
टीम इंडिया को WTC Final जीतने में आईपीएल से मिलेगा ये खास मंत्र
भारत और ऑस्ट्रेलिया (IND vs AUS WTC Final) के बीच 7 से 11 जून तक इंग्लैंड के द ओवल में खेला जाएगा. ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल के लिए भारत को इंदौर टेस्ट में हराकर ही क्वालिफाई कर लिया था लेकिन भारत की एंट्री न्यूज़ीलैंड के खिलाफ श्रीलंका की हार से तय हो गई. अब बड़ा सवाल ये है कि 31 मार्च से आईपीएल सीज़न 16 शुरू होने जा रहा है, जोकि 28 मई तक चलेगा. ऐसे में टीम इंडिया विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल जीतने की तैयारी कैसे करेगी? इसे लेकर हर किसी के मन में सवाल है. क्योंकि आईपीएल 2023 समाप्त होने के एक हफ्ते बाद ही WTC फाइनल खेला जाना है.
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खास बात ये है कि आईपीएल और WTC फाइनल में अलग-अलग तरह की गेंद का इस्तेमाल किया जाना है. भारत में एसजी गेंद (SG Ball) का इस्तेमाल होता है तो वहीं इंग्लैंड में ड्यूक (Duke Ball). तो आपको बता दें कि टीम इंडिया आईपीएल के दौरान ही विश्व टेस्ट चैंपियनशिप जीतने क तैयारी करेगी. तैयारी किस तरह से होगी. आइए ये भी जान लेते हैं.
WTC फाइनल में IPL से मिलेगी ये मदद
बता दें कि आईपीएल में देसी और विदेशी खिलाड़ी अपने हुनर का प्रदर्शन करते हुए नज़र आएंगे. लेकिन इसी बीच टीम इंडिया विश्व टेस्ट चैंपियनशिप जीतने की तैयारी भी करेगी. ऐसा इसलिए संभव हो पाएगा क्योंकि इंडियन क्रिकेटर्स आईपीएल के दौरान Duke Ball से प्रैक्टिस करते हुए नज़र आएंगे.
बता दें कि इस समय विश्व क्रिकेट में तीन तरह की गेंदों का इस्तेमाल किया है. एसजी की गेंदों का इस्तेमाल केवल भारत में ही होता है. कूकाबुरा, एसजी और ड्यूक बॉल्स. कूकाबुरा की गेंद ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, न्यूज़ीलैंड, श्रीलंका और पाकिस्तान समेत कई और देशों में यूज़ की जाती हैं. वहीं ड्यूक बॉल्स इंग्लैंड आयरलैंड और वेस्टइंडीज़ में इसेतमाल की जाती हैं. अगर देखा जाए तो आईसीसी की तरफ से देशों के बीच होने वाली सीरीज़ को लेकर कोई खास नियम नही है.
जानें ड्यूक, कूकाबुरा और एसजी गेंदों की खासियत
1.ड्यूक बॉल: ड्यूक बॉल दरअसल इंग्लैंड में ही तैयार की जाती हैं. इनकी खासियत ये है कि ये इनकी सिलाई हाथों की जाती है इसलिए इनकी सीम उभरी हुई होती है. जिससे तेज़ गेंदबाजों को खासी मदद मिलती है. बॉल लगभग 60 ओवर तक हार्ड बनी रहती है और 20 से 30 ओवर्स के बाद ही गेंदबाज़ों को इससे रिवर्स स्विंग मिलने लग जाती है.
2.कूकाबुरा बॉल: कूकाबुरा बॉल्स की सिलाई मशीन से की जाती है और ये ऑस्ट्रेलिया में ही बनाई जाती हैं. इनकी सीम कुछ दबी हुई होती है. दबी सीम के चलते ये स्पिनर्स के लिए ज्यादा मददगार नहीं होती. लेकिन शुरुआत के 20 से 30 ओवर तक फास्ट बॉलर्स को काफी मदद करती हैं.
3.एसजी बॉल: एसजी गेंद केवल भारत में ही बनती हैं और भारत में ही इस्तेमाल की जाती हैं. ड्यूक की तरह ही एसजी की सिलाई हाथ से की जाती है, सीम भी उसी तरह उभरी हुई होती है. जिसके चलते तेज़ गेंदबाज़ों के बजाय स्पिनर्स के लिए ये काफी मददगार होती हैं.
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