नई दिल्ली:
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 'उपभोक्ता राजा है' और वह यह नहीं कह सकती कि ओला और उबर जैसी ऐप आधारित वाहन उपलब्ध कराने वाली कंपनियों द्वारा कम दर से किराया नहीं लिया जाना चाहिए और ग्राहकों को छूट नहीं दी जानी चाहिए.
न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि अगर कंपनी छूट देती है तो ग्राहकों को लाभ होता है और ऐप आधारित कैब प्रदाताओं की ज्यादा रुचि इसमें है, कितने लोग उसके ऐप का उपयोग कर रहे हैं.
टैक्सी एसोसिएशन की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की. एसोसिशन का आरोप है कि ओला और उबर जैसी ऐप आधारित कैब सेवा प्रदाता अदालत के 11 अगस्त के निर्देश और सरकार द्वारा निर्धारित दरों का पालन नहीं कर रहीं.
अदालत ने कहा, 'मान लीजिए कोई अगर छूट देना चाहता है, क्या आप (टैक्सी एसोसिएशन) कह सकते हैं कि उपभोक्ताओं को लाभ नहीं मिलना चाहिए? अंतत: ग्राहक राजा है.' अदालत ने कहा, 'आज एक दूरसंचार कंपनी ने 4जी कीमतों में 40 प्रतिशत की कटौती की. क्या लाभ ग्राहकों को नहीं मिलना चाहिए? राज्य सरकार की अधिसूचना यह नहीं कहती कि ग्राहकों को छूट नहीं दी जा सकती.'
न्यायाधीश मनमोहन ने दिल्ली सरकार से इस बारे में हलफनामा देने को कहा कि क्या उसने कोई निश्चित न्यूनतम किराया तय किया है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 नवंबर की तारीख तय की गई है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि अगर कंपनी छूट देती है तो ग्राहकों को लाभ होता है और ऐप आधारित कैब प्रदाताओं की ज्यादा रुचि इसमें है, कितने लोग उसके ऐप का उपयोग कर रहे हैं.
टैक्सी एसोसिएशन की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की. एसोसिशन का आरोप है कि ओला और उबर जैसी ऐप आधारित कैब सेवा प्रदाता अदालत के 11 अगस्त के निर्देश और सरकार द्वारा निर्धारित दरों का पालन नहीं कर रहीं.
अदालत ने कहा, 'मान लीजिए कोई अगर छूट देना चाहता है, क्या आप (टैक्सी एसोसिएशन) कह सकते हैं कि उपभोक्ताओं को लाभ नहीं मिलना चाहिए? अंतत: ग्राहक राजा है.' अदालत ने कहा, 'आज एक दूरसंचार कंपनी ने 4जी कीमतों में 40 प्रतिशत की कटौती की. क्या लाभ ग्राहकों को नहीं मिलना चाहिए? राज्य सरकार की अधिसूचना यह नहीं कहती कि ग्राहकों को छूट नहीं दी जा सकती.'
न्यायाधीश मनमोहन ने दिल्ली सरकार से इस बारे में हलफनामा देने को कहा कि क्या उसने कोई निश्चित न्यूनतम किराया तय किया है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 नवंबर की तारीख तय की गई है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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