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Delhi Budget: जानिए कितना है दिल्ली का बजट, कहां से आता है पैसा और कहां जाता है

पिछले साल आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने 2024-25 के लिए 76,000 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था, जिसे बढ़ाकर 77,000 करोड़ रुपये कर दिया गया था. सरकार के सूत्रों ने बताया कि विधानसभा में पेश होने वाला 2025-26 का बजट 80,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर सकता है.

Delhi Budget: जानिए कितना है दिल्ली का बजट, कहां से आता है पैसा और कहां जाता है
नई दिल्ली:

दिल्ली में बीजेपी सरकार 27 साल के लंबे इंतजार के बाद बजट पेश करने जा रही है. इस बार के बजट से दिल्ली के लोगों को बड़ी उम्मीदें है. कल खीर सेरेमनी के साथ बजट सत्र की शुरुआत हो चुकी है. दिल्ली का बजट इस बार कैसा होगा, इसके बारे में सीएम रेखा गुप्ता बता चुकी हैं. दिल्ली के बजट के लिए CM रेखा गुप्ता ने महिलाओं और युवाओं से लेकर व्यापारियों और विभिन्न मोहल्लों के लोगों तक सभी से बातचीत की है. इस बार के दिल्ली बजट के लिए लोगों से उनके सुझाव मांगे गए हैं. सरकार बजट में कई घोषणाएं करती हैं. जिसमें काफी पैसे खर्च होते हैं. सरकार के सूत्रों ने बताया कि विधानसभा में पेश होने वाला 2025-26 का बजट 80,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर सकता है. जबकि पिछला बजट 76000 करोड़ रुपये था. ऐसे में आपके जेहन में कभी-कभार ये सवाल जरूर आता होगा कि आखिर सरकार बजट में खर्च करने के लिए पैसे कहां से जुटाती है. आइए इस बारे में यहां विस्तार से आपको बताते हैं-

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बजट के लिए सरकार के पास कहां से आता है पैसा

देश के बाकी राज्यों की तरह ही दिल्ली में भी सरकार की आय का प्रमुख जरिया टैक्स ही है. दिल्ली सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में अपने टैक्स से 58,750 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल होने की उम्मीद जताई थी. वित्त वर्ष 2025 के अंत तक दिल्ली की कमाई- कर राजस्व, गैर-कर राजस्व, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत प्राप्तियां और केंद्र से अनुदान के माध्यम से - 64,142 करोड़ रुपये के बजटीय अनुमान से घटकर 62,415 करोड़ रुपये होने की बात कही गई थी.

कैसा रहा था दिल्ली का पिछला बजट

दिल्ली सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 76,000 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और परिवहन जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है. यह बजट 2023-24 के संशोधित अनुमान 74,900 करोड़ रुपये से 1.47% अधिक रहा था. जबकि 2022-23 में यह 75,800 करोड़ रुपये था. बजट का बड़ा हिस्सा टैक्स रेवेन्यू से ही आता है, जो कुल रेवेन्यू का 77.3% (58,750 करोड़ रुपये) है.

कहां से आया कितना पैसा

सेक्टरकिसकी कितनी हिस्सेदारीकमाई
टैक्स रेवेन्यू77.3 %58750 करोड़
नॉन टैक्स रेवेन्यू1.3 %1000 करोड़
कैपिटल रिसीप्ट 0.5 %379 करोड़
स्मॉल सेविंग लोन13.2 %10000 करोड़
CSS4.2 %3224 करोड़
स्मॉल सेविंग लोन1.5 %1168 करोड़
ओपनिंग बैलेंस2 %1479 करोड़

रेवेन्यू के स्रोत

बजट में रेवेन्यू के मुख्य स्रोतों में टैक्स रेवेन्यू सबसे बड़ा हिस्सा है. टैक्स रेवेन्यू के भीतर जीएसटी और वैट से 41,000 करोड़ रुपये, मोटर वाहनों पर कर से 3,600 करोड़ रुपये, स्टांप और रजिस्ट्रेशन शुल्क से 7,750 करोड़ रुपये, और राज्य उत्पाद शुल्क से 6,400 करोड़ रुपये शामिल हैं. इसके अलावा, छोटे बचत योजनाओं से 13.2% (10,000 करोड़ रुपये), केंद्रीय सहायता योजना (सीएसएस) से 4.2% (3,224 करोड़ रुपये), और केंद्र सरकार से सहायता के रूप में 1.5% (1,168 करोड़ रुपये) का योगदान है. गैर-कर राजस्व 1.3% (1,000 करोड़ रुपये) और पूंजीगत प्राप्तियां 0.5% (379 करोड़ रुपये) हैं.

खर्च का बंटवारा 

पिछले बजट में सबसे बड़ा खर्च शिक्षा पर किया गया है, जो कुल बजट का 22% (16,396 करोड़ रुपये) है. स्वास्थ्य क्षेत्र को 11% (8,685 करोड़ रुपये) और परिवहन को 10% (7,470 करोड़ रुपये) आवंटित किया गया है. जल और स्वच्छता के लिए 9% (7,195 करोड़ रुपये), आवास के लिए 13% (7,800 करोड़ रुपये), और ऊर्जा क्षेत्र को 4% (3,353 करोड़ रुपये) दिए गए हैं. इसके अलावा, कृषि के लिए 2% (1,331 करोड़ रुपये), सामाजिक सुरक्षा के लिए 9% (6,694 करोड़ रुपये), और सार्वजनिक ऋण के लिए 4% (2,666 करोड़ रुपये) का प्रावधान है. अन्य क्षेत्रों में 6% (4,914 करोड़ रुपये) और बाकी 10% (7,496 करोड़ रुपये) का आवंटन किया गया है.

महत्वपूर्ण योजनाएं

पिछले बजट में कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की गई है 'मुख्यमानत्री महिला सम्मान योजना' के तहत 2,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसमें 18 वर्ष से अधिक आयु की हर महिला को 1,000 रुपये प्रतिमाह का ऐलान शामिल था. हालांकि, यह योजना उन महिलाओं पर लागू नहीं होगी जो आयकर दाता हैं, सरकारी पेंशन योजना का लाभ ले रही हैं, या सरकारी कर्मचारी हैं. परिवहन क्षेत्र में, 510 करोड़ रुपये से 2,080 नौ मीटर की ई-बसें खरीदने का ऐलान किया गया. जिसके तहत 2025 तक दिल्ली में 10,000 से अधिक बसें सड़क पर आनी थी, जिनमें 80% ई-बसें होंगी.

शिक्षा क्षेत्र में, शिक्षक प्रशिक्षण के लिए स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) को 100 करोड़ रुपये, नई स्कूलों और कक्षाओं के निर्माण के लिए 150 करोड़ रुपये, मौजूदा कक्षाओं के रखरखाव के लिए 45 करोड़ रुपये, और स्कूल्स ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस के लिए 42 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. हायर एजुकेशन और तकनीकी शिक्षा के लिए 1,212 करोड़ रुपये और खेल शिक्षा के लिए 118 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. इसके अलावा, बिजनेस ब्लास्टर्स सीनियर योजना के तहत विश्वविद्यालय के छात्रों को स्टार्टअप के लिए 15 करोड़ रुपये की सीड मनी दी गई. स्वास्थ्य क्षेत्र में, 400 करोड़ रुपये नए अस्पतालों के निर्माण और मौजूदा अस्पतालों के विस्तार के लिए प्रस्तावित हैं.

बुनियादे ढांचे पर कितना खर्च

 पिछले बजट के मुताबिक दिल्ली में 11 नए अस्पतालों का निर्माण चल रहा है, जिससे 11,500 बेड की क्षमता बढ़ेगी. दिल्ली आरोग्य कोष के माध्यम से मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. बुनियादी ढांचे के तहत, सड़कों और फ्लाईओवर परियोजनाओं के लिए 1,768 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं. 'मुख्यमानत्री सड़क पुनर्निर्माण योजना' के लिए 275 करोड़ रुपये और अनधिकृत कॉलोनियों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 902 करोड़ रुपये का प्रावधान है. दिल्ली जल बोर्ड को पानी और सीवरेज सुविधाओं के लिए 7,195 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
 

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