आपने कभी ऐसा सोचा है कि क्या हो अगर कोई साइबर ठग आपके खाते से चंद मिनट के अंदर ही 260 करोड़ रुपये की ठगी कर ले.स्वाभाविक सी बात है कि जिसके साथ ऐसा होगा उसकी तो रातों की नींद ही उड़ जाएगी. ऐसा ही कुछ हुआ था अमेरिका और कनाडा में रहने वाले बुजुर्गों के साथ. और ये ठगी हुई थी क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से. CBI की जांच में पता चला है कि दिल्ली-एनसीआर में बैठकर साइबर ठगों ने अमेरिका और कनाडा के नागरिकों को निशाना बनाकर उनसे 93 हजार से अधिक कनाडाई डॉलर ( 260 करोड़ रुपये) को क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया था. जांच में खुलासा हुआ है कि ये सारा खेल अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर के माध्यम से किया जाता है. इस मामले में तुषार खरबंदा, गौरव मलिक और अंकित जैन को गिरफ्तार किया था. इनके खिलाफ अब सीबीआई ने अपनी चार्जशीट भी दाखिल कर दी है.
आरसीएमपी अधिकारी बनकर इस ठगी को दिया था अंजाम
जांच में पता चला है कि गिरफ्तार आरोपियों में से एक तुषार खरबंदा ने आरसीएमपी (रॉयल कैनेडियन माउंडेट पुलिस) अधिकारी बनकर पीड़ितों को अपना शिकार बनाया. पूछताछ आरोपी खरबंदा ने माना कि उसने इन पीड़ितों को फोन करके बताया था कि उनकी आईडी का इस्तेमाल फ्रॉड के लिए किया जा रहा है.इसके बाद आरोपी ने पीड़ितों को मजबूर किया कि वो बताई गई रकम को अलग अलग क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट में ट्रांसफर कर दें. ये सभी वॉलेट खरबंदा और उसके साथियों के ही थे.
बीटीसी को यूएसडीटी में बदलता था अंकित
जांच के दौरान सीबीआई अधिकारियों को पता चला कि इस ठगी में खरबंदा के अलावा कई और लोग भी शामिल है. जांच में आगे अंकित जैन का नाम सामने आया. अंकित जैन वही आदमी था जिसने आरोपियों के लिए अलग-अलग क्रिप्टो वॉलेट को अरेंज किया था. जांच में पता चला कि वो अंकित ही था जिसने तुषार खरबंदा को विदेशी पीड़ितों से लिए गए बीटीसी को यूएसडीटी में बदलने में मदद की थी.
316 से अधिक बिटकॉइन हासिल किए गए थे
जांच में आगे पता चला कि खरबंदा और उसके सहयोगियों ने अपने बिटकॉइन वॉलेट में 316 से अधिक बिटकॉइन हासिल किए थे. जिसकी भारतीय रुपये के अनुसार कीमत 260 करोड़ रुपये बनती है. जांच में ये भी पता चला कि आरोपियों ने ठगी के इस पैसे को दुबई में निकाला था.
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