दिल्ली के दीवाली के बाद प्रदूषण (Delhi Pollution) के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के साथ ही इस मसले पर सियासत भी शुरू हो गई है. केंद्र और दिल्ली सरकार, इस मामले में आरोप-प्रत्यारोप में व्यस्त है. प्रदूषण से जुड़े मुद्दे पर दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत (Kailash Gahlot) की NDTV से खास बातचीत की. गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण (Delhi Pollution) को कम करने की कवायद के तहत सार्वजनिक परिवहन (Public Transport) को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं. कैलाश गहलोत ने बताया, 'सार्वजनिक परिवहन में तुरंत बसें जोड़ने के लिए हमने प्राइवेट ऑपरेटर के बात की है.1,000 बसें हम तुरंत किराए पर ले रहे हैं.' उन्होंने कहा कि बार-बार यह सवाल उठता है हमको प्राइवेट ऑपरेटर से बस लेने की जरूरत क्यों पड़ रही है.आपको याद होगा कि 1,000 बसें DTC जोड़ने के लिए सारी अनुमति, मंज़ूरी, टेंडर, वर्क आर्डर सब जारी हो गया था,वर्क अवार्ड भी कर दिया था. दिल्लीवासियों को पता है कि एक हजार बसें BJP ने रोकी, वरना आज 1,000 बसें दिल्ली की सड़कों पर दौड़ रही होतीं.जब भी हम बसें खरीदने की बात करते हैं तो सबसे पहले बीजेपी वाले उसमें शिकायत करते हैं. '
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गहलोत ने कहा, 'आपको याद होगा कि जांच के लिए एक समिति बनाई गई थी उसने भी हम को क्लीन चिट दे दी. उसमें किसी भी प्रकार का कोई भी करप्शन एंगल नहीं निकला. विपक्ष का सवाल उठाना गलत नहीं है और मैंने जवाब भी दिया. इस मामले में केंद्र सरकार की बनाई समिति, जो एलजी साहब ने बनाई थी ने हर एंगल से जांच की. उस समिति ने मुख्य रूप से दो चीज कही.इसमें किसी प्रकार का कोई करप्शन का एंगल नहीं है.किसी की कोई गलत नीयत नहीं है. अगर कोई छोटी-मोटी गलतियां तो वो स्वाभाविक गलती हैं. जब आप इतना बड़ा टेंडर करते हैं तो ऐसी छोटी-मोटी त्रुटियां हो जाती हैं.
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दिल्ली सरकार के मंत्री ने बताया कि बसें खरीदना आसान काम क्यों नहीं है? उन्होंने कहा,' पूरे देश में बहुत सीमित मैन्युफैक्चरर्स हैं क्योंकि दिल्ली में जब हम बसें खरीदने की बात करते हैं तो हम कोई भी साधारण बस नहीं खरीद सकते.वो लो फ्लोर ही होनी चाहिए और CNG ही होनी चाहिए. इसके अलावा जो रूल्स तय किए हुए हैं उसके हिसाब से होनी चाहिए जैसे पैनिक बटन, CCTV कैमरा होना चाहिए.पूरे देश में एकमात्र दिल्ली ही ऐसा शहर है जो 2 फ्लोर, 12 मीटर और CNG की बसें खरीदते हैं.इस तरह की बसों के निर्माण के लिए केवल 2-3 मैन्युफैक्चरर ही हैं.साथ मे बसें महंगा आइटम होता है. CNG वाली 60-80 लाख रुपये की एक आती है, इलेक्ट्रिक बस तो डेढ़ से दो करोड़ की आती है.फिर यह भी देखना पड़ता है कि बस की लाइफ कितनी है...कम से कम 10 साल होनी चाहिए. बस हम 10 से 15 साल के हिसाब से खरीदते हैं.टेंडर प्रक्रिया बहुत ज्यादा समय लेती है, बहुत सवाल, सुझाव और सुधार होते हैं.
गहलोत ने कहा कि दिल्ली में बसें खरीदना हालांकि आसान काम नहीं है फिर भी हमने दिल्ली में 1500 से 2000 जोड़ चुके हैं। ऐसे में अगर कोई यह कहता है कि हमने एक भी बस नहीं जोड़ी है तो यह गलत है. बेशक हमने डीटीसी के बेड़े में नहीं बसें नहीं जोड़ी लेकिन क्लस्टर में जोड़ी है। क्लस्टर भी हमारी ही बसें हैं.पहले सिर्फ लाल, हरी और नारंगी रंग की बसें थी लेकिन अब नीले रंग की बसें भी हैं जो हमारे ही कार्यकाल में आई हैं.सुप्रीम कोर्ट में एक केस के दौरान कैलकुलेशन की गई थी कि दिल्ली में 9 से 11 हज़ार बसों की जरूरत है.हमारे पास अभी 6700 से ज़्यादा बसें हैं. 300 इलेक्ट्रिक बस के लिए आदेश दिया हुआ है, डिलीवरी होनी है उससे पहले उस इलेक्ट्रिक बस के प्रोटोटाइप आएगा उसका हम इंतजार कर रहे हैं. इलेक्ट्रिक बस के लिए डिपो भी तैयार हो रहे हैं.
उन्होंने बताया कि 1,000 CNG बसें आने वाली थी जो बीजेपी ने रुकवा दी. 200 लो फ्लोर सीएनजी बसों को पिछले हफ्ते कैबिनेट ने मंजूर किया है, उसका भी डिलीवरी का इंतजार है. 1 महीने पहले 200 लो फ्लोर सीएनजी बसों को खरीदने के लिए मंजूरी दी जा चुकी है, डिलीवरी का इंतज़ार है. क्लस्टर में इलेक्ट्रिक बसों के लिए टेंडर हम जारी कर चुके हैं.कुल 3-4 हज़ार बसें अलग-अलग स्टेज में है.अगर कोई यह कहता है कि दिल्ली सरकार एक भी बस लेकर नहीं आई या फिर दिल्ली सरकार सीरियस नहीं है बसों को लाने के लिए यह बिल्कुल सरासर गलत है. ये सफ़ेद झूठ है. 1,000 बसी डीटीसी के बेड़े में जुड़ चुकी होतीं अगर कोई एक कारण है जिसकी वजह से वह बसें नहीं आई तो वह यह है कि बीजेपी नहीं चाहती कि बसें आएं और दिल्ली वालों को सुविधा मिले. वो बार-बार दिल्ली वालों को इस बात की सजा देते हैं कि उन्होंने AAP को क्यों चुना? गहलोत ने कहा कि दिल्ली सरकार फिलहाल 5100 बसें या तो खरीद चुकी है या फिर प्रक्रिया में हैं.DTC के बेड़े के तहत 300 इलेक्ट्रिक बसें आने को तैयार हैं, इनकी डिलीवरी का इंतज़ार है. 1,000 बसें खरीदने की मंजूरी डीटीसी बोर्ड दे चुका है, अब टेंडर होगा.1,000 इलेक्ट्रिक बसें केंद्र सरकार की ग्रैंड चैलेंज योजना में खरीदने की योजना है. 1000 लो फ्लोर CNG बसें आने को तैयार थी लेकिन CBI जांच में फंसी फिलहाल जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता.उन्होंने बताया कि क्लस्टर बस के तहत350 CNG बसें खरीदने को कैबिनेट मंजूरी दे चुकी है, वर्क आर्डर भी जारी हो चुका है. दो माह में डिलीवरी चालू होने की संभावना है. 450 CNG बसों का टेंडर जारी हो चुका है. 1,000 इलेक्ट्रिक टेंडर हो चुके हैं, इस संबंध में प्रक्रिया जारी है.
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