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This Article is From Jan 06, 2023

"भारत की राजधानी में..." : मेयर चुनाव में हुए हंगामे के बाद CM केजरीवाल की LG को चिट्ठी

पत्र में कहा गया है कि यह " एकदम विचित्र" है कि एलजी उन मामलों पर "अवैध" और "असंवैधानिक" निर्णय ले रहे हैं जिनका उनके पास "कोई शक्ति नहीं" है.

"भारत की राजधानी में..." : मेयर चुनाव में हुए हंगामे के बाद CM केजरीवाल की LG को चिट्ठी
(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

दिल्ली के नवनिर्वाचित पार्षदों की पहली बैठक में आप और बीजेपी सदस्य आपस में भिड़ गए. इस कारण एमसीडी के मेयर का चुनाव रुक गया. इस घटना पर प्रतिक्रिया देते मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी की केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल को लिखे पत्र में कहा, " भारत की राजधानी दिल्ली की गवर्नेंस में अजीब चीजें हो रही हैं." 

पत्र में कहा गया है कि यह " एकदम विचित्र" है कि एलजी उन मामलों पर "अवैध" और "असंवैधानिक" निर्णय ले रहे हैं जिनका उनके पास "कोई शक्ति नहीं" है. उन्होंने कहा कि ब्यूरोक्रैट "अवैध" आदेशों का पालन करते हैं. साथ ही "निर्वाचित सरकार को दरकिनार और अनदेखा करते हैं", क्योंकि उपराज्यपाल का "नौकरशाही पर पूरा नियंत्रण होता है". 

बता दें कि शुक्रवार को उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त अस्थायी स्पीकर पर चुने गए सदस्यों के समक्ष नामित सदस्यों को शपथ दिलाने पर आम आदमी पार्टी द्वारा विरोध किए जाने के बाद एमसीडी की बैठक में बवाल मच गया. पार्षदों ने कुर्सियां एक दूसरे पर फेंकीं और टेबल कोभी धक्का दिया. एक ट्वीट में केजरीवाल ने इस कदम को "असंवैधानिक" भी करार दिया है. 

अपने पत्र में केजरीवाल ने एमसीडी में 10 सदस्यों के नामांकन का हवाला दिया और कहा कि सबसे वरिष्ठ सदस्य को शपथ ग्रहण के लिए अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया गया था, बल्कि इसके बजाय एक बीजेपी सदस्य को चुना गया था. उन्होंने कल भी इसी मुद्दे पर लिखे पत्र में यह बात कही थी.

आज के पत्र में एमसीडी विवाद का साफ तौर पर उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन इसके केंद्र में मुद्दों की बात की गई है. 

पत्र में कहा गया है, "आज तक, पिछले कई दशकों से, इन 10 सदस्यों को हमेशा दिल्ली की निर्वाचित सरकार द्वारा नामित किया जाता था." इस प्रथा का पालन पिछले एलजी अनिल बैजल ने भी किया था. हालांकि, वर्तमान एलजी ने अचानक 10 नाम लिखे और मुख्य सचिव को अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया. वहीं, मुख्य सचिव ने इसका अनुपालन किया. निर्वाचित सरकार को समाचार पत्रों से इसका पता चला. "

उन्होंने जोर देकर कहा कि उपराज्यपाल का कानूनी रूप से केवल तीन "आरक्षित" विषयों - पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि पर नियंत्रण होता है. जबकि बाकी सभी को "स्थानांतरित" विषय कहा जाता है और वे निर्वाचित सरकार के पास होते हैं. 

फिलहाल सक्सेना ने इस पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि, उन्होंने अतीत में कहा कि वे आदेश जारी करने के अपने अधिकारों के भीतर हैं. 

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