दिल्ली दंगा मामले में तिहाड़ में जेल में बंद सफूरा जरगर को 10 हजार के मुचलके पर जमानत दे दी है. हाईकोर्ट ने उनके गर्भवती होने से मेडिकल आधार पर जमानत दी है. सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि केस की मेरिट पर ना जाकर उसे इस केस में जमानत पर कोई आपत्ति नहीं है. जमानत देते हुए कोर्ट ने शर्तें भी लगाई हैं जिसके मुताबिक इस दौरान वो किसी भी ऐसी गतिविधि में लिप्त नहीं होगी जिसमें उनकी जांच हो रही है. गवाहों और सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगी. दिल्ली छोड़कर बिना अदालत की इजाजत से कहीं नही जाएंगी और जांच में सहयोग करेंगी. कोर्ट ने साथ यह भी कहा कि ये केस मिसाल नहीं बनेगा. वहीं दिल्ली पुलिस के वकील तुषार मेहता ने कहा कि मानवीय आधार पर जमानत का विरोध नहीं कर रहे हैं.
आपको बता दें कि सफूरा को दिल्ली दंगों में साज़िश रचने का आरोप में 10 अप्रैल को गिरफ़्तार किया गया था. 13 अप्रैल को उन्हें ज़मानत मिलती है पर उन्हें एक दूसरी एफआईआर के आधार पर फिर से गिरफ़्तार कर लिया जाता है. 21 अप्रैल को उन पर UAPA एक्ट लगाया जाता है. 27 साल की सफूरा जामिया विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में पीएचडी कर रही हैं और वह जामिया कार्डिनेशन कमेटी की सदस्य भी हैं.
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