गिरफ्तार कर लिया। जितेंद्र के पास भी विधानसभा के फर्जी आईकार्ड, स्टिकर और पार्किंग पास बरामद हुए। उसकी कार में भी विधानसभा का फ़र्ज़ी स्टिकर लगा हुआ है। जितेंद्र ने पुलिस को बताया की उसे ये स्टिकर पहले दिल्ली विधानसभा के सहसचिव लालमणि से मिल रहे थे, लेकिन उनके तबादले के बाद यह सारा सामान विधानसभा में नौकरी करने वाला खत्री नाम का शख्स दे रहा था, जो फिलहाल फरार है।
पुलिस के मुताबिक यह गैंग स्टिकर, आईकार्ड और पार्किंग पास 20 से 50 हज़ार रुपये में बेच रहे थे। इनके खरीददार वे लोग होते थे, जो स्टिकर लगाकर पुलिस, पार्किंग वालों या दूसरे लोगों पर धौंस जमाते थे।
पुलिस का कहना है कि सबसे बड़े खतरे वाली बात यह थी कि इस तरह का स्टिकर लगाकर कोई आतंकवादी भी कार से विधानसभा में घुस सकता था। पुलिस अब विधानसभा के पूर्व सहसचिव लालमणि की भूमिका की जांच कर रही है।
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