सांकेतिक तस्वीर
नई दिल्ली:
दिल्ली में डीज़ल टैक्सियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के फ़ैसले के विरोध में केंद्र सरकार की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली के डीज़ल टैक्सी ऑपरेटरों को राहत देने की मांग की है। वहीं दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट को राजधानी से डीज़ल टैक्सियों को चरणबद्ध तरीके हटाए जाने का रोड मैप बताएगी।
राजधानी में डीजल टैक्सियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के निर्णय के विरोध में अब केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राजधानी के डीजल टैक्सी ऑपरेटरों को राहत देने की मांग की है।
दरअसल केंद्र सरकार की ओर से सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष गुरुवार सुबह इस मामले की चर्चा (मेंशनिंग) की। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि वह राजधानी में डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय पर दोबारा विचार करे।
'प्रतिबंध से बीपीओ कारोबार पर पड़ेगा असर'
उन्होंने कहा कि राजधानी में डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय सही नहीं है। दिल्ली में बहुत सी बीपीओ कंपनियों का कारोबार इन्हीं डीजल टैक्सियों पर निर्भर है। बीपीओ कंपनियां अपने कर्मचारियों को लाने व छोड़ने के लिए डीजल टैक्सियों का इस्तेमाल करती हैं।
बीपीओ कंपनियों द्वारा देश को सालाना करोड़ों डॉलर का वित्तीय लाभ होता है। ऐसे में डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध लगाने से तमाम बीपीओ कंपनियों का कारोबार प्रभावित होगा। यह सब कंपनियों को देश छोड़कर जाने पर मजबूर कर देगा। ऐसे में डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध लगाने से देश को वित्तीय नुकसान पहुंचेगा और उन हजारों लोगों की आजीविका भी प्रभावित होगी, जो इस काम से जुड़े हैं। इसलिए डीजल टैक्सियों पर रोक लगाना सही नहीं है। डीजल टैक्सियों को राजधानी से चरणबद्ध तरीके से हटाए जाने का रोड मैप दिल्ली सरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बताएगी।
दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में पेश करेगी रोड मैप
दरअसल इस मामले में पूर्व में डीजल टैक्सियों को एक साथ न हटाकर उन्हें बारी-बारी से चरणबद्ध तरीके से हटाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार को अपना रोड मैप दायर करने के लिए भी कोर्ट ने सोमवार तक की मोहलत दे दी।
दिल्ली सरकार ने 1 मई से डीजल से चलने वाली टैक्सियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के मामले को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में आंशिक बदलाव की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर की थी। इसमें सरकार ने कोर्ट से अपने निर्णय को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की अपील की थी।
'30 हजार टैक्सियों को एक साथ हटाने से फैलेगी अराजकता'
अर्जी में कहा गया है कि राजधानी में मौजूदा समय में 60 हजार के करीब टैक्सी चल रही हैं, जिनमें से करीब 30 हजार टैक्सी डीजल वाली थी। इन पर पूरी तरह से एक साथ प्रतिबंध लगाने से राजधानी में अराजक स्थिति उत्पन्न हो गई है। आजिविका पर संकट के चलते टैक्सी ऑपरेटर इस निर्णय के विरोध में सड़क पर जाम लगाकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे उन्हें कानून व सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में परेशानी हो रही है।
राजधानी में डीजल टैक्सियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के निर्णय के विरोध में अब केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राजधानी के डीजल टैक्सी ऑपरेटरों को राहत देने की मांग की है।
दरअसल केंद्र सरकार की ओर से सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष गुरुवार सुबह इस मामले की चर्चा (मेंशनिंग) की। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि वह राजधानी में डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय पर दोबारा विचार करे।
'प्रतिबंध से बीपीओ कारोबार पर पड़ेगा असर'
उन्होंने कहा कि राजधानी में डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय सही नहीं है। दिल्ली में बहुत सी बीपीओ कंपनियों का कारोबार इन्हीं डीजल टैक्सियों पर निर्भर है। बीपीओ कंपनियां अपने कर्मचारियों को लाने व छोड़ने के लिए डीजल टैक्सियों का इस्तेमाल करती हैं।
बीपीओ कंपनियों द्वारा देश को सालाना करोड़ों डॉलर का वित्तीय लाभ होता है। ऐसे में डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध लगाने से तमाम बीपीओ कंपनियों का कारोबार प्रभावित होगा। यह सब कंपनियों को देश छोड़कर जाने पर मजबूर कर देगा। ऐसे में डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध लगाने से देश को वित्तीय नुकसान पहुंचेगा और उन हजारों लोगों की आजीविका भी प्रभावित होगी, जो इस काम से जुड़े हैं। इसलिए डीजल टैक्सियों पर रोक लगाना सही नहीं है। डीजल टैक्सियों को राजधानी से चरणबद्ध तरीके से हटाए जाने का रोड मैप दिल्ली सरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बताएगी।
दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में पेश करेगी रोड मैप
दरअसल इस मामले में पूर्व में डीजल टैक्सियों को एक साथ न हटाकर उन्हें बारी-बारी से चरणबद्ध तरीके से हटाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार को अपना रोड मैप दायर करने के लिए भी कोर्ट ने सोमवार तक की मोहलत दे दी।
दिल्ली सरकार ने 1 मई से डीजल से चलने वाली टैक्सियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के मामले को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में आंशिक बदलाव की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर की थी। इसमें सरकार ने कोर्ट से अपने निर्णय को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की अपील की थी।
'30 हजार टैक्सियों को एक साथ हटाने से फैलेगी अराजकता'
अर्जी में कहा गया है कि राजधानी में मौजूदा समय में 60 हजार के करीब टैक्सी चल रही हैं, जिनमें से करीब 30 हजार टैक्सी डीजल वाली थी। इन पर पूरी तरह से एक साथ प्रतिबंध लगाने से राजधानी में अराजक स्थिति उत्पन्न हो गई है। आजिविका पर संकट के चलते टैक्सी ऑपरेटर इस निर्णय के विरोध में सड़क पर जाम लगाकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे उन्हें कानून व सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में परेशानी हो रही है।
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