मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में रिकवरी का इंतजार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. यह संकेत कुछ टेक्निकल इंडिकेटर्स से मिल रहा है. बिटकॉइन के प्राइस में बड़ी गिरावट से क्रिप्टो मार्केट से जुड़ी फर्मों और इनवेस्टर्स को काफी नुकसान हुआ है.
लगभग दो महीने से इस सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी में गिरावट के बड़े कारणों में स्लोडाउन और अमेरिका के फेडरल रिजर्व सहित बहुत से देशों के सेंट्रल बैंक की ओर से इंटरेस्ट रेट्स में की गई बढ़ोतरी है. इसके अलावा इन्फ्लेशन बढ़ने का भी इस पर असर पड़ रहा है. Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, इस क्रिप्टोकरेंसी का प्राइस लगभग 22,600 डॉलर के इसके 200 सप्ताह के मूविंग एवरेज और लगभग 35,500 डॉलर के इसके 200 दिन के मूविंग एवरेज से नीचे आ गया है. यह पिछले एक महीने से अधिक से 200 सप्ताह के मूविंग एवरेज के आसपास है.
Valkyrie Investments का कहना है कि इंडिकेटर्स से इसमें तेजी आने का संकेत मिल रहा है लेकिन ऐसा कब तक होगा यह स्पष्ट नहीं है. आमतौर पर 200 सप्ताह के मूविंग एवरेज के आसपास रहने के तीन से छह महीने के बाद प्राइस में तेजी आने की संभावना होती है. लगभग तीन वर्ष पहले भी बिटकॉइन लगभग तीन महीने तक 200 सप्ताह के मूविंग एवरेज के आसपास रहा था. हालांकि, स्लोडाउन और क्रिप्टो मार्केट में बिकवाली जैसे अन्य कारणों से इसमें तेजी आने में लगभग एक वर्ष भी लग सकता है. कुछ अन्य टेक्निकल इंडिकेटर्स बिटकॉइन के लिए सपोर्ट के कुछ लेवल्स दिखा रहे हैं. यह 12,000 डॉलर से लगभग 20,000 डॉलर के बीच हैं. इससे बिटकॉइन में दोबारा बड़ी गिरावट आने की आशंका भी बन रही है.
बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों पर स्पॉट ट्रेडिंग जून में लगभग 27.5 प्रतिशत घटकर लगभग 1.41 लाख करोड़ डॉलर की रही. यह पिछले लगभग डेढ़ वर्ष का लो लेवल है. बिजनेस एनालिटिक्स फर्म MicroStrategy के CEO और क्रिप्टोकरेंसीज के समर्थक Michael Saylor ने हाल ही में बिटकॉइन की वास्तविक वैल्यू पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि अमेरिका में इन्फ्लेशन के 9.1 प्रतिशत के साथ रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचने और डॉलर के मुकाबले अन्य करेंसीज के कमजोर होने के साथ बहुत से लोगों को यह समझ नहीं आ रहा कि 1 बिटकॉइन की वैल्यू 1 बिटकॉइन से अधिक नहीं है. उन्होंने इससे यह स्पष्ट कर दिया कि वह क्रिप्टोकरेंसीज के प्राइस की तुलना सामान्य करेंसीज के साथ नहीं करते और बिटकॉइन के प्राइस पर मैक्रो इकोनॉमिक स्थितियों के कड़े दबाव के बावजूद इसकी वास्तविक वैल्यू पर असर नहीं पड़ा है.
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