
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
देश की राजधानी दिल्ली में चिकनगुनिया और डेंगू से हालात बदतर हो चुके हैं. ऐसे सवाल उठ रहा रहा है कि इसकी रोकथाम के लिए मच्छर मारने के लिए क्या कार्रवाई सही समय पर नगर निगमों ने नहीं की?
पूर्वी दिल्ली की मेयर सत्या शर्मा ने एनडीटीवी इंडिया के कार्यक्रम में दावा किया कि निगम ने फॉगिंग 1 सितंबर के बाद ही शुरू की, क्योंकि ऐसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश हैं. सत्या शर्मा ने कहा, 'हमने 1 सितंबर के बाद ही फॉगिंग शुरू की, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के ऐसे निर्देश हैं, क्योंकि इससे पहले करने पर शहर में दमा के मरीजों के लिए यह नुकसानदायक होता.'
वहीं दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने निगम के इस दावे को सिरे से नकारा और आरोप लगाया कि निगम ने साज़िश के तहत के हालात पैदा किए. जैन ने कहा कि ऐसी कोई गाइडलाइन्स नहीं हैं. एक महीने पहले उनको ऊपर से आदेश आ गए थे कि कोई सफाई नहीं होनी चाहिए, कोई फॉगिंग नहीं होनी चाहिए. वह तो मीडिया का दबाव बन गया, इसलिए अब काम करने लगे हैं.'
हालांकि सूत्रों के मुताबिक, 1 सितंबर से पहले फॉगिंग नहीं हो सकती. ऐसी विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोई गाइडलाइन्स नहीं है. WHO की गाइडलाइन्स यह हैं कि बड़े पैमाने पर फॉगिंग केवल हालात बहुत बिगड़ने पर होनी चाहिए या जब कोई महामारी हो जाए. लेकिन निगम अक्सर फॉगिंग गाइडलाइन्स के हिसाब से नहीं, बल्कि अपने हिसाब से करता है.
पूर्वी दिल्ली की मेयर सत्या शर्मा ने एनडीटीवी इंडिया के कार्यक्रम में दावा किया कि निगम ने फॉगिंग 1 सितंबर के बाद ही शुरू की, क्योंकि ऐसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश हैं. सत्या शर्मा ने कहा, 'हमने 1 सितंबर के बाद ही फॉगिंग शुरू की, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के ऐसे निर्देश हैं, क्योंकि इससे पहले करने पर शहर में दमा के मरीजों के लिए यह नुकसानदायक होता.'
वहीं दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने निगम के इस दावे को सिरे से नकारा और आरोप लगाया कि निगम ने साज़िश के तहत के हालात पैदा किए. जैन ने कहा कि ऐसी कोई गाइडलाइन्स नहीं हैं. एक महीने पहले उनको ऊपर से आदेश आ गए थे कि कोई सफाई नहीं होनी चाहिए, कोई फॉगिंग नहीं होनी चाहिए. वह तो मीडिया का दबाव बन गया, इसलिए अब काम करने लगे हैं.'
हालांकि सूत्रों के मुताबिक, 1 सितंबर से पहले फॉगिंग नहीं हो सकती. ऐसी विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोई गाइडलाइन्स नहीं है. WHO की गाइडलाइन्स यह हैं कि बड़े पैमाने पर फॉगिंग केवल हालात बहुत बिगड़ने पर होनी चाहिए या जब कोई महामारी हो जाए. लेकिन निगम अक्सर फॉगिंग गाइडलाइन्स के हिसाब से नहीं, बल्कि अपने हिसाब से करता है.