जिंबाब्वे क्रिकेटर ने फटे जूते की तस्वीर पोस्ट कर दिखाए हालात, दिग्गज कंपनी मदद को आगे आयी

विश्व कप 1983 से पहले एकदिनी अंतरराष्ट्रीय टीम का दर्जा हासिल करने वाले जिंबाब्वे को 1992 में टेस्ट दर्जा मिला लेकिन पिछले कुछ समय से टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जूझ रही है. देश फ्लावर बंधुओं एंडी और ग्रांट, एलिस्टेयर कैंपबेल, डेव हॉटन, हीथ स्ट्रीक और नील जॉनसन जैसे खिलाड़ी तैयार करने के बावजूद संघर्षरत है. इन खिलाड़ियों ने जिंबाब्वे का प्रतिनिधित्व करते हुए काफी सफलता हासिल की. 

जिंबाब्वे क्रिकेटर ने फटे जूते की तस्वीर पोस्ट कर दिखाए हालात, दिग्गज कंपनी मदद को आगे आयी

रियान बर्ल ने ट्विटर पर यही तस्वीर पोस्ट करते हुए मदद की गुहार लगायी थी.

हरारे:

हालात दिखाने का अपना-अपना अंदाज होता है. और कुछ ऐसे ही अनूठे अंदाज में जिंबाब्वे (Zimbabwe) के एक क्रिकेटर अपने पूरी दुनिया तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की है. और इस अंदाज से आसानी से समझा जा सकता है कि जिबाब्वे और उसकी क्रिकेट के हालात कितने ज्यादा खराब हैं. वास्तव में यह बहुत ही ज्यादा चिंताजनक और परेशान करने वाली बात है कि आज के दौर में एक इंटरनेशनल टीम के खिलाड़ियों के पास खेलने के लिए ढंग के जूते तक नहीं हैं. दरअसल वित्तीय संकट से हताश जिंबाब्वे के बल्लेबाज रेयान बर्ल (Ryan Burl) ने देश के क्रिकेट की खस्ताहाल की ओर ध्यान खींचते हुए फटे हुए जूतों की तस्वीर पोस्ट करके राष्ट्रीय टीम के प्रायोजन का आग्रह किया है. बहरहाल, अच्छी बात यह रही कि भले ही टीम को प्रायोजक मिले या न मिले, लेकिन दिग्गज कंपनी तुरंत उनकी मदद को आगे आ गई है.

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बायें हाथ के मध्यक्रम के बल्लेबाज 27 साल के बर्ल (Ryan Burl) ने जिंबाब्वे की ओर से तीन टेस्ट, 18 एक दिनी अंतरराष्ट्रीय और 25 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले हैं. उन्होंने अपने जूतों की तस्वीर, गोंद और इसे ठीक करने के लिए कुछ सामान की तस्वीर ट्वीट की है. जब कुछ क्रिकेट बोर्ड प्रायोजन से ही करोड़ों डॉलर कमा रहे हैं तब बर्ल ने ट्वीट करके पूछा, ‘‘क्या कोई संभावना है कि हमें कोई प्रायोजक मिले जिससे कि हमें प्रत्येक श्रृंखला के बाद अपने जूते चिपकाने नहीं पड़ें.' बहरहाल, जिंबाब्वे टीम को प्रायोजक कब मिलेगा, यह तो समय ही बताएगा,  लेकिन रियान की अपील के कुछ घंटे बाद ही दिग्गज कंपनी प्यूमा उनकी मदद के  लिए सामने आयी. प्यूमा ने रियान के ट्वीट पर जवाब देते हुए कहा कि अब गोंद अलग उठा कर रख दें. 


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विश्व कप 1983 से पहले एकदिनी अंतरराष्ट्रीय टीम का दर्जा हासिल करने वाले जिंबाब्वे को 1992 में टेस्ट दर्जा मिला लेकिन पिछले कुछ समय से टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जूझ रही है. देश फ्लावर बंधुओं एंडी और ग्रांट, एलिस्टेयर कैंपबेल, डेव हॉटन, हीथ स्ट्रीक और नील जॉनसन जैसे खिलाड़ी तैयार करने के बावजूद संघर्षरत है. इन खिलाड़ियों ने जिंबाब्वे का प्रतिनिधित्व करते हुए काफी सफलता हासिल की. 

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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने सरकारी हस्तक्षेप के कारण 2019 में देश के क्रिकेट बोर्ड को निलंबित कर दिया और पिछले साल टीम को टी20 विश्व कप क्वालीफायर में हिस्सा लेने से भी रोक दिया. बाद में हालांकि जिंबाब्वे को बहाल कर दिया गया. हाल में पाकिस्तान ने जिंबाब्वे में दो टेस्ट की श्रृंखला में क्लीनस्वीप करने के अलावा टी20 श्रृंखला 2-1 से जीती.

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