"ऐसा लगा डॉग या कोई बच्चा फंसा हुआ है" : कंझावला मामले के पहले चश्मदीद रोहित

सुबह 4:40 बजे पुलिस ने शव बरामद किया. पहली कॉल के ठीक 2 घंटे 22 मिनट बाद. रोहित के मुताबिक, उन्हें रास्ते में कोई पीसीआर नहीं मिली. उन्होंने कार को रोहिणी सेक्टर 22 की रेड लाइट पर देखा.

रोहित के मुताबिक पहले कार धीमी थी, फिर तेज हो गई. पुलिस को कॉल करके वो घर चला गया.

कंझावला मामले के पहले चश्मदीद रोहित ने सबसे पहले बलेनो कार को देखा था और दुर्घटना की जानकारी पुलिस को दी थी. एनडीटीवी को रोहित ने बताया कि उसे लगा कि कार में डॉग या कोई बच्चा फंसा हुआ है. रोहित ने रात 2:17- 2:18 बजे पुलिस को पहला कॉल किया और ये सब बताया. उसने कार का नंबर और रंग भी पुलिस को बताया.

रोहित के मुताबिक पहले कार धीमी थी, फिर तेज हो गई. कॉल करके वो घर चला गया. इसके बाद पुलिस के उसे 5-6 कॉल आए. रोहित के मुताबिक, उसने हेलमेट पहना हुआ था, इसलिए उसे कार की आवाज सुनाई नहीं दी. रोहित नए साल पर पार्टी कर अपने दोस्तों के यहां से लौट रहा था.

सुबह 4:40 बजे पुलिस ने शव बरामद किया. पहली कॉल के ठीक 2 घंटे 22 मिनट बाद. रोहित के मुताबिक, उन्हें रास्ते में कोई पीसीआर नहीं मिली. उन्होंने कार को रोहिणी सेक्टर 22 की रेड लाइट पर देखा. ये जगह घटनास्थल से 2-3 किलोमीटर दूर है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, वारदात के दो घंटे तक जोन व जिले के पुलिस अधिकारी सक्रिय नहीं हुए थे.

रोहिणी जिला और बाहरी दिल्ली जिला का इलाका है. दोनों जिलों के अधिकारियों में सही कॉर्डिनेशन नहीं था. रोहिणी जोन 1 में है, जबकि बाहरी दिल्ली जोन 2 में है. 11 किलोमीटर का इलाका रोहिणी जिले में, जबकि 2 किलोमीटर बाहरी जिले में पड़ता है. किसी भी यूनिट का रेस्पांस ठीक नहीं था. ढाई घंटे तक योजना भी नहीं बनी थी.

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