श्रीलंका दौरे पर ज़हीर खान, उमेश यादव, विनय कुमार, अशोक डिंडा के ऊपर ही टीम इंडिया की तेज़ गेंदबाज़ी की बागडोर होगी। लंका की स्लो और लो होती पिचों पर इन गेंदबाज़ों को ही शुरुआत में विकेट झटकाकर लंकाई चीतों को बैकफुट पर धकेलना होगा।
ज़हीर खान 4 महीने के आराम के बाद टीम इंडिया में वापसी कर रहे हैं। ज़हीर श्रीलंका में तेज़ गेंदबाज़ों के लीडर होंगे और सबसे अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ होने के कारण विकेट लेने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर होगी।
हालात चाहे कैसे भी हों लेकिन ज़हीर गेंद को स्विंग और बाद में रिवर्स स्विंग कराने में माहिर हैं।
ज़हीर बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के खिलाफ कारगार साबित हुए हैं और इन-फॉर्म संगकारा को सस्ते में समेटने के लिए धोनी उन्हीं पर भरोसा करेंगे। ज़हीर का रिकॉर्ड भी श्रीलंकाई ज़मीन पर अच्छा है। ज़हीर ने श्रीलंका में 32 मैच खेले हैं और करीब 29 की औसत से 43 विकेट झटके हैं।
उमेश यादव भारत के सबसे तेज़ तर्रार गेंदबाज़ों में से एक हैं। 24 साल के इस नौजवान को उनकी तेज़ गेंदबाज़ी की वजह से नाम मिला है नागपुर एक्सप्रेस। उमेश पर श्रीलंका की बेजान पिचों पर अपनी कंधों की ताकत से बाउंस और स्पीड निकालने का दारोमदार होगा। खासतौर पर नई गेंद का उमेश को भरपूर फायदा उठाना होगा। उमेश का यह पहला श्रीलंकाई दौरा है लिहाज़ा उन्हें सीखने को भी काफी कुछ मिलेगा। वैसे 15 वनडे पुराने उमेश का वनडे से ज्यादा टेस्ट में प्रदर्शन अभी तक बेहतर रहा है।
विनय कुमार न तो गेंद को बहुत ज्यादा स्विंग कराते है न ही उनकी गेंदों में वह रफ्तार है। लेकिन लाइन लेंथ पकड़कर गेंदबाज़ी करना और स्लो गेंद का बेहतरीन इस्तेमाल करने की कला उन्हें बखूबी आती है।
विनय पर मिडिल ओवरों में रनों को सुखाने की जिम्मेदारी होगी।
लेग कर्टस की वजह से विनय की गेंदों को हल्के में लेना श्रीलंकाई गेंदबाज़ों को भारी भी पड़ सकता है। 22 वनडे पुराने विनय का भी ये पहला श्रीलंका दौरा है और उनके करियर के लिए काफी अहम भी क्योंकि श्रीलंका की ज़मीन पर प्रदर्शन विनय के करियर की दिशा काफी हद तक तय कर देगा।
आईपीएल और रणजी मैचों में जोश और जज्बे से भरपूर इस गेंदबाज़ ने सबको प्रभावित किया है। अशोक डिंडा का नाम काफी वक्त से घरेलू सर्किल में धमाल मचा रहा है और अबा बारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को साबित करने की है। श्रीलंका में 2010 में हुए एशिया कप में डिंडा को 1 मैच खेलने का अनुभव है। 2012 में हुए एशिया कप में भी डिंडा टीम का हिस्सा थे लेकिन वह कोई कमाल नहीं कर पाए। डिंडा के पास अच्छा गेंदबाज़ होने के सारे गुण मौजूद है और श्रीलंका में इस बार उन्हें अपनी उपयोगिता साबित करनी ही होगी।
ज़हीर खान 4 महीने के आराम के बाद टीम इंडिया में वापसी कर रहे हैं। ज़हीर श्रीलंका में तेज़ गेंदबाज़ों के लीडर होंगे और सबसे अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ होने के कारण विकेट लेने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर होगी।
हालात चाहे कैसे भी हों लेकिन ज़हीर गेंद को स्विंग और बाद में रिवर्स स्विंग कराने में माहिर हैं।
ज़हीर बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के खिलाफ कारगार साबित हुए हैं और इन-फॉर्म संगकारा को सस्ते में समेटने के लिए धोनी उन्हीं पर भरोसा करेंगे। ज़हीर का रिकॉर्ड भी श्रीलंकाई ज़मीन पर अच्छा है। ज़हीर ने श्रीलंका में 32 मैच खेले हैं और करीब 29 की औसत से 43 विकेट झटके हैं।
उमेश यादव भारत के सबसे तेज़ तर्रार गेंदबाज़ों में से एक हैं। 24 साल के इस नौजवान को उनकी तेज़ गेंदबाज़ी की वजह से नाम मिला है नागपुर एक्सप्रेस। उमेश पर श्रीलंका की बेजान पिचों पर अपनी कंधों की ताकत से बाउंस और स्पीड निकालने का दारोमदार होगा। खासतौर पर नई गेंद का उमेश को भरपूर फायदा उठाना होगा। उमेश का यह पहला श्रीलंकाई दौरा है लिहाज़ा उन्हें सीखने को भी काफी कुछ मिलेगा। वैसे 15 वनडे पुराने उमेश का वनडे से ज्यादा टेस्ट में प्रदर्शन अभी तक बेहतर रहा है।
विनय कुमार न तो गेंद को बहुत ज्यादा स्विंग कराते है न ही उनकी गेंदों में वह रफ्तार है। लेकिन लाइन लेंथ पकड़कर गेंदबाज़ी करना और स्लो गेंद का बेहतरीन इस्तेमाल करने की कला उन्हें बखूबी आती है।
विनय पर मिडिल ओवरों में रनों को सुखाने की जिम्मेदारी होगी।
लेग कर्टस की वजह से विनय की गेंदों को हल्के में लेना श्रीलंकाई गेंदबाज़ों को भारी भी पड़ सकता है। 22 वनडे पुराने विनय का भी ये पहला श्रीलंका दौरा है और उनके करियर के लिए काफी अहम भी क्योंकि श्रीलंका की ज़मीन पर प्रदर्शन विनय के करियर की दिशा काफी हद तक तय कर देगा।
आईपीएल और रणजी मैचों में जोश और जज्बे से भरपूर इस गेंदबाज़ ने सबको प्रभावित किया है। अशोक डिंडा का नाम काफी वक्त से घरेलू सर्किल में धमाल मचा रहा है और अबा बारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को साबित करने की है। श्रीलंका में 2010 में हुए एशिया कप में डिंडा को 1 मैच खेलने का अनुभव है। 2012 में हुए एशिया कप में भी डिंडा टीम का हिस्सा थे लेकिन वह कोई कमाल नहीं कर पाए। डिंडा के पास अच्छा गेंदबाज़ होने के सारे गुण मौजूद है और श्रीलंका में इस बार उन्हें अपनी उपयोगिता साबित करनी ही होगी।
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