
- आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार के नए स्कूल फीस कंट्रोल बिल को पेरेंट्स के हितों के खिलाफ बताया है.
- सौरभ भारद्वाज ने कहा कि नए कानून में फीस वृद्धि की शिकायत के लिए 15% पेरेंट्स का होना अनिवार्य किया गया है.
- उन्होंने सवाल किया कि अप्रैल महीने में जिन स्कूलों ने फीस बढ़ाई है, इस कानून से वह बढ़ी फीस कैसे वापस होगी.
आम आदमी पार्टी ने स्कूल फीस कंट्रोल बिल को लेकर दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है. पार्टी का आरोप है कि इस बिल के कारण पेरेंट्स की जेब ढीली होगी और निजी स्कूलों व शिक्षा माफिया की दिवाली मनेगी. सरकार द्वारा विधायकों को दिए गए बिल की कॉपी का हवाला देते हुए ‘‘आप'' के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि नए कानून में स्कूलों के ऑडिट का प्रावधान खत्म कर दिया गया है और बढ़ी फीस की शिकायत के लिए कम से कम 15 फीसदी पेरेंट्स का होना अनिवार्य किया गया है.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा सरकार अब मानसून सत्र में स्कूल फीस कंट्रोल कानून ला रही है. उस कानून की कॉपी विधायकों के पास भेजी गई है. उन्होंने कहा कि 1973 के कानून में प्रावधान था कि अगर किसी एक पैरेंट्स को भी लगता था कि गलत तरीके से फीस बढ़ी है तो वह शिक्षा निदेशक से शिकायत करता था. हालांकि नए कानून में प्रावधान है कि बढ़ी फीस की शिकायत करने के लिए कम से कम 15 फीसद पेंरेंट्स की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि इतने पेरेंट्स को कौन एकजुट करेगा? यह सीधे तौर पर एक षड़यंत्र है कि पेरेंट्स शिकायत ही नहीं कर पाए.
हर साल मनमाने ढंग से बढ़ेगी फीस: सौरभ भारद्वाज
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह कानून इतना लचर है कि इसके आने के बाद हर साल मनमाने ढंग से प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ेगी और पेरेंट्स शिकायत तक नहीं कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि इस कानून में फीस निर्धारण कमेटी में पांच सदस्य स्कूल की तरफ से होंगे और पांच सदस्य पेरेंट्स की तरफ से होंगे. यह कमेटी आपसी सलाह से फीस तय करेगी. स्कूल के पांच सदस्यों को स्कूल मालिक तय करेगा और पेरेंट्स के सदस्य लॉटरी से तय करेंगे. यह लॉटरी स्कूल मालिक निकालेगा. ऐसे में स्कूल मालिक अपने लोगों को कमेटी में शामिल करेगा, जो मनमानी फीस बढ़ाएगा.
ऑडिट कराने का कोई प्रावधान नहीं: सौरभ भारद्वाज
साथ ही कहा कि इस कानून में ऑडिट कराने का कोई प्रावधान नहीं है. इसका मतलब साफ है कि स्कूलों की ऑडिट कराने की सरकार की मंशा ही नहीं है.
उन्होंने कहा कि फरवरी में भाजपा की सरकार बनी और एक अप्रैल को जब स्कूलों में नया शैक्षिक सत्र शुरू हुआ तो लगभग सभी स्कूलों ने फीस बढ़ा दी. उन्होंने सीएम रेखा गुप्ता और शिक्षा मंत्री आशीष सूद से सवाल किया कि अप्रैल महीने में जिन स्कूलों ने फीस बढ़ाई है, इस कानून से वह बढ़ी फीस कैसे वापस होगी, यह बताएं.
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