प्रतीकात्मक तस्वीर...
नई दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिक्षक भर्ती घोटाले में दस साल की कैद की सजा काट रहे इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता अजय चौटाला द्वारा सामाजिक एवं पारिवारिक संबंधों को कायम रखने के लिए दायर की गई दो महीने की पैरोल संबंधी अर्जी पर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने सरकार को नोटिस जारी किया और उससे अजय की अर्जी पर जवाब मांगा। अजय ने सरकार के तीन मई के आदेश को भी खारिज करने की मांग की है। सरकार ने तीन मई को पैरोल का उनका आवेदन खारिज कर दिया था।
अजय चौटाला ने अपने वकील अमित साहनी के जरिए दाखिल अपनी अर्जी में दलील दी है कि दिल्ली सरकार ने अवैध तरीके से उनका पैरोल आवेदन खारिज कर दिया। उन्होंने अपनी अर्जी में यह भी आरोप लगाया है कि आवेदन खारिज करने की सूचना उन्हें तभी जाकर दी गई जब ऐसे ही पिछले फैसले के खिलाफ उनकी याचिका दायर की गई थी और वह उच्च न्यायालय में लंबित थी।
न्यायालय ने इलाज के वास्ते 12 हफ्ते के पैरोल की उनकी अर्जी 27 मई को खारिज कर दी थी। याचिका कहती है कि अजय चौटाला व्यक्तियों की उस श्रेणी में नहीं आते हैं, जिसे दिल्ली सरकार के पैरोल संबंधी दिशानिर्देश के तहत वंचित किया जाना है। इनेलो नेता ने आरोप लगाया है कि उनके मामले में उक्त दिशानिर्देश का पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।
सरकार के तीन मई के आदेश के बारे में याचिका आरोप लगाती है कि इसे बिना दिमाग लगाए और तथ्यों को संज्ञान में लिए बगैर ही यांत्रिक तरीके से जारी कर दिया गया और राहत से इनकार करने के कारण भी नहीं बताए गए।
हरियाणा में वर्ष 2000 में 3,206 जेबीटी शिक्षकों की अवैध तरीके से भर्ती को लेकर निचली अदालत ने अजय चौटाला और उनके पिता ओपी चौटाला तथा 53 अन्य को दोषी ठहराया था। पिता-पुत्र को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने सरकार को नोटिस जारी किया और उससे अजय की अर्जी पर जवाब मांगा। अजय ने सरकार के तीन मई के आदेश को भी खारिज करने की मांग की है। सरकार ने तीन मई को पैरोल का उनका आवेदन खारिज कर दिया था।
अजय चौटाला ने अपने वकील अमित साहनी के जरिए दाखिल अपनी अर्जी में दलील दी है कि दिल्ली सरकार ने अवैध तरीके से उनका पैरोल आवेदन खारिज कर दिया। उन्होंने अपनी अर्जी में यह भी आरोप लगाया है कि आवेदन खारिज करने की सूचना उन्हें तभी जाकर दी गई जब ऐसे ही पिछले फैसले के खिलाफ उनकी याचिका दायर की गई थी और वह उच्च न्यायालय में लंबित थी।
न्यायालय ने इलाज के वास्ते 12 हफ्ते के पैरोल की उनकी अर्जी 27 मई को खारिज कर दी थी। याचिका कहती है कि अजय चौटाला व्यक्तियों की उस श्रेणी में नहीं आते हैं, जिसे दिल्ली सरकार के पैरोल संबंधी दिशानिर्देश के तहत वंचित किया जाना है। इनेलो नेता ने आरोप लगाया है कि उनके मामले में उक्त दिशानिर्देश का पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।
सरकार के तीन मई के आदेश के बारे में याचिका आरोप लगाती है कि इसे बिना दिमाग लगाए और तथ्यों को संज्ञान में लिए बगैर ही यांत्रिक तरीके से जारी कर दिया गया और राहत से इनकार करने के कारण भी नहीं बताए गए।
हरियाणा में वर्ष 2000 में 3,206 जेबीटी शिक्षकों की अवैध तरीके से भर्ती को लेकर निचली अदालत ने अजय चौटाला और उनके पिता ओपी चौटाला तथा 53 अन्य को दोषी ठहराया था। पिता-पुत्र को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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