
कुछ देशों के बीच तनाव के कारण ग्लोबल इकोनॉमी बदलाव के दौर से गुजर रही है. इलेक्ट्रिक कार मेकर टेस्ला के CEO, Elon Musk और बिजनेस इंटेलिजेंस फर्म माइक्रोस्ट्रैटेजी के को-फाउंडर, Michael Saylor का मानना है कि बढ़ती इन्फ्लेशन के खिलाफ बिटकॉइन एक हेज है. सेलर का अनुमान है कि डॉलर में इन्फ्लेशन अभी तक के हाई लेवल के पास रहेगी और बिटकॉइन की कमी के कारण क्रिप्टोकरंसी में इनवेस्टमेंट बढ़ेगा.
मस्क ने अगले कुछ वर्षों में इन्फ्लेशन की दर के अनुमान को लेकर ट्विटर पर एक चर्चा में कहा कि बढ़ती इन्फ्लेशन के बीच वह बिटकॉइन, Ether और Dogecoin में अपनी होल्डिंग बरकरार रखेंगे. मस्क के ट्वीट के जवाब में सेलर ने कहा कि डॉलर में कंज्यूमर इन्फ्लेशन अभी तक के हाई के करीब जाएगी और एसेट इन्फ्लेशन इससे दोगुनी रहेगी. उनका कहना था कि बिटकॉइन की कमी के कारण इसमें इनवेस्टमेंट में बढ़ोतरी होगी. रिसर्च फर्म Statista के अनुसार, अमेरिका में इन्फ्लेशन की वार्षिक दर 2011 में 3.2 प्रतिशत थी, जो पिछले वर्ष बढ़कर 4.7 प्रतिशत पर पहुंच गई. इससे संकेत मिल रहा है कि हाल के वर्षों में डॉलर की परचेजिंग पावर कमजोर हुई है.
इन्फ्लेशन बढ़ने के कारणों में कोरोना के अलावा रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध है. सेलर ने पिछले सप्ताह बिटकॉइन को गोल्ड की तरह एक सीमित रिसोर्स बताया था. उन्होंने कहा था कि केवल 2.1 करोड़ बिटकॉइन ही हमेशा उपलब्ध होंगे. बिटकॉइन की कुल सप्लाई में से लगभग 90 प्रतिशत की माइनिंग हो चुकी है. हालांकि, बहुत से देशों ने इलेक्ट्रिसिटी की अधिक खपत के कारण क्रिप्टो माइनिंग पर बंदिशें भी लगाई हैं. इनमें चीन और ईरान जैसे देश शामिल हैं. अमेरिका का टेक्सस क्रिप्टो माइनिंग का हब कहा जाता है और इस राज्य में भी इलेक्ट्रिसिटी की खपत बढ़ने के कारण माइनिंग का विरोध किया जा रहा है.
मस्क और सेलर की ओर से बिटकॉइन का पक्ष लेने का असर क्रिप्टो मार्केट पर भी दिखा है. इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने पर बिटकॉइन और इथर सहित कुछ क्रिप्टोकरंसीज के प्राइसेज में तेजी थी. मस्क इससे पहले भी क्रिप्टोकरंसीज के पक्ष में ट्वीट करते रहे हैं. उनकी कंपनी टेस्ला ने हाल ही में मर्चेंडाइज के लिए कस्टमर्स से क्रिप्टोकरंसी में भी पेमेंट लेने की जानकारी दी थी.