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This Article is From Oct 10, 2013

आखिर बड़े मंच पर क्यों फेल हो जाती है टीम इंडिया

नई दिल्ली:

भारतीय मैदानों पर एक सीज़न में 100 से भी ज़्यादा टी-20 मैच खेले जाते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैचों में इसका लाभ कम ही नज़र आता है... सो, आखिर क्या वजह है कि जब बड़ा मंच आता है, दूसरे देश बाज़ी मार ले जाते हैं...

दुनिया की सबसे कामयाब लीग इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) भारत में ही है... चैम्पियन्स लीग टी-20 में भी भारतीय सितारे सुपरहिट रहते हैं, लेकिन पता नहीं, ट्वेन्टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में इन्हीं सितारों को क्या हो जाता है... सुनकर हैरानी भी होती है, अफसोस भी, लेकिन सच तो यही है कि आईपीएल और चैम्पियन्स लीग में धूम मचाने वाले टीम इंडिया के टी-20 खिलाड़ी जैसे ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलते हैं, उनके फॉर्म नदारद हो जाते हैं...

वर्ष 2007 में टी-20 का पहला विश्वकप भारत के नाम रहा था... उसके तुरन्त बाद वर्ष 2008 में आईपीएल शुरू हुआ, और खिलाड़ियों को पैसों के साथ-साथ क्रिकेट के टी-20 फॉरमैट में महारत हासिल करने का भी मौका मिला...

लेकिन, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की टी-20 रैंकिंग को देखें तो हैरानी होती है... श्रीलंका की टीम 128 अंकों के साथ टॉप पर है... दूसरे नंबर पर पाकिस्तान की टीम है, जिसके 125 अंक हैं... इस लिस्ट में टीम इंडिया 121 अंकों के साथ तीसरे नंबर पर हैं... इतना ही नहीं, टेस्ट और वन-डे रैंकिंग में जहां भारतीय बल्लेबाज छाए रहते हैं, वहीं टी-20 रैंकिंग में भारतीय खिलाड़ियों को ढूंढ़ना तक मुश्किल हो जाता है...

टी-20 के बल्लेबाजों की सूची में एकलौते भारतीय विराट कोहली हैं, जो छठे नंबर पर हैं... टी-20 गेंदबाजों की सूची में कोई भी भारतीय शामिल नहीं है... और ऑलराउंडरों में भी युवराज सिंह इकलौते भारतीय खिलाड़ी हैं, और चौथे नंबर पर हैं...

सो, अब सिर्फ यही उम्मीद कर सकते हैं कि आईपीएल और चैम्पियन्स लीग में धमाल मचा देने वाले भारतीय धुरंधर अंतरराष्ट्रीय मैचों में भी टीम की तरह खेलें, और कमाल दिखाकर प्रशंसकों को खुश होने का मौका और वजह दें...

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