आईएएस अधिकारी राजेंद्र कुमार.
                                                                                                                        - केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बनते ही अपना सचिव नियुक्त किया था
 - राजेंद्र कुमार ने अपना एक एनजीओ बनाया है
 - 'फोरम फॉर डेमोक्रेसी,' के तहत लोगों को तरह-तरह के कोर्स के ऑफर
 
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सबसे खास, करीबी और चहेते माने जाने वाले उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहे IAS ऑफिसर राजेंद्र कुमार इन दिनों क्या कर रहे हैं? जो लोग भी राजेंद्र कुमार और अरविंद केजरीवाल के  रिश्ते को थोड़ा भी समझते हैं उनके मन में  राजेंद्र कुमार का नाम आते ही यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर  वह अफसर आजकल क्या कर रहा है जो एक समय में मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए वही हैसियत रखता था जैसी उप मुख्यमंत्री  मनीष सिसोदिया रखते हैं.
आईएएस ऑफिसर राजेंद्र कुमार ने अपना एक एनजीओ बनाया है जिसका नाम है 'फोरम फॉर डेमोक्रेसी,' जिसके तहत वह अब लोगों को तरह-तरह के कोर्स ऑफर कर रहे हैं. जो सबसे पहला कोर्स वह ऑफर कर रहे हैं उसका नाम है 'चुनाव कैसे जीतें.' अगर इस तरह का कोर्स कोई नेता या पॉलिटिकल साइंस का प्रोफेसर दे रहा होता तो बात समझ में आती है लेकिन राजेंद्र कुमार कोई नेता या पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर नहीं बल्कि 1989 बैच के वरिष्ठ आईएएस अफसर हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि राजेंद्र कुमार यह किस तरह के कोर्स अपने एनजीओ के जरिए लोगों को देना चाहते हैं और आखिर इस तरह के NGO बनाकर कोर्स कराने का क्या उद्देश्य हो सकता है?
यह भी पढ़ें : मेरी VRS की अर्जी डर की वजह से खारिज की गई: केजरीवाल के पूर्व प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार
राजेंद्र कुमार ने फिलहाल मीडिया से दूरी बनाई हुई है लेकिन उनके एनजीओ से जुड़े लोग बताते हैं कि दरअसल राजेंद्र कुमार समाज और सिस्टम में लोकतंत्र और उसके मूल्यों के प्रति जागरूकता फैलाना चाहते हैं और राजनीति उसका एक अहम हिस्सा है. देश के सिस्टम को सुधारने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है राजनीति को सुधारना और इसके लिए जरूरी है कि लोग इसमें आएं लेकिन केवल उन्हीं लोगों को राजनीति में आना चाहिए जिनका घर चलाने का या आजीविका का इंतजाम पहले से है और अलग है. उन लोगों को राजनीति में नहीं आना चाहिए जो अपनी आजीविका इसी राजनीति से चलाना चाहते हों या पैसा कमाना चाहते हों. इसका सीधा मतलब है कि केवल देश सेवा के लिए राजनीति में आएं अपनी सेवा के लिए नहीं. इस कोर्स में लोगों को राजनीति की बारीकियों के बारे में बताया जाएगा और बताने वालों में नेता लोग भी शामिल होंगे जो खुद इन रास्तों से गुजर चुके हैं और इन हालातों में काम कर चुके हैं.
कौन हैं राजेन्द्र कुमार?
राजेंद्र कुमार 1989 बैच के वरिष्ठ आईएएस ऑफिसर हैं. वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रिंसिपल सेक्रेटरी हुआ करते थे. दिसंबर 2015 में सीबीआई ने उन पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करते हुए उनके दफ्तर पर रेड की थी और जुलाई 2016 में गिरफ्तार किया था फिलहाल राजेंद्र कुमार के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और केस चल रहा है.
सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार राजेंद्र कुमार पर साल 2007 से 2015 के बीच दिल्ली सरकार से जुड़े विभिन्न ठेकों के आवंटन में धांधली करके सरकार को 12 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है. सीबीआई ने राजेन्द्र कुमार पर आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज किया है.
जुलाई 2016 में जब सीबीआई ने गिरफ्तार किया तब से वे सस्पेंड हैं. राजेंद्र कुमार पहले अफसर हैं जिनको अरविंद केजरीवाल ने दिसंबर 2013 में मुख्यमंत्री बनते ही अपना सचिव नियुक्त किया था राजेंद्र कुमार अरविंद केजरीवाल के कितने करीबी हैं इसका पता इस बात से चल जाता है कि जुलाई 2016 में जब सीबीआई ने उनको गिरफ्तार किया उसके बाद से आज तक 2 साल का समय बीत चुका है लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनकी जगह पर किसी दूसरे सेक्रेटरी या प्रिंसिपल सेक्रेटरी को नियुक्त नहीं किया है.
VIDEO : राजेंद्र कुमार की गिरफ्तारी और सियासत
VRS की भी मांग कर चुके हैं राजेन्द्र कुमार
राजेंद्र कुमार ने जनवरी 2017 में दिल्ली के मुख्य सचिव को 26 पन्नों का VRS लेटर लिखते हुए सीबीआई पर आरोप लगाते हुए कहा था कि 'वे मुझ पर दबाव बना रहे हैं कि मैं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम लेकर उनको फंसवा दूं तो वे मुझे जाने देंगे. शायद यही कारण है मुझे झूठे केस में फंसाने के लिए सीबीआई इस हद तक चली गई.' राजेंद्र कुमार ने यह कहते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस के लिए आवेदन दिया था. लेकिन गृह मंत्रालय ने राजेंद्र कुमार का VRS का आवेदन खारिज कर दिया.
                                                                        
                                    
                                आईएएस ऑफिसर राजेंद्र कुमार ने अपना एक एनजीओ बनाया है जिसका नाम है 'फोरम फॉर डेमोक्रेसी,' जिसके तहत वह अब लोगों को तरह-तरह के कोर्स ऑफर कर रहे हैं. जो सबसे पहला कोर्स वह ऑफर कर रहे हैं उसका नाम है 'चुनाव कैसे जीतें.' अगर इस तरह का कोर्स कोई नेता या पॉलिटिकल साइंस का प्रोफेसर दे रहा होता तो बात समझ में आती है लेकिन राजेंद्र कुमार कोई नेता या पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर नहीं बल्कि 1989 बैच के वरिष्ठ आईएएस अफसर हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि राजेंद्र कुमार यह किस तरह के कोर्स अपने एनजीओ के जरिए लोगों को देना चाहते हैं और आखिर इस तरह के NGO बनाकर कोर्स कराने का क्या उद्देश्य हो सकता है?
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राजेंद्र कुमार ने फिलहाल मीडिया से दूरी बनाई हुई है लेकिन उनके एनजीओ से जुड़े लोग बताते हैं कि दरअसल राजेंद्र कुमार समाज और सिस्टम में लोकतंत्र और उसके मूल्यों के प्रति जागरूकता फैलाना चाहते हैं और राजनीति उसका एक अहम हिस्सा है. देश के सिस्टम को सुधारने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है राजनीति को सुधारना और इसके लिए जरूरी है कि लोग इसमें आएं लेकिन केवल उन्हीं लोगों को राजनीति में आना चाहिए जिनका घर चलाने का या आजीविका का इंतजाम पहले से है और अलग है. उन लोगों को राजनीति में नहीं आना चाहिए जो अपनी आजीविका इसी राजनीति से चलाना चाहते हों या पैसा कमाना चाहते हों. इसका सीधा मतलब है कि केवल देश सेवा के लिए राजनीति में आएं अपनी सेवा के लिए नहीं. इस कोर्स में लोगों को राजनीति की बारीकियों के बारे में बताया जाएगा और बताने वालों में नेता लोग भी शामिल होंगे जो खुद इन रास्तों से गुजर चुके हैं और इन हालातों में काम कर चुके हैं.
कौन हैं राजेन्द्र कुमार?
राजेंद्र कुमार 1989 बैच के वरिष्ठ आईएएस ऑफिसर हैं. वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रिंसिपल सेक्रेटरी हुआ करते थे. दिसंबर 2015 में सीबीआई ने उन पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करते हुए उनके दफ्तर पर रेड की थी और जुलाई 2016 में गिरफ्तार किया था फिलहाल राजेंद्र कुमार के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और केस चल रहा है.
सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार राजेंद्र कुमार पर साल 2007 से 2015 के बीच दिल्ली सरकार से जुड़े विभिन्न ठेकों के आवंटन में धांधली करके सरकार को 12 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है. सीबीआई ने राजेन्द्र कुमार पर आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज किया है.
जुलाई 2016 में जब सीबीआई ने गिरफ्तार किया तब से वे सस्पेंड हैं. राजेंद्र कुमार पहले अफसर हैं जिनको अरविंद केजरीवाल ने दिसंबर 2013 में मुख्यमंत्री बनते ही अपना सचिव नियुक्त किया था राजेंद्र कुमार अरविंद केजरीवाल के कितने करीबी हैं इसका पता इस बात से चल जाता है कि जुलाई 2016 में जब सीबीआई ने उनको गिरफ्तार किया उसके बाद से आज तक 2 साल का समय बीत चुका है लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनकी जगह पर किसी दूसरे सेक्रेटरी या प्रिंसिपल सेक्रेटरी को नियुक्त नहीं किया है.
VIDEO : राजेंद्र कुमार की गिरफ्तारी और सियासत
VRS की भी मांग कर चुके हैं राजेन्द्र कुमार
राजेंद्र कुमार ने जनवरी 2017 में दिल्ली के मुख्य सचिव को 26 पन्नों का VRS लेटर लिखते हुए सीबीआई पर आरोप लगाते हुए कहा था कि 'वे मुझ पर दबाव बना रहे हैं कि मैं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम लेकर उनको फंसवा दूं तो वे मुझे जाने देंगे. शायद यही कारण है मुझे झूठे केस में फंसाने के लिए सीबीआई इस हद तक चली गई.' राजेंद्र कुमार ने यह कहते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस के लिए आवेदन दिया था. लेकिन गृह मंत्रालय ने राजेंद्र कुमार का VRS का आवेदन खारिज कर दिया.
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