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This Article is From Dec 16, 2022

विदेशियों को जालसाजी का शिकार बनाने वाले इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड सिंडिकेट का पर्दाफाश

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की IFSO यूनिट, अमेरिका की FBI और कनाडा की कनेडियन लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसी ने मिलकर आरोपियों को धरदबोचा

विदेशियों को जालसाजी का शिकार बनाने वाले इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड सिंडिकेट का पर्दाफाश
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की IFSO यूनिट, अमेरिका की FBI और कनाडा की कनेडियन लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसी ने मिलकर एक इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है. इस सिंडिकेट ने टेक सपोर्ट के नाम पर अब तक करीब 20 हज़ार से ज्यादा विदेशी मूल के लोगों को अपनी जलसाजी का शिकार बनाया है. 

दरअसल एफबीआई ने दिल्ली पुलिस को सीबीआई के इंटरपोल विंग के जरिए संपर्क किया कि साइबर फ्राड का एक बड़ा सिंडिकेट दिल्ली और उसके आसपास के इलाके से ऑपरेट किया जा रहा है जिनके निशाने पर सीनियर सिटीजन होते हैं. इसके बाद एफबीआई ने दो पीड़ितों की शिकायत स्पेशल सेल को फारवर्ड की. इस शिकायत के अधार पर स्पेशल सेल ने जांच शुरू की और बाकी दोनों एजेंसियों के साथ जानकारी साझा की. 

इसके बाद स्पेशल सेल ने हर्षद मदान, जतिन लंबा और विकास को गिरफ्तार किया. कैनेडियन इन्फोर्समेंट एजेंसी ने टोरंटो से जयंत भाटिया जबकि एफबीआई ने न्यू जर्सी से कुलविंदर सिंह को एक ही दिन में गिरफ्तार किया. 

दिल्ली पुलिस और बाकी एजेंसियों ने इस तरह से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया ताकि इस पूरे गैंग का एक साथ पर्दाफाश किया जा सके और किसी एक देश में गिरफ्तारी के बाद दूसरे देश में बैठे उनके बाकी साथी फरार न हो सकें. पूछताछ के दौरान पता चला कि जतिन लंबा अपने भाई गगन के साथ मिलकर पीसी सपोर्ट और केयर के नाम से एक कंपनी चलता था. जालसजी का पैसा इसी कंपनी के मातहत टेक सपोर्ट के नाम पर कॉल सेंटर चलाया जाता था. 

ये लोग विदेश में बैठे सीनियर सिटीजन को अपना निशाना बनाते थे. ये सबसे पहले उनके कंप्यूटर पर पॉप-अप्स भेजकर उन्हें इस नाम पर डराते थे कि उनके कंप्यूटर में माइक्रोसॉफ्ट की समस्या आई होगी या फिर उनके साथ बड़ा धोखा होने वाला है. इसके बाद पीड़ित इनके झांसे में फंस जाते और फिर ये उनके कंप्यूटर को अपने कब्जे में ले लेते. टेक सपोर्ट के नाम पर उनसे ठगी करते थे. कई बार इन लोगों ने एक पीड़ित को कई बार अपनी जालसजी का शिकार बनाया है. 

पुलिस के मुताबिक 2010 से 2020 के बीच में गैंग ने करीब 20 हज़ार लोगों से 80 करोड़ रुपये की ठगी की है. इस मामले में अब तक तीनों देशों की एजेंसियों ने मिलकर 6 लोगों को गिरफ्तार किया है.

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