
दिल्ली के महरौली में 25 मई को छह अफ्रीकियों से मार-पीट के मामले सामने आए (फाइल फोटो)
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हाईकोर्ट ने कहा, हम नहीं समझ पा रहे कि आखिर शहर में हो क्या रहा है
पीठ ने इस बात पर भी चिंता जताई कि लोग कानून अपने हाथ में ले रहे हैं
सरकार द्वारा उचित कदम उठाने की जरूरत पर कोर्ट ने जोर दिया
हाईकोर्ट ने अफ्रीकी नागरिकों पर हुए हमलों पर जताई चिंता
लोगों के कानून अपने हाथ में लेने पर चिंतित न्यायमूर्ति बीडी अहमद और न्यायमूर्ति आरके गॉबा की पीठ ने कहा कि अफ्रीकी नागरिकों पर हमले बढ़े हैं। पीठ ने कहा, 'अब दिल्ली नस्लभेदी होती जा रही है। अफ्रीकी नागरिकों पर हमले हो रहे हैं। हम नहीं समझ पा रहे कि आखिर शहर में हो क्या रहा है।' अदालत ने कहा, 'हम सिर्फ दुख जता सकते हैं, आप (सरकार) कार्यपालिका हैं, आपको अदालत के निर्देशों का पालन करना होगा।' पीठ ने इस बात पर भी चिंता जताई कि 'लोग कानून अपने हाथ में ले रहे हैं' और सरकार को उचित कदम उठाने की जरूरत है।
अदालत ने यह मौखिक टिप्पणी उस वक्त की जब वह 16 दिसंबर 2012 के बहुचर्चित सामूहिक बलात्कार कांड के बाद अपनी ओर से शुरू की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका की सुनवाई में अदालत समय-समय पर अपराध की जांच और राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए निर्देश देती रही है।
सरकार के मुताबिक सभी घटनाएं नस्लभेदी नहीं
गौरतलब है कि बीते 20 मई को दक्षिण दिल्ली में कांगो के नागरिक मासुंडा किताडा ओलिवर की हत्या के बाद अफ्रीकी नागरिकों पर हमले का मामला एक राजनयिक मुद्दा बन गया है। अफ्रीकी नागरिकों पर नस्लभेदी टिप्पणियों और हमलों की खबरें पिछले कुछ दिनों से लगभग हर रोज आ रही हैं। बहरहाल, सरकार ने कहा है कि सभी घटनाओं को नस्लभेदी नहीं कहा जा सकता।
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