नई दिल्ली:
दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी. मंगलवार को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन कोर्ट को बताएंगे कि ऐसे कौन से अधिकारी हैं जो उनकी बात नहीं सुनते. वहीं दिल्ली सरकार के हेल्थ सेक्रेट्री अपना हलफनामा दाखिल करेंगे.
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन की तरफ से हलफनामा दाखिल न करने पर कोर्ट ने 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा जब लोग मर रहे हों तो आपको 24 घंटे का वक्त क्यों चाहिए? यह आपकी मंशा थी कि आपने मामले को हल्के में लिया और शनिवार को हलफनामा दाखिल नहीं किया.आपको पूरी रात जागकर हलफनामा तैयार कर दाखिल करना चाहिए था. हमने आपको हलफनामा दाखिल करने के लिए वक्त दिया था कि आप अधिकारियों के नाम बता सकें जो आपकी बात नहीं मान रहे.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को एक और झटका देते हुए दिल्ली सरकार के हेल्थ सेक्रेट्री को हलफनामा दाखिल करने की इजाजत दे दी. हालांकि दिल्ली सरकार ने इसका विरोध किया क्योंकि हेल्थ सेक्रेट्री की ओर से एसजी रंजीत कुमार ने यह इजाजत मांगी थी.
दरअसल दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए दिल्ली सरकार ने क्या कदम उठाए हैं, इसको लेकर अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करना था. सरकार को यह भी बताना था कि ऐसे कौन से अधिकारी हैं जो उसकी बात नहीं सुनते.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा था कि 'आखिर सरकार यह कैसे कह सकती है कि कोई भी अधिकारी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है.' कोर्ट ने कहा था कि 'यह बेहद गंभीर आरोप है. लिहाजा कोर्ट के सामने उन अधिकारियों के नाम बताएं जिन्होंने जिम्मेदारी लेने से मना किया है. लेकिन अधिकारी का नाम बंद लिफाफे में नहीं बल्कि कोर्ट में सबके सामने बताया जाएं.' कोर्ट ने कहा कि हम दिल्ली की जनता को इस तरह नहीं छोड़ सकते.
इससे पहले दिल्ली में चिकनगुनिया और डेंगू मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 26 सितंबर को दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर 30 सितंबर तक जवाब मांगा था. एजी ने कोर्ट में कहा था कि अगर दिल्ली सरकार सही तरीके से चिकनगुनिया को रोकने में नाकाम रहती है तो कोर्ट को बताए, फिर यह काम केंद्र सरकार करेगी.
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन की तरफ से हलफनामा दाखिल न करने पर कोर्ट ने 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा जब लोग मर रहे हों तो आपको 24 घंटे का वक्त क्यों चाहिए? यह आपकी मंशा थी कि आपने मामले को हल्के में लिया और शनिवार को हलफनामा दाखिल नहीं किया.आपको पूरी रात जागकर हलफनामा तैयार कर दाखिल करना चाहिए था. हमने आपको हलफनामा दाखिल करने के लिए वक्त दिया था कि आप अधिकारियों के नाम बता सकें जो आपकी बात नहीं मान रहे.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को एक और झटका देते हुए दिल्ली सरकार के हेल्थ सेक्रेट्री को हलफनामा दाखिल करने की इजाजत दे दी. हालांकि दिल्ली सरकार ने इसका विरोध किया क्योंकि हेल्थ सेक्रेट्री की ओर से एसजी रंजीत कुमार ने यह इजाजत मांगी थी.
दरअसल दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए दिल्ली सरकार ने क्या कदम उठाए हैं, इसको लेकर अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करना था. सरकार को यह भी बताना था कि ऐसे कौन से अधिकारी हैं जो उसकी बात नहीं सुनते.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा था कि 'आखिर सरकार यह कैसे कह सकती है कि कोई भी अधिकारी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है.' कोर्ट ने कहा था कि 'यह बेहद गंभीर आरोप है. लिहाजा कोर्ट के सामने उन अधिकारियों के नाम बताएं जिन्होंने जिम्मेदारी लेने से मना किया है. लेकिन अधिकारी का नाम बंद लिफाफे में नहीं बल्कि कोर्ट में सबके सामने बताया जाएं.' कोर्ट ने कहा कि हम दिल्ली की जनता को इस तरह नहीं छोड़ सकते.
इससे पहले दिल्ली में चिकनगुनिया और डेंगू मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 26 सितंबर को दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर 30 सितंबर तक जवाब मांगा था. एजी ने कोर्ट में कहा था कि अगर दिल्ली सरकार सही तरीके से चिकनगुनिया को रोकने में नाकाम रहती है तो कोर्ट को बताए, फिर यह काम केंद्र सरकार करेगी.
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