'बैंड बाजा बारात' गैंग का भंडाफोड़: लाखों रुपए में सालभर के लिए बच्चे लेते थे ठेके पर, फिर शादियों में करवाते थे चोरी

दिल्ली लाए जाने के बाद, बच्चों को एक महीने तक चोरी की ट्रेनिंग दी जाती थी कि शादियों में चोरी कैसे की जाती है और वेन्यू पर लोगों से कैसे घुलते-मिलते हैं.

'बैंड बाजा बारात' गैंग का भंडाफोड़: लाखों रुपए में सालभर के लिए बच्चे लेते थे ठेके पर, फिर शादियों में करवाते थे चोरी

एक नाबालिग सहित तीन संदिग्धों की पहचान की गई.

नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो दिल्ली और एनसीआर में बच्चों से गहने और कैश चोरी करवाते थे. ये गैंग मध्य प्रदेश का है और मध्य प्रदेश के 3 गांवों से बच्चों को ये लोग चोरी के लिए ठेके पर लेते थे. पुलिस के मुताबिक गैंग के लोग बच्चों के घरवालों को 10 से 12 लाख रुपए 1 साल का देते थे और फिर बच्चों से साल भर शादियों में चोरी करवाते थे. क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी रविंद्र यादव के मुताबिक दिल्ली और एनसीआर में एक ऐसा गिरोह सक्रिय था, जो शादियों में  शगुन,गहने और नगदी वाले बैग की चोरी कर रहा था. इस गैंग को पकड़ने के लिए क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर दलीप कुमार और एसीपी सुशील कुमार की देखरेख में एक टीम बनाई गई. क्राइम ब्रांच टीम ने शादी समारोहों के सभी उपलब्ध वीडियो फुटेज का विश्लेषण करना शुरू किया और बड़े बैंक्वेट हॉल, फार्म हाउसों में मुखबिरों को तैनात किया.

शादी समारोहों के सीसीटीवी फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग का विश्लेषण करने पर एक नाबालिग सहित तीन संदिग्धों की पहचान की गई. वीडियो फुटेज से यह खुलासा हुआ है कि संदिग्ध चोरी करने से पहले आयोजन स्थलों पर काफी समय बिताते थे और मेहमानों से घुल मिल जाते थे. फिर आराम से शादी समारोह में खाना खाते और मौका मिलते ही गहनों या नगदी से भरा बैग चोरी कर लेते और गायब हो जाते थे.

पुलिस टीम ने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के जरिए आरोपियों की पहचान की और एक नाबालिग समेत 3 लोगों को पकड़ा गया. पूछताछ के दौरान आरोपियों ने खुलासा किया कि वे मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के एक छोटे से गांव - गुलखेड़ी, कदिया, के रहने वाले है. शादी के मौसम में, वे शादी समारोहों के दौरान शादी के स्थानों पर चोरी करने के लिए दिल्ली और एनसीआर और उत्तर भारत के अन्य मेट्रो शहरों में जाते हैं. गिरोह के सरगना ने आगे खुलासा किया कि वे अपने गांव में 9 से 15 साल के बच्चों के माता-पिता को एक साल के लिए 10 - 12 लाख रुपये देने का झांसा देकर फंसाते थे.  एक बार सौदा तय हो जाने के बाद पैसा माता-पिता को दो या दो से अधिक किस्तों में सौंप दिया जाता था और बच्चे को एक साल के लिए चोरी के लिए रखा जाता.

दिल्ली लाए जाने के बाद, बच्चों को एक महीने तक चोरी की ट्रेनिंग दी जाती थी कि शादियों में चोरी कैसे की जाती है और वेन्यू पर लोगों से कैसे घुलते-मिलते हैं. बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत भी बनाया जाता है ताकि वे पकड़े जाने की स्थिति में अपनी और अपने गिरोह के सदस्यों की पहचान न बता सकें. बच्चों को शादी समारोह में भाग लेने के लिए अच्छे कपड़े पहनने और खाने के मैनर्स सिखाते थे. गिरोह में पुरुष और महिलाएं भी शामिल हैं, जो आमतौर पर किराए के घरों में रहते हैं और बच्चों को समारोहों में छोड़ देते हैं

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महिलाएं अपने बच्चों की तरह ही उनकी देखभाल करती थीं और बच्चों के असली माता-पिता को हर रोज बच्चों के बारे में जानकारी दी जाती थी. पकड़े गए लोगों में 24 साल का सोनू, 22 साल का किशन और नाबालिग है. सभी मध्य प्रदेश राजगढ़ के रहने वाले हैं,आरोपी पहले भी कई वारदातों में शामिल रहे हैं.