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किसी का हाथ जला, किसी की आंखों में आया बारूद... दिल्ली में दिवाली पर 250 से ज्यादा लोग झुलसे

दिवाली की शाम दिल्‍ली नोएडा और आस-पास शहरों में जमकर आतिशबाज़ी हुई, जिससे वायु प्रदूषण का स्‍तर कई जगह खतरनाक स्‍तर पर पहुंच गया है. साथ ही 250 से अधिक लोगों के झुलसने की घटनाएं भी सामने आई.

किसी का हाथ जला, किसी की आंखों में आया बारूद... दिल्ली में दिवाली पर 250 से ज्यादा लोग झुलसे
दिल्ली में दिवाली के अगले दिन सड़कों पर बिखड़े पड़े पटाखों के मलबों को साफ करता कर्मचारी.
नई दिल्ली:

Delhi Diwali Fire Incidents: दिवाली पर पटाखों से झुलसने के मामले काफी बढ़ गए. दिल्ली के तीन बड़े सरकारी अस्पताल (सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया और एम्स) से मिले डाटा के अनुसार दिवाली पर दिल्ली में 250 से अधिक लोग जले. इसमें किसी का हाथ जला तो किसी की आंखों में बारूद चला गया. हालांकि गनीमत यह रही कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों के झुलसने के बाद के बाद मौत जैसी अप्रिय घटना नहीं आई.

सफदरजंग में दो दिन में 129 बर्न इंजरी के केस

मिली जानकारी के अनुसार नई दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल में सिर्फ दो दिनों में ही 129 लोग अस्पताल पहुंचे. इनमें कई को भर्ती करना पड़ा और कुछ को सर्जरी भी करनी पड़ी. दो दिनों (19 और 20 अक्टूबर) में कुल 129 लोग दिवाली से जुड़े जलने के मामलों में आए. 19 अक्टूबर को 13 ओपीडी हुईं और 3 भर्ती हुए. फिर 20 अक्टूबर को 98 ओपीडी और 15 भर्ती हुए. 2 मरीजों की सर्जरी हुईं.

राम मनोहर लोहिया में दिवाली के दिन 68 मरीज पहुंचे

बात राम मनोहर लोहिया की करें तो यहां भी 20 अक्टूबर को दिवाली के दौरान झुलसकर कई मरीज भर्ती हुए. आरएमएल की ओपीडी में कुल बर्न हिस्ट्री से जुड़े कुल 68 मरीज आए. इसमें से 10 मरीज को भर्ती करना पड़ा. भर्ती 10 में एक क्रिटिकल बताया जाता है.

आरएमएल में पहुंचे मरीजों में सबसे अधिक उम्र 52 साल के है. जबकि सबसे कम उम्र का मरीज डेढ़ साल का बच्चा है. यहां बताया गया कि पटाखों से झुलसे 50 मरीज इलाज करवा कर वापस हुए.

एम्स में 60 मरीज पहुंचे, एक 4 महीने का बच्चा भी

एम्स द्वारा 19 अक्टूबर सुबह 8:00 बजे से 21 अक्टूबर दोपहर 2:00 बजे के जारी आंकड़ों में यहां झुलसने वाले कुल 60 मरीज आए. दीपावली की रात को एम्स में कुल 33 केस आए. इसमें एक 4 साल बच्चा भी था.

एम्स में दिवाली के दिन झुलसने वाले मरीज

  • 10 साल से कम उम्र: 1 (4 महीने का बच्चा)
  • 10 से 20 साल: 23
  • 20 से 40 साल: 27
  • 40 से 60 साल: 7
  • कुल भर्ती मरीज: 29
  • ICU में भर्ती: 10
  • वार्ड में भर्ती: 19
  • बहुत गंभीर मरीज: 3 (1 इलेक्ट्रिक झटका, 1 पोटाश ब्लास्ट, 1 आग और धुएं के साथ)
  • बड़े (गंभीर) जलने के मामले: 11 (जान या हाथ-पैर का खतरा)
  • अन्य जलने के मामले: 44
  • पटाखों से जलने के मामले: 48
  • पोटाश ब्लास्ट से: 7
  • दीये से जलने के मामले: 4
  • बिजली (लाइट) से जलना: 1
  • दिल्ली से: 57
  • एनसीआर से: 3
  • बाहर से: 1

सभी पोटाश जलने के मामले दिल्ली-एनसीआर के

  • आंखों में जलने के मामले: 16 (3 दोनों आंखों में)
  • हाथों में चोट के मामले: 48
  • इनमें से 13 में अंग या उंगली का नुकसान
  • बड़ी सर्जरी: 10
  • छोटी सर्जरी: 13

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