Arvind Kejriwal Resignation: दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए मंगलवार का दिन बेहद खास है. आज ही आम आदमी पार्टी (आप) को अपने मुख्यमंत्री का चयन करना है तो दूसरी ओर आज ही अरविंद केजरीवाल उपराज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने वाले हैं. यूं तो अरविंद केजरीवाल ने मन तो बना ही लिया होगा कि वह किसे अपनी जगह दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाएंगे, लेकिन पार्टी में किसी तरह का विवाद न हो, इसके लिए सोमवार को अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के नए सीएम के नाम को लेकर राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) की बैठक के दौरान पार्टी नेताओं के साथ ‘एक-एक करके' बातचीत की.
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कब होगा फैसला?
इस मीटिंग के बाद आप नेता और मुख्यमंत्री बनने के दौड़ में शामिल सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bharadwaj) ने बताया कि पार्टी की पीएसी की बैठक केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर हुई. बैठक के दौरान अरविंद केजरीवाल ने प्रत्येक नेता से मुख्यमंत्री के नाम को लेकर एक-एक करके उनकी राय ली. कल (मंगलवार को) विधायक दल की बैठक है. अब उसमें इस पर चर्चा होगी. जानकारी के अनुसार, आप के विधायक मंगलवार को दिन में साढ़े 11 बजे केजरीवाल के आवास पर बैठक करेंगे और दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में उनके उत्तराधिकारी के नाम पर चर्चा करेंगे. यह करीब 4 बजे तक चल सकती है. कारण यह है कि अरविंद केजरीवाल को शाम साढ़े चार बजे उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मुलाकात का समय दिया है और इसी दौरान वह अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं.
आतिशी और सौरभ क्यों दावेदार?
आबकारी नीति मामले में जमानत पर तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा था कि वह 48 घंटे के भीतर इस्तीफा देंगे और दिल्ली में जल्दी चुनाव कराने की मांग करेंगे. उन्होंने कहा था कि जब तक लोग उन्हें ‘‘ईमानदारी का प्रमाणपत्र'' नहीं दे देते, तब तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे. यूं तो सौरभ भारद्वाज के अलावा आतिशी का नाम सबसे आगे इस रेस में चल रहा है, लेकिन गिनती लंबी होती जा रही है. सौरभ और आतिशी (Atishi) का नाम इसलिए ज्यादा चर्चा में है, क्योंकि इन्हीं दोनों के पास अभी सबसे ज्यादा मंत्रालय हैं. आतिशी तो लाई ही गईं थीं मनीष सिसोदिया की जगह पर. अब मनीष सिसोदिया को लेकर भी अरविंद केजरीवाल ने कह दिया है कि जब तक जनता उनका ईमानदार मानकर वोट नहीं देती, तब तो उनके साथ सिसोदिया भी मंत्री नहीं बनेंगे.
सुनीता केजरीवाल क्यों नहीं?
मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में गोपाल राय से लेकर कुलदीप कुमार, कैलाश गहलोत, राघव चड्ढा, राखी बिड़लान तक की अटकलें हैं. हालांकि, सबसे मुखर माने जाने वाले संजय सिंह का दूर-दूर तक कोई नाम नहीं है. हालांकि, अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल (Sunita Kejriwal) की दावेदारी को लेकर भी खासी चर्चा है. हालांकि, इसमें दिक्कत सिर्फ एक कानून के जानकार बता रहे हैं कि सुनीता केजरीवाल अभी विधायक नहीं हैं. साथ ही दिल्ली में दूसरा सदन भी नहीं है. अगर केजरीवाल उन्हें मुख्यमंत्री बनाते हैं तो संविधान के अनुसार 6 महीने के अंदर सुनीता को विधायक बनकर विधानसभा में आना होगा. वहीं दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल ही फरवरी 2025 तक है. ऐसे में सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाने के चक्कर में पार्टी की और भी फजीहत हो सकती है. ऐसे में केजरीवाल जाहिर तौर पर सेफ साइड ही चलना पसंद करेंगे.हालांकि, रिस्क लेने में अरविंद केजरीवाल माहिर माने जाते हैं. हालांकि, ये तय है कि केजरीवाल बहुत ज्यादा भरोसेमंद को ही अपनी कुर्सी देंगे.
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