रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरोप और अमेरिका समेत दुनिया के तमाम देश रूस पर प्रतिबंधों को बढ़ा रहे हैं. इसने रूस की इकॉनमी और करेंसी को कमजोर किया है. अब क्रिप्टो प्रतिबंधों से भी रूस को घेरने की कोशिश की जा रही है. जापान ने सोमवार को अपने देश के क्रिप्टो एक्सचेंजों को सलाह दी है कि वो रूस और बेलारूस से संबंधित फ्रीज क्रिप्टो असेट्स से जुड़े ट्रांजैक्शन नहीं करें. G7 देशों के एक बयान के बाद यह रिक्वेस्ट की गई है. बयान में कहा गया था कि पश्चिमी देश उन रूसी एक्टर्स पर कॉस्ट लगाएंगे, जो अपनी वेल्थ को बढ़ाने और ट्रांसफर करने के लिए डिजिटल असेट्स का इस्तेमाल करते हैं.
एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, G7 देशों को लगता है कि यूक्रेन पर हमला करने के बाद रूस पर जो वित्तीय प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनसे बचने के लिए रूसी कंपनियां और लोग क्रिप्टोकरेंसी की मदद ले सकते हैं.
अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने बीते शुक्रवार को एक नई गाइडलाइन में कहा है कि US-बेस्ड क्रिप्टोकरेंसी फर्मों को प्रतिबंधित संस्थाओं के साथ लेनदेन में शामिल नहीं होना चाहिए. जापान भी इस फैसले में अमेरिका के साथ नजर आ रहा है. उसकी फाइनेंशियल सर्विसेज एजेंसी (FSA) के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि हम G7 के फैसले के साथ हैं.
FSA ने कहा है कि टार्गेट्स के साथ अनधिकृत भुगतान करने पर सजा या जुर्माना लगाया जा सकता है. इस अनधिकृत भुगतान में क्रिप्टोकरेंसी के साथ-साथ नॉन फंजिबल टोकन भी शामिल हैं. ऐसे किसी मामले में तीन साल तक की जेल या लगभग 6.5 लाख रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है. आंकड़ों के अनुसार, जापान में 31 क्रिप्टो एक्सचेंज हैं.
गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. क्रिप्टोकरेंसी के रूप में मिल रहे फंड का इस्तेमाल यूक्रेन में खाने और ईंधन जैसी बुनियादी चीजों को खरीदने के लिए किया जा रहा है. क्रिप्टो एसेट का इस्तेमाल यूक्रेनी सौनिकों के लिए बुलेट-प्रूफ वेस्ट और नाइट विज़न गॉगल्स जैसे सैन्य उपकरण खरीदने के लिए भी किया जा रहा है. रूसी संस्थाओं ने भी क्रिप्टो का इस्तेमाल बढ़ा दिया है, लेकिन पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की वजह से उन्हें कामकाज में रुकावट का सामना करना पड़ रहा है.
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