दिल्ली गैंगरेप की वारदात के बाद देशभर में प्रदर्शन हुए थे (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
निर्भया के इंसाफ़ पर जश्न मना रहे समाज को एक और निर्भया की ख़बर नहीं है. ये मामला निर्भया के पहले का है और पिछले डेढ़ साल से सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर है. भारती (बदला हुआ नाम) इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसका बैग, डॉल, और किताबें, ये सब देखकर उसकी मां रोती रहती है. ये पांच साल से चला आ रहा सिलसिला है. उनकी 19 साल की बेटी तब गुड़गांव की एक कंपनी में डाटा ऑपरेटर थी. 9 फ़रवरी 2012 को तीन लड़के इंडिका से आए और दिल्ली में छावला इलाक़े के कुतुब विहार फेज 2 से उसे अगवा कर ले गए. वो अपनी सहेलियों के साथ लौट रही थी. उनकी बेटी का शव 5 दिन बाद 14 फरवरी को हरियाणा के रेवाड़ी से बरामद हुआ. जांच में पता चला कि उसके साथ गैंगरेप हुआ है. उसकी आंखों मे एसिड और पेचकस डाला गया, निजी अंग में शराब की बोतल डाली गई और उसकी पीट पीट हत्या कर दी गई. हत्या के बाद शव को जलाने की कोशिश भी हुई.
पुलिस ने इस मामले में 3 आरोपियों रवि, राहुल और विनोद को गिरफ्तार किया और मामला कछुए की चाल से कोर्ट में चलता रहा. कोर्ट कचहरी के चक्कर में भारती के पिता की चपरासी की नौकरी भी चली गई और मां को गहने भी बेचने पड़े. तभी 9 महीने बाद जब निर्भया का मामला सुर्खियों में आया तो ये परिवार भी इंसाफ की आस में जंतर मंतर जाने लगा. लेकिन इस परिवार को कोई खास मदद नहीं मिली.
भारती की मां के मुताबिक, "आरोपी कोर्ट में जब भी मिलते, कहते तुम्हारे पूरे परिवार को काट देंगे. हमें जब कभी धरने और प्रदर्शन के लिए जाना पड़ता था तो हमारे पास लोगों को ले जाने के लिए पैसे नहीं थे." इसी बीच एक सामाजिक संगठन किरण के इंसाफ के लिए आगे आया और फिर धरना प्रदर्शन शुरू हुआ. इस मामले में तीनों दोषियों को निचली अदालत और हाइकोर्ट से मौत की सज़ा मिल चुकी है. पिछले डेढ़ साल से मामला सुप्रीम कोर्ट में है. निर्भया के फैसले के बाद अब इस परिवार में भी इंसाफ की उम्मीद जगी है.
पुलिस ने इस मामले में 3 आरोपियों रवि, राहुल और विनोद को गिरफ्तार किया और मामला कछुए की चाल से कोर्ट में चलता रहा. कोर्ट कचहरी के चक्कर में भारती के पिता की चपरासी की नौकरी भी चली गई और मां को गहने भी बेचने पड़े. तभी 9 महीने बाद जब निर्भया का मामला सुर्खियों में आया तो ये परिवार भी इंसाफ की आस में जंतर मंतर जाने लगा. लेकिन इस परिवार को कोई खास मदद नहीं मिली.
भारती की मां के मुताबिक, "आरोपी कोर्ट में जब भी मिलते, कहते तुम्हारे पूरे परिवार को काट देंगे. हमें जब कभी धरने और प्रदर्शन के लिए जाना पड़ता था तो हमारे पास लोगों को ले जाने के लिए पैसे नहीं थे." इसी बीच एक सामाजिक संगठन किरण के इंसाफ के लिए आगे आया और फिर धरना प्रदर्शन शुरू हुआ. इस मामले में तीनों दोषियों को निचली अदालत और हाइकोर्ट से मौत की सज़ा मिल चुकी है. पिछले डेढ़ साल से मामला सुप्रीम कोर्ट में है. निर्भया के फैसले के बाद अब इस परिवार में भी इंसाफ की उम्मीद जगी है.
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