- राहत शिविर बंद होने घर वापस आए दिल्ली के दंगा पीड़ित
- महिला ने घर आने के बाद रो-रोकर सुनाई अपनी कहानी
- कहा- भीख मांगकर खाना पड़ रहा है खाना
उत्तरी पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों का घाव अभी भरा भी नहीं था कि कोरोनावायरस ने राहत शिविरों में रह रहे लोगों की तकलीफ बढ़ानी शुरू कर दी है. कोरोनावायरस के चलते उत्तर पूर्वी दिल्ली का सबसे बड़ा राहत शिविर ईदगाह को बंद कर दिया गया है, दंगा पीड़ितों को अपने घर वापस भेज दिया गया है. वापस भेजे गए लोग अपने घर पहुंच तो गए हैं, लेकिन वहां सब जल चुका है. पीड़ितों का कहना है कि घर में न तो खाना और न ही राशन, देशभर में लॉकडाउन है, जिसके चलते घरों से बाहर निकल सकते हैं, इस वजह से वे लोग पड़ोसियों से भीख मांग कर खाने को मजबूर हैं.
दंगा पीड़ित शिविर से वापस आए कुछ लोगों से एनडीटीवी से बातचीत की. शिव विहार इलाके में रहने वाली मुनीसा भी अपने घर वापस पहुंची हैं. उन्होंने बताया कि बेटी की शादी के लिए कुछ पैसे बचाकर रखे थे जो दंगों में खाक हो गए. उन्होंने रोते-रोते जले हुए कुछ 2000 और 500 के नोट दिखाए. उन्होंने कहा कि सब कुछ बंद हो गया. बस पड़ोसियों से मांग के खा रही हैं. उन्होंने बताया कि राशन मिल भी जाए तो पकाएंगी कैसे, न तो तेल है न ही गैस.
सभी राहत शिविर कोरोनावायरस महामारी के चलते बंद कर दिए गए. दंगा पीड़ितों के घर जले हुए हैं. उनके पास खाने के लिए राशन भी नहीं है. पड़ोसियों से भीख मांग कर खाना पड़ रहा है. यही नहीं, पास में दिल्ली सरकार का कोई शेलटर होम भी नहीं है.
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हाल ही में उत्तर पूर्वी दिल्ली में दो पक्षों में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी और कई जगहों पर मकानों को आग के हवाले कर दिया गया था.
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