नई दिल्ली:
एक सार्वजनिक अवकाश के बाद, मंगलवार को दिल्ली में बैंकों के खुलने से पहले ही उनके बाहर लंबी कतारों में लोगों को खड़े देखा गया. बैंकों के बाहर लंबी लाइनों में लगे लोगों के लिए कुछ लोग बिना किसी लाभ के उन्हें चाय, नाश्ता और सलाह सरीखी मदद उपलब्ध कराते दिखे.
दिल्ली के कुछ हिस्सों में, लोग रात भर बैंकों के बाहर इंतजार करते दिखे. लेकिन फिर भी सुबह ठंड के वक्त लोग स्वयंसेवा से उन्हें मदद करने के लिए आगे खड़े दिखे.
लाजपत नगर में सुबह छह बजे बैंक ऑफ बड़ौदा के बाहर खड़े 30 वर्षीय एम खान ने कहा कि, "हमने कुछ सुविधाओं के इंतजाम किए हैं, ताकि जनता और बैंकों को किसी भी समस्याओं का सामना करना पड़े.
खान ने कहा कि 'हमने लोगों को कतार में खड़ा किया है. मैं खुद लाइन में 80वें नंबर पर हूं'. खान ने लोगों के लिए कागज पर टोकन सिस्टम की व्यवस्था की और अपने साथ खड़े करीब 200 लोगों को टोकन वितरित किए, ताकि लाइन व्यवस्थित रहे. उन्होंने कहा कि, हमने विकलांगों और बुजुर्गों के लिए एक अलग लाइन भी बनाई है.
उन्होंने बैंक में मौजूद दिल्ली पुलिस टीम के साथ शामिल होते हुए आसपास खड़े लोगों को आश्वासन दिया कि "शुरुआत में कुछ देरी जरूर हो सकती है, लेकिन चीजें नियंत्रण में हैं,"
इसी तरह, 50 वर्षीय रमेश खनेजा लाजपत नगर के कोटक महिंद्रा बैंक में लोगों की मदद कर रहे थे.
स्थानीय निवासी रमेश खनेजा बैंक के बाहर सुबह 6.30 बजे से परिवार के साथ पंक्तिबद्ध थे. जब लाइनों में लगे लोगों में भ्रम की स्थिति बढ़ी, तब वह अशिक्षित लोगों को फॉर्म भरवाने, उनके पहचान पत्रों की फोटोकॉपी करवाने सरीखी मदद करते दिखे. इस तरह वे एक जानकारी केंद्र बने हुए थे.
उन्होंने कहा कि ''मैं पीएम मोदी के निर्णय का पूरा समर्थन करता हूं और इसलिए मैं लोगों की मदद कर रहा हूं. कुछ समस्याएं जरूर आएंगी, लेकिन उन्हें जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा''.
कुछ बैंकों पर स्वयंसेवी लाइनों में लगे लोगों को पानी उपलब्ध कराते दिखे. वहीं, ग्रेटर कैलाश में यस बैंक के आउटलेट पर लंच टाइम में एक स्थानीय निवासी ने बिना किसी लाभ के लोगों को भोजन भी उपलब्ध कराया.
दिल्ली के कुछ हिस्सों में, लोग रात भर बैंकों के बाहर इंतजार करते दिखे. लेकिन फिर भी सुबह ठंड के वक्त लोग स्वयंसेवा से उन्हें मदद करने के लिए आगे खड़े दिखे.
लाजपत नगर में सुबह छह बजे बैंक ऑफ बड़ौदा के बाहर खड़े 30 वर्षीय एम खान ने कहा कि, "हमने कुछ सुविधाओं के इंतजाम किए हैं, ताकि जनता और बैंकों को किसी भी समस्याओं का सामना करना पड़े.
खान ने कहा कि 'हमने लोगों को कतार में खड़ा किया है. मैं खुद लाइन में 80वें नंबर पर हूं'. खान ने लोगों के लिए कागज पर टोकन सिस्टम की व्यवस्था की और अपने साथ खड़े करीब 200 लोगों को टोकन वितरित किए, ताकि लाइन व्यवस्थित रहे. उन्होंने कहा कि, हमने विकलांगों और बुजुर्गों के लिए एक अलग लाइन भी बनाई है.
उन्होंने बैंक में मौजूद दिल्ली पुलिस टीम के साथ शामिल होते हुए आसपास खड़े लोगों को आश्वासन दिया कि "शुरुआत में कुछ देरी जरूर हो सकती है, लेकिन चीजें नियंत्रण में हैं,"
इसी तरह, 50 वर्षीय रमेश खनेजा लाजपत नगर के कोटक महिंद्रा बैंक में लोगों की मदद कर रहे थे.
स्थानीय निवासी रमेश खनेजा बैंक के बाहर सुबह 6.30 बजे से परिवार के साथ पंक्तिबद्ध थे. जब लाइनों में लगे लोगों में भ्रम की स्थिति बढ़ी, तब वह अशिक्षित लोगों को फॉर्म भरवाने, उनके पहचान पत्रों की फोटोकॉपी करवाने सरीखी मदद करते दिखे. इस तरह वे एक जानकारी केंद्र बने हुए थे.
उन्होंने कहा कि ''मैं पीएम मोदी के निर्णय का पूरा समर्थन करता हूं और इसलिए मैं लोगों की मदद कर रहा हूं. कुछ समस्याएं जरूर आएंगी, लेकिन उन्हें जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा''.
कुछ बैंकों पर स्वयंसेवी लाइनों में लगे लोगों को पानी उपलब्ध कराते दिखे. वहीं, ग्रेटर कैलाश में यस बैंक के आउटलेट पर लंच टाइम में एक स्थानीय निवासी ने बिना किसी लाभ के लोगों को भोजन भी उपलब्ध कराया.
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