- दिल्ली दंगा मामले के आरोपी शरजील इमाम, उमर खालिद सहित अन्य की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है
- दिल्ली पुलिस ने आरोपियों पर यूएपीए के तहत केस दर्ज कर उनकी जमानत का विरोध किया है
- पुलिस ने आरोप लगाया कि शरजील इमाम का मकसद केवल सीएए विरोध नहीं बल्कि सत्ता परिवर्तन था
दिल्ली दंगा केस में आरोपी शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शिफा-उर-रहमान की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज भी सुनवाई जारी रखेगा. ये सभी छात्र नेता कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत सलाखों के पीछे हैं कोर्ट में दिल्ली पुलिस आज आरोपियों की जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए अपनी दलीलें पेश करेगी. दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को शरजील इमाम के भाषणों के वीडियो क्लिप दिखाए. गुरुवार की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से कोर्ट में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि जब इंजीनियर/डॉक्टर जैसे लोग आतंकवादी बन जाते हैं, तो वे जमीनी स्तर पर काम करने वालों से भी ज़्यादा खतरनाक हो जाते हैं.
'मकसद CAA का विरोध नहीं, सत्ता परिवर्तन था'
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि शरजील ने मुस्लिम समुदाय को भड़काने की कोशिश की. उनका असली मकसद सीएए का विरोध नहीं, बल्कि केंद्र सरकार को बदलना और सत्ता परिवर्तन था. एसवी राजू ने कहा कि ठीक उसी समय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत आ रहे थे, इसलिए दिल्ली में बड़े स्तर पर हिंसा करवाई गई, ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया इसे कवर करे और भारत की बदनामी हो. दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि इन आरोपियों ने कई व्हाट्सऐप ग्रुप बनाए थे, जिनमें दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप, मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू और जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी जैसे ग्रुप शामिल थे. इन ग्रुपों के जरिए चक्का जाम, हिंसक प्रदर्शन और सांप्रदायिक आधार पर लोगों को एकजुट करने का प्लान बनाया गया. राजू ने कहा कि पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी जब आतंकवादी सोच के साथ मैदान में उतरते हैं, तो वे जमीन पर काम करने वाले उग्रवादियों से कहीं ज्यादा खतरनाक साबित होते हैं.
'दिल्ली पुलिस 3 घंटे लंबे भाषण में से कुछ सेकंड दिखा रही'
एसवी राजू ने जमानत का विरोध करते हुए साफ कहा कि भले ही कोई आरोपी साढ़े पांच साल से जेल में हो, सिर्फ देरी के आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती. निचली अदालत को सुनवाई जल्द पूरी करने का निर्देश दिया जा सकता है, लेकिन लंबे समय तक जेल में रहना अपने आप में बेल का आधार नहीं बनता. दूसरी ओर, शरजील इमाम के वकील सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने कहा कि दिल्ली पुलिस सिर्फ तीन घंटे लंबे भाषण में से कुछ सेकंड की माइक्रो क्लिप्स दिखा रही है, पूरा संदर्भ नहीं बता रही. चार्जशीट में पूरा वीडियो और उसकी ट्रांसक्रिप्ट पहले ही दाखिल हो चुकी है.
दिल्ली पुलिस ने याद दिलाया कि इस कथित साजिश और दंगों में 59 लोगों की जान गई थी, एक पुलिसकर्मी की भी हत्या की गई थी, और 530 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई फिर होगी.
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