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राजस्थान: कैसे चकमा देता रहा पुलिस को शातिर हेरोइन तस्कर

नाबालिग तस्कर ने पुलिस को भ्रमित करने के लिए कई पैंतरे आजमाए, जिसके लिए उसने कई राज्यों से अलग-अलग मोबाइल नंबर लिए. कभी राजस्थान के सीकर, कभी झुंझुनू और कभी जैसलमेर के नंबर इस्तेमाल करता था.

राजस्थान: कैसे चकमा देता रहा पुलिस को शातिर हेरोइन तस्कर
  • राजस्थान पुलिस की एटीएस और नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने तीन दशक से ड्रग्स तस्करी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया
  • गिरोह को बाप और बेटे की जोड़ी चला रही थी, जिन्होंने पाकिस्तान में रिश्तेदारों की मदद से नेटवर्क फैलाया
  • नाबालिग बेटे ने कई राज्यों के मोबाइल नंबर इस्तेमाल कर पुलिस को भ्रमित करने के लिए तकनीकी चालाकी दिखाई
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राजस्थान पुलिस की एटीएस और नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो पिछले तीन दशक से पाकिस्तान से भारत तक ड्रग्स की तस्करी करने में लगा था. इस पूरे नेटवर्क को बाप और बेटे की जोड़ी चला रही थी. कुछ साल पहले जब पिता पुलिस के हत्थे चढ़ा, तो उसके नाबालिग बेटे ने रैकेट की कमान अपने हाथों में ले ली और इसे और विस्तार देने के लिए पाकिस्तान में रिश्तेदारों का सहारा लिया. जब इस मामले की पड़ताल की गई तो जांच में सामने आया कि यह नेटवर्क न केवल ड्रग्स तस्करी कर रहा था बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को भी चकमा देने के लिए कई चालें चल रहा था.

1. फोन खरीदकर पुलिस को गुमराह करना

नाबालिग तस्कर ने पुलिस को भ्रमित करने के लिए कई पैंतरे आजमाए, जिसके लिए उसने कई राज्यों से अलग-अलग मोबाइल नंबर लिए. कभी राजस्थान के सीकर, कभी झुंझुनू और कभी जैसलमेर के नंबर इस्तेमाल करता था. जब पुलिस कॉल इंटरसेप्ट करने की कोशिश करती, तो लोकेशन बार-बार बदल जाती थी. सोशल मीडिया पर उसका एक प्राइवेट अकाउंट झुंझुनू का था, लेकिन उसकी गतिविधियां लगातार गडरा रोड क्षेत्र से आ रही थीं. यह तकनीक उसे लंबे समय तक गिरफ्तारी से बचाती रही.

2. बार-बार लोकेशन बदलना

जब इस मामले की जांच में पुलिस की टीम जब झुंझुनू पहुंची, तो पता चला कि संदिग्ध नीमराना चला गया है. दिल्ली बॉर्डर पर एक चाय की दुकान से उसे पकड़ने की कोशिश हुई, लेकिन वह फैक्ट्री से बाहर आते ही भागने लगा. आखिरकार पुलिस ने उसे नीमराना में दबोच लिया और बाड़मेर लेकर आई. गिरफ्तारी से पहले उसने कई बार लोकेशन बदलकर पुलिस को गच्चा दिया.

3. इतने दिन कैसे चलता रहा ड्रग्स नेटवर्क?

नारकोटिक्स टास्क फोर्स के अनुसार, यह भी संभव है कि आरोपी डबल एजेंट की तरह काम कर रहा था और पाकिस्तान के लिए मुखबिरी करके सुरक्षा एजेंसियों को गुमराह करता रहा. इसी वजह से उस पर लंबे समय तक शक नहीं हुआ और वह गिरफ्त से बाहर रहा. पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि इस रैकेट का पहला आरोपी स्वरूप सिंह है, जिसकी बहन की शादी पाकिस्तान में हुई. वह बहन से मिलने के बहाने कई बार पाकिस्तान जाता था. ऊंट घुमाने जैसे बहाने बनाकर भी वह सीमा पार करता था और असल मकसद था ड्रग्स की खेप लाना और भारत में नेटवर्क फैलाना.

करीब 30 साल से यह गिरोह सिस्टम को चकमा देकर राजस्थान, दिल्ली और पंजाब तक अपना नेटवर्क फैला रहा था. पुलिस ने इस गिरोह को पकड़ने के लिए ऑपरेशन विषयुगम चलाया.

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