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This Article is From Nov 17, 2021

फाइव स्टार होटल के AC में बैठकर किसानों को दोष देना आसान है - प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट

सीजेआई ने कहा कि ये कॉमन सेंस की बात है कि इन महीनों में पराली जलाने की घटना बढ़ जाती हैं, ऐसे में से सभी को पता है, लेकिन कोई कदम नहीं उठाए जाते.

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दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट हुई सुनवाई

नई दिल्ली:

दिल्ली- NCR में प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की. मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी. तुषार मेहता ने कहा कि मेरे बारे में मीडिया में कहा गया कि मैंने पराली जलाने को लेकर गलत जानकारी दी, मैं इस पर स्पष्टीकरण देना चाहता हूं. CJI ने इस पर कहा कि पब्लिक ऑफिस में ऐसी आलोचना  होती रहती है, इसे भूल जाइए. जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि मैंने ये देखा कि ये चार फीसदी है, लेकिन विकास सिंह ने बताया कि रिपोर्ट में 35-40 फीसदी है. तुषार मेहता ने कहा कि हमने पूरे साल का आंकड़ा दिया था. इस सीजन में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. सीजेआई ने कहा कि ये कॉमन सेंस की बात है कि इन महीनों में पराली जलाने की घटना बढ़ जाती हैं, ऐसे में से सभी को पता है, लेकिन कोई कदम नहीं उठाए जाते. इस पर तुषार मेहता ने कहा हमने अपने हलफनामे में कहा था कि पराली जलाने जैसे कुछ कारक प्रदूषण में अक्टूबर के बाद अधिक योगदान करते हैं. यह पूरे साल नहीं है. हमने तब कहा था कि यह उन दो महीनों में बढ़ता है और यह लगभग 35-40% है, लेकिन यह अनुमान लगाया गया कि हमने कहा है कि पंजाब चुनाव के कारण योगदान केवल 4-7% है. CJI ने कहा कि ये आंकड़े हमारे लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं. मुद्दे को घुमाने की कोशिश ना हो. हमें प्रदूषण कम करने की चिंता है. तुषार ने कहा कि लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जो कॉमन सेंस का उपयोग नहीं कर रहे हैं.

10 साल से पुराने पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहन सड़कों पर नहीं चलेंगे
CJI ने कहा -अब प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. तुषार मेहता उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दे रहे हैं. एसजी तुषार मेहता ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन समिति की  बैठक की जानकारी दी. सचिव पॉवर ,सचिव डीओपीटी, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली के मुख्य सचिव बैठक में उपस्थित थे.

 तुषार मेहता - दिल्ली के 300 किलोमीटर में 11 थर्मल प्लांटों में से केवल 5 काम कर रहे हैं, अन्य को बंद कर दिया गया है और यदि कोई आवश्यकता है तो इस दायरे से बाहर के संयंत्रों को भी बंद किया जा सकता है. 10 वर्ष से अधिक पुराने (डीजल या पेट्रोल से चलने वाले)कोई भी वाहन सड़क पर नहीं चलेंगे. हमने केंद्रीय कर्मियों के वर्क फ्रॉम होम पर भी विचार किया, लेकिन हमने पाया कि इन वाहनों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है, ऐसे में उन्हें कार पूल करने की सलाह दी गई है.


सीजेआई ने दिल्ली सरकार से पूछा - क्या कदम उठाए जा रहे हैं, क्या आपने अखबार देखे हैं, हर अखबार का अलग आंकड़ा है. तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए WFH पर हमने कहा है कि कोविड के कारण काम पहले ही प्रभावित हो चुका है. दिल्ली-एनसीआर में केंद्र सरकार के वाहनों की संख्या बहुत अधिक नहीं है, जब WFH की बात आती है तो अधिक नुकसान होते है. WFH का सीमित प्रभाव होगा, हमने कार पूलिंग की सलाह दी है. सीजेआई ने कहा कि क्याआपके पास केंद्रीय कर्मियों की संख्या है ?  तुषार ने कहा कि ये संख्या ज्यादा नहीं है, वाहनों की संख्या कम है. अगर कोई आदेश दिया तो अखिल भारतीय प्रभाव होगा.

दिल्ली सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी - पराली जलाने पर सफर की स्टडी है . हम किस महीने की बात कर रहे हैं. इसके आधार पर यह 0 से 58% तक होता है. SG ने 4 महीने या 6 महीने का औसत लिया होगा.

सीजेआई- हमारा ध्यान प्रदूषण कम करने पर है. आप सभी ऐसे मुद्दों को बार-बार उठा रहे हैं जो प्रासंगिक नहीं हैं. टीवी पर बहस ज्यादा प्रदूषण फैला रही है.

CJI ने दिल्ली सरकार से कहा - अगर आप इसी तरह और बातें उठाते रहेंगे तो मुख्य मुद्दा नहीं सुलझेगा. आप सभी अलग-अलग आंकड़े कह रहे हैं. हम किसानों को दंडित नहीं करना चाहते हैं. हमने पहले ही केंद्र से उन किसानों को आगे बढ़ाने और अनुरोध करने के लिए कहा है कि वे कम से कम एक सप्ताह तक पराली न जलाएं. टीवी पर बहस किसी भी अन्य स्रोत की तुलना में अधिक प्रदूषण पैदा कर रही है. वहां सबका अपना एजेंडा हैं. हम यहां समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं. 

सिंघवी ने कहा - राजनीति या महीने की बात भूल जाइए. यह हमारा कर्तव्य है कि हम आपको बताएं कि पराली जलाना एक कारण है.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा - आखिर किसान को जलाना क्यों पड़ता. पांच सितारा होटल में एसी में बैठकर किसानों को दोष देना बहुत आसान है. आप किसानों को मशीन मुहैया कराने कि क्षमता रखते हैं.

सिंघवी- केंद्र पूरे साल की बात कर रहा है. हम इन 2 महीनों को लेकर ज़्यादा चिंतित हैं.  पराली जलाने को कम करके आंकने का नुकसान है. 

सीजेआई- हमने सिर्फ यही कहा है कि किसानों को दंडित मत कीजिए.


सिंघवी- बायो ट्रीटमेंट कारगर

सीजेआई- आप चाहते हैं कि हम कुछ बोलें और वह खबर बने.

कोर्ट रूम में अपना मोबाइल निकालकर CJI ने एक रिपोर्ट पढ़ी  -कहा, माफ कीजिए मजबूर हो गया.  IIT द्वारा एक शोध पत्र कहता है कि केवल कुछ प्रतिशत ही पराली जलाना प्रदूषण में योगदान देता है

CJI ने फिर पटाखे जलाने पर उठाए सवाल - कहा आप इस बात से इनकार कर सकते हैं कि पिछले 5-6 दिनों में इतने पटाखे फोड़ चुके हैं .

जस्टिस सूर्यकांत- हर साल अक्टूबर नवंबर में जब दिल्ली का दम घुटने लगता है तो सुप्रीम कोर्ट कदम उठाने को मजबूर होता है. कोई बताए कि साल भर सरकार क्या करती है.

सिंघवी: मैं इस बात से इनकार नहीं करता कि पटाखों से प्रदूषण होता है.

CJI- आप पूसा शोध अध्ययन का हवाला देते रहते हैं, लेकिन पहले से ही ऐसी खबरें आ रही हैं कि पराली के प्रबंधन का तरीका विफल है.

CJI - पराली जलाने का काम कुछ राज्यों में है. ये मुद्दा हाईकोर्ट का है, लेकिन हर बार हमें इसमें आना पड़ता है.

जस्टिस चंद्रचूड़- दिल्ली सरकार बताए कि क्या कदम उठा रही है.

सिंघवी- 13 नवंबर को हमारे हलफनामे में निर्माण और सड़क की धूल के उपायों पर हमारे उपाय बताए गए हैं, कल जो मीटिंग हुई है, उनमें से 90% कदम दिल्ली सरकार ने उठाए हैं. अन्य राज्य थोड़े पीछे हैं.

जस्टिस चंद्रचूड़ - हमने पिछली बार केवल 69 रोड सफाई मशीनों के मुद्दे का उल्लेख किया था,  कोई नई भी खरीदी गई.

सिंघवी - MCD को बताना है कि और कितने की जरूरत है. हम पूरी आर्थिक सहायता देने को तैयार हैं.

जस्टिस चंद्रचूड - इसे फिर से  MCD पर डाल रहे हैं

सिंघवी- 15 और के लिए खरीद आदेश दिया गया है. सफाई का काम MCD का है, हम ये साफ करना चाहते हैं.

CJI- फिर से मुद्दा है कि एमसीडी आपके अधीन नहीं है.

CJI- इनफ इज इनफ. बहुत हो चुका. कितनी सफाई मशीनें हैं. क्या सुप्रीम कोर्ट को इसमें जाना चाहिए ?

जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली सरकार से कहा कि हमारे पास एक सुझाव है.आपने कहा है कि गैर-जरूरी उद्योगों को बंद करना संभव है, लेकिन तभी जब NCR के दूसरे लोग भी ऐसा करें.

सिंघवी-  यह समग्र दृष्टिकोण होना चाहिए. हमने WFH पर स्विच कर लिया है, लेकिन क्या होगा अगर वाहन कहीं और से आते रहें.

जस्टिस चंद्रचूड- क्या आप सीएनजी बसों को नहीं बढ़ा सकते  ताकि लोग निजी वाहनों के बजाय उन पर स्विच हो जाएं. ऐसी और बसें किराए पर लें.

सिंघवी- इस पर जांच कर सकते हैं, भले ही इसे मध्यम अवधि में लागू किया जा सके, तुरंत संभव नहीं हो सकता.

जस्टिस चंद्रचूड़- अगले 2 दिनों में सकारात्मक कदम उठाएं. अल्पकालिक प्रभाव के लिए ये जरूरी है.

सिंघवी- हम तुरंत बसें नहीं खरीद सकते. मेट्रो व बसों की फ्रीकेंसी बढा सकते हैं, लेकिन NCR को भी कदम उठाना होगा.

तुषार - हमने दिल्ली सरकार को ट्रांसपोर्ट बढ़ाने और पानी का छिड़काव करने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा - एक राज्य के तौर पर आपने क्या किया है. आपने प्रदूषण रोकने के लिए क्या किया है.

हरियाणा- हमने किसानों से पराली ना जलाने को कहा है, वर्क फ्रॉम होम भी किया है.

अब पंजाब की बारी - सुप्रीम कोर्ट ने पूछा - पराली जलाने पर रोक लगी, पराली कहां हैं - आपने किसानों को भगवान की दया पर छोड़ दिया है.

पंजाब - हम NCR में नहीं आते .
सीजेआई- तो आपने कुछ नहीं किया.
पंजाब- हमने किसानों को कहा कि वो दो हफ्ते पराली ना जलाएं.  पराली खेतों में ही पड़ी है.
 जस्टिस सूर्यकांत - यानी आपने किसानों को रोक दिया, लेकिन पराली को नहीं हटाया

जस्टिस सूर्यकांत- किसान पराली का क्या करेगा. पंजाब सरकार- हम मशीनों से मदद कर रहे हैं . सूर्यकांत - बताइए कितनी मशीनें हैं और दी गई हैं.

याचिकाकर्ता की ओर से विकास सिंह - जो करना है अदालत को करना है. सरकारों पर इसे अगले साल अक्टूबर तक लागू करने को मत कहिए.

विकास सिंह - सरकारों को कदम उठाना चाहि. - ये Endemic समस्या है. दिल्ली सरकार को कुछ कदम उठाने चाहिए. अदालत सरकारों से कदम उठाने को कहती है और सरकारें कहती हैं हम कर रहे हैं. जब हम सवाल उठाते हैं तो कहते हैं कि एजेंडा है.

विकास सिंह- पराली जलाना गंभीर समस्या है. इसे किसानों को कोसने की बजाए हल करना चाहिए. पराली जलाना मिट्टी के लिए भी हानिकारक है, जिससे किसानों को लंबी अवधि में नुकसान होता है. इसकी गलत सूचना दी गई कि पराली का योगदान केवल 10% है. चालू सीजन के दौरान यह 50% तक हो सकता है. अगले साल के लिए आज ही निर्देश दें. पूसा का तरीका 15 दिनों में पराली को खत्म करता . यह महंगी मशीनों की तुलना में आसान है, जिसे किसान खरीद नहीं सकते. दिल्ली में लोग हांफ रहे हैं -कई दवाएं लेने के बावजूद मुझे यह मुश्किल लग रहा है.


याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह- मैं चाहता हूं कि अभी कुछ कदम उठें, न कि उन्हें अगले अक्टूबर के लिए छोड़ दिया जाए. गाड़ियों-उद्योगों के लिए भी नियम हैं. किन बातों का पालन हो रहा है, यह देखने की बात है, लेकिन पराली जलाने की समस्या की उपेक्षा नहीं हो सकती.

CJI- हमारी सोच है कि कुछ कदम तुरंत उठाए जाएं.

CJI ने एक बार फिर पटाखों की बात उठाई 
- कहा देख रहे हैं पिछले दिनों से कैसे शहर में पटाखे चलाए जा रहे हैं.

CJI- इस पर बैन लगाने की जिम्मेदारी सरकार की है.

यूपी - प्रदूषण दूसरे राज्यों से आ रहा है. जस्टिस सूर्यकांत - तो आप ये कह रहे हैं कि यूपी का प्रदूषण से कोई लेना देना है.

सुप्रीम कोर्ट ने तुषार मेहता से पूछा कि आपकी रिपोर्ट के मुताबिक- ट्रांसपोर्ट एक बड़ा कारण है. आप कहते हैं कि लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए इंकरेज करेंगे. हमारा सवाल ये है कि कैसे करेंगे और कौन करेगा.


CJI- लेकिन दिल्ली सरकार का कहना है कि ये पूरे NCR में हो.

तुषार मेहता- कल की बैठक में मौसम विभाग से भी मशविरा किया गया. हमारे उपाय 21 नवंबर तक हैं, क्योंकि उसके बाद हवा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है. हमारा सुझाव है कि कठोर कदम उठाने से पहले कोर्ट 21 नवंबर तक इंतजार करें.

जस्टिस सूर्यकांत- आप कह रहे हैं कि आप लोगों को चलने वाले वाहनों की संख्या कम करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. आप उन्हें कैसे प्रोत्साहित करेंगे. क्या वो मानेंगे ? 

CJI- दिल्ली कह रही है कि उन पर ही नहीं पूरे एनसीआर में करो.


SG- यही उनकी समस्या है- यह आप बनाम मैं नहीं है.

CJI-हमें उम्मीद थी कि जो बंद किया जाना है उस पर समिति को फैसला करना चाहिए था.

CJI- हम बाकी मुद्दों पर सोमवार को विचार करेंगे , लेकिन विकास सिंह ने जो सुझाव दिए हैं, वो सेंसेबल सुझाव हैं.

CJI- आप सौ फीसदी अफसरों को वर्क फ्राम हो ना करें,  लेकिन 50 फीसदी तो किया जा सकता है.
जस्टिस सूर्यकांत - क्या सरकारी कर्मियों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट में लाया जा सकता है.

तुषार - दिल्ली जैसे शहर में केंद्र के कर्मियों को WFH कहने का पूरे देश के कामकाज पर असर पड़ेगा,  ये एक कड़ा कदम होगा. चार अफसर चार कारें इस्तेमाल नहीं करेंगे, जब पूरा देश बंद था तो सरकारी दफ्तर भी बंद थे.

जस्टिस सूर्यकांत - सरकारी दफ्तरों का एक ही समय होता है. रेजिडेंशल कांप्लेक्स होते हैं, वहां वाहन तैनात किए जा सकते हैं, जो उनको लाए -ले जाएं.

CJI ने फिर सवाल उठाया - हमने समय के साथ देखा है कि नौकरशाही ने एक जड़ता विकसित कर ली है. वे चाहते हैं कि सब कुछ अदालत द्वारा किया जाए. पानी का छिड़काव, आग रोकना आदि सब अदालत करे. कार्यपालिका की ओर से दुर्भाग्यपूर्ण है,  ये रवैया अपनाया है. हमारा 2 घंटे का समय बर्बाद हुआ. हमने आपको पहले ही संयुक्‍त बैठकों के बाद फैसला  करने के लिए कहा था.

सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 23 नवंबर को करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा आज कोई आदेश जारी नहीं करेंगे. सरकार जरूरी कदम उठाए.

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