नई दिल्ली:
पाकिस्तान के खिलाफ पहले ही शृंखला गंवा चुकी भारतीय टीम ने रविवार को फिरोजशाह कोटला मैदान में खेले आए आखिरी एकदिवसीय व अपने 'सम्मान की जंग' में 10 रन से जीत हासिल की।
बेहद रोमांचक रहा यह लो स्कोरिंग मुकाबला आखिरी ओवरों तक सांसे थामने वाला भी था। 49वें ओवर में इशांत शर्मा की पांचवीं गेंद पर युवराज सिंह ने पाकिस्तानी बल्लेबाज मोहम्मद हफीज का जब कैच पकड़ा तभी लोगों ने राहत की सांस ली। यह जीत इंग्लैंड के खिलाफ होने वाले एकदिवसीय मुकाबले से पहले भारतीय टीम को ऊर्जा दे गई।
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को उनकी शानदार कप्तानी और भारत की ओर से सर्वाधिक 36 रनों की पारी के लिए मैन ऑफ द मैच के पुरस्कार से नवाजा गया जबकि शृंखला में दो शतक लगाने वाले पाकिस्तानी सलामी बल्लेबाज नासिर जमशेद को मैन ऑफ द सीरिज का पुरस्कार दिया गया।
जीत के बाद कप्तान धोनी ने इसका श्रेय गेंदबाजों और क्षेत्ररक्षकों को दिया। उन्होंने कहा, "168 का स्कोर काफी नहीं है लेकिन हमें मुकाबला करना चाहिए। स्पिनरों ने आज शानदार खेल दिखाया लेकिन मेरा मैन ऑफ द मैच हमारे क्षेत्ररक्षक हैं।"
पाकिस्तानी कप्तान मिस्बाह उल हक ने कहा, "भारतीय खिलाड़ियों ने बहुत अच्छी गेंदबाजी की और उनका क्षेत्ररक्षण तो लाजवाब रहा। हमार कोशिश थी कि हम नई गेंद का ठीक से सामना करे और उससे उबरें लेकिन पुरानी होने पर भी गेंद स्पिन और स्विंग कर रही थी। रन बनाना आसान नहीं था।"
इस मुकाबले में भारतीय बल्लेबाजों ने एक बार फिर निराश किया लेकिन गेंदबाजों व कमाल के क्षेत्ररक्षण ने टीम की लाज रख ली। इशांत शर्मा (36/3) के नेतृत्व में अपने गेंदबाजों के साहसिक प्रदर्शन और क्षेत्ररक्षकों की अथक मेहनत की बदौलत भारत ने पकिस्तान को 10 रन से हराकर सीरिज क्लीनस्वीप करने के पाकिस्तान के अरमानों पर पानी फेर दिया। पाकिस्तान ने यह शृंखला 2-1 से जरूर जीत ली।
इस जीत ने भारतीय टीम को नए साल में मुस्कुराने का मौका दिया है क्योंकि 2012 के अंतिम मैच (ट्वेंटी-20) में पाकिस्तान ने उसे हराया था। इसके बाद नए साल 2013 के पहले मैच (एकदिवसीय) में पाकिस्तान ने भारत को कोलकाता में पराजित किया।
भारत ने पाकिस्तान के सामने 168 रनों का लक्ष्य रखा था। यह लक्ष्य ऐसा नहीं था, जिसे लेकर पाकिस्तान को चिंता करने की जरूरत थी क्योंकि उसके बल्लेबाज शानदार फार्म में थे लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने पाकिस्तान के लिए कठिन हालात पैदा किए और मैच उससे छीन लिया।
पाकिस्तानी टीम लक्ष्य का पीछा करते हुए 48.5 ओवरों में 157 रन ही बना सकी। भारत की ओर से इशांत ने तीन विकेट लिए जबकि रविचंद्रन अश्विन और भुवनेश्वर कुमार ने दो-दो विकेट लिए। अपना पहला मैच खेल रहे शमी अहमद ने बेहद प्रभावित किया और नौ ओवरों में चार मेडन के साथ 23 रन खर्च करते हुए एक विकेट लिया। रवींद्र जडेजा को भी एक सफलता मिली।
भारत ने 14 रन के कुल योग पर पाकिस्तान के दो विकेट झटककर अच्छी शुरुआत की थी लेकिन नासिर जमशेद, मिस्बाह उल हक और उमर अकमल के बीच हुई उपयोगी साझेदारियों ने भारतीय दर्शकों के लिए मैच को नीरस बना दिया था लेकिन इन सबके बावजूद गेंदबाजों ने आस नहीं छोड़ी और लगातार प्रयास करते रहे।
गेंदबाजों का ही जोरदार प्रयास था कि पाकिस्तान का भी कोई बल्लेबाज अर्द्धशतक नहीं लगा सका। मिस्बाह ने सबसे अधिक 39 रन बनाए जबकि नासिर ने 34 रन जोड़े। उमर अकमल ने 25 रनों का पारी खेली। चोट के कारण पारी की शुरुआत से महरूम रहे मोहम्मद हफीज ने अंतिम समय में इशांत की गेंदों पर दो चौके लगाकर पाकिस्तान को लक्ष्य तक पहुंचाने का प्रयास किया लेकिन 49वें ओवर की पांचवीं गेंद पर वह मिडविकेट में युवराज के हाथों लपके गए।
नासिर, मिस्बाह और उमर के प्रयासों के कारण ऐसा लग रहा था कि भारत को 1983-84 के बाद अपने घर में किसी एकदिवसीय शृंखला के सभी मैचों में हार मिलेगी लेकिन गेंदबाजों ने इस सम्भावना को सच में तब्दील होने से बचा लिया।
इससे पहले, हाड़ कंपा देने वाली सर्दी के बीच भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 43.4 ओवरों का सामना किया। भारत की ओर से कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने एक बार फिर सबसे अधिक 36 रन बनाए। धोनी ने 55 गेदों पर एक चौके और तीन छक्के लगाए।
सुरेश रैना ने 31 रनों का योगदान दिया। रवींद्र जडेजा ने 27 रन बनाए। जडेजा के रूप में भारत का अंतिम विकेट गिरा। इस मैच में टॉस अहम माना जा रहा था क्योंकि मौसम में नमी थी। जीतने वाली टीम अगर गेंदबाजी करती तो उसे फायदा होता लेकिन भारतीय कप्तान ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया।
भारत की शुरुआत खराब रही। दिल्ली के अब तक के सबसे सफल क्रिकेट स्टार वीरेंद्र सहवाग के स्थान पर अंतिम एकादश में शामिल किए गए अंजिक्य रहाणे इस मौके को भुना नहीं सके और 19 के कुल योग पर मोहम्मद इरफान की गेंद पर आउट हुए। रहाणे चार रन बना सके। यह रन रहाणे ने अपने हिस्से में आए एकमात्र चौके की मदद से बनाए।
सहवाग के साथ-साथ गौतम गम्भीर के स्थान पर भी तलवार लटक रही थी। गम्भीर से अच्छी पारी की उम्मीद थी लेकिन वह भी 15 रन बनाकर आउट हो गए। गम्भीर को इरफान ने उमर अकमल के हाथों कैच कराया।
गम्भीर ने 27 गेंदों पर एक चौका लगाया। इस श्रृंखला में एक बार फिर भारतीय सलामी जोड़ी नाकाम रही। इस कारण अब मध्य क्रम पर पारी को सुधारने की जिम्मेदारी आ गई। यह जिम्मेदारी उठानी थी दिल्ली के वंडरब्वाय विराट कोहली और युवराज सिंह को, लेकिन दोनों ही नाकाम रहे।
कोहली को जुनैद खान ने सात रन के निजी योग पर यूनिस खान के हाथों स्लिप में कैच कराया। कोहली का विकेट 37 रन के कुल योग पर गिरा। इसके बाद युवराज ने सुरेश रैना के साथ चौथे विकेट के लिए 26 रन जोड़े।
यह साझेदारी अच्छी शक्ल ले रही थी कि हफीज ने अपनी एक शानदार गेंद पर युवराज को बोल्ड कर दिया। युवराज भौंचक रह गए और भारतीय दर्शक हैरान। युवराज का विकेट 63 रनों के कुल योग पर गिरा। युव्वी ने 23 गेंदों पर चार चौके लगाए।
इसके बाद कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ रैना ने 48 रनों की साझेदारी की। यह साझेदारी धीमी लेकिन जरूरी थी। धोनी और रैना ने 12.5 ओवरों में 3.74 के औसत से रन जुटाए।
रैना 111 रन के कुल योग पर सईद अजमल की गेंद पर आउट हुए। 70 मिनट बल्लेबाजी करने वाले रैना को पगबाधा आउट दिया गया। इसके बाद अगली ही गेंद पर अजमल ने रविचंद्रन अश्विन (0) को पगबाधा आउट कर चलता किया। अश्विन का स्थान लेने आए रवींद्र जडेजा ने अजमल को हैट्रिक पूरी नहीं करने दी।
जडेजा और धोनी के बीच बड़ी साझेदारी की उम्मीद थी क्योंकि हाल के दिनों में जडेजा ने एक भी अच्छी पारी नहीं खेली है। दोनों ने सम्भलकर खेलना शुरू किया लेकिन 35 गेंदों की साझेदारी के बाद दोनों 20 रन की साझेदारी करके विदा हुए।
इस बार कप्तान ने साथ छोड़ा। कप्तान का विकेट 131 रनों के कुल योग पर गिरा। भारतीय कप्तान को उमर गुल ने उमर अकमल के हाथों कैच कराया।
कुल योग में अभी 10 रन ही जुड़े थे कि अजमल ने अपने दूसरे स्पेल में भुवनेश्वर कुमार को आउट करके भारत को आठवां झटका दिया। कुमार ने दो रन बनाए। यह अजमल की तीसरी सफलता थी।
अजमल ने अपने नौवें ओवर में चौथी सफलता हासिल करते हुए ईशांत शर्मा को 160 के कुल योग पर आउट किया। इशांत ने पांच रन बनाए। वह अजमल की गेंद पर उन्हीं के हाथों आउट हुए। इशांत ने 15 गेदों का सामना किया और जडेजा के साथ नौवें विकेट के लिए 19 रन जोड़े।
पाकिस्तान की ओर से अजमल ने 24 रन देकर पांच विकेट लिए जबकि इरफान को दो सफलता मिली। जुनैद, गुल और हफीज ने एक-एक विकेट पाया।
पाकिस्तान ने चेन्नई में खेला गया पहला मैच पांच विकेट से जीता था जबकि कोलकाता में उसे 85 रनों से जीत नसीब हुई थी। कोटला में पाकिस्तान और भारत के बीच यह दूसरा मैच था। दोनों ने एक-एक मैच जीता है।
बेहद रोमांचक रहा यह लो स्कोरिंग मुकाबला आखिरी ओवरों तक सांसे थामने वाला भी था। 49वें ओवर में इशांत शर्मा की पांचवीं गेंद पर युवराज सिंह ने पाकिस्तानी बल्लेबाज मोहम्मद हफीज का जब कैच पकड़ा तभी लोगों ने राहत की सांस ली। यह जीत इंग्लैंड के खिलाफ होने वाले एकदिवसीय मुकाबले से पहले भारतीय टीम को ऊर्जा दे गई।
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को उनकी शानदार कप्तानी और भारत की ओर से सर्वाधिक 36 रनों की पारी के लिए मैन ऑफ द मैच के पुरस्कार से नवाजा गया जबकि शृंखला में दो शतक लगाने वाले पाकिस्तानी सलामी बल्लेबाज नासिर जमशेद को मैन ऑफ द सीरिज का पुरस्कार दिया गया।
जीत के बाद कप्तान धोनी ने इसका श्रेय गेंदबाजों और क्षेत्ररक्षकों को दिया। उन्होंने कहा, "168 का स्कोर काफी नहीं है लेकिन हमें मुकाबला करना चाहिए। स्पिनरों ने आज शानदार खेल दिखाया लेकिन मेरा मैन ऑफ द मैच हमारे क्षेत्ररक्षक हैं।"
पाकिस्तानी कप्तान मिस्बाह उल हक ने कहा, "भारतीय खिलाड़ियों ने बहुत अच्छी गेंदबाजी की और उनका क्षेत्ररक्षण तो लाजवाब रहा। हमार कोशिश थी कि हम नई गेंद का ठीक से सामना करे और उससे उबरें लेकिन पुरानी होने पर भी गेंद स्पिन और स्विंग कर रही थी। रन बनाना आसान नहीं था।"
इस मुकाबले में भारतीय बल्लेबाजों ने एक बार फिर निराश किया लेकिन गेंदबाजों व कमाल के क्षेत्ररक्षण ने टीम की लाज रख ली। इशांत शर्मा (36/3) के नेतृत्व में अपने गेंदबाजों के साहसिक प्रदर्शन और क्षेत्ररक्षकों की अथक मेहनत की बदौलत भारत ने पकिस्तान को 10 रन से हराकर सीरिज क्लीनस्वीप करने के पाकिस्तान के अरमानों पर पानी फेर दिया। पाकिस्तान ने यह शृंखला 2-1 से जरूर जीत ली।
इस जीत ने भारतीय टीम को नए साल में मुस्कुराने का मौका दिया है क्योंकि 2012 के अंतिम मैच (ट्वेंटी-20) में पाकिस्तान ने उसे हराया था। इसके बाद नए साल 2013 के पहले मैच (एकदिवसीय) में पाकिस्तान ने भारत को कोलकाता में पराजित किया।
भारत ने पाकिस्तान के सामने 168 रनों का लक्ष्य रखा था। यह लक्ष्य ऐसा नहीं था, जिसे लेकर पाकिस्तान को चिंता करने की जरूरत थी क्योंकि उसके बल्लेबाज शानदार फार्म में थे लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने पाकिस्तान के लिए कठिन हालात पैदा किए और मैच उससे छीन लिया।
पाकिस्तानी टीम लक्ष्य का पीछा करते हुए 48.5 ओवरों में 157 रन ही बना सकी। भारत की ओर से इशांत ने तीन विकेट लिए जबकि रविचंद्रन अश्विन और भुवनेश्वर कुमार ने दो-दो विकेट लिए। अपना पहला मैच खेल रहे शमी अहमद ने बेहद प्रभावित किया और नौ ओवरों में चार मेडन के साथ 23 रन खर्च करते हुए एक विकेट लिया। रवींद्र जडेजा को भी एक सफलता मिली।
भारत ने 14 रन के कुल योग पर पाकिस्तान के दो विकेट झटककर अच्छी शुरुआत की थी लेकिन नासिर जमशेद, मिस्बाह उल हक और उमर अकमल के बीच हुई उपयोगी साझेदारियों ने भारतीय दर्शकों के लिए मैच को नीरस बना दिया था लेकिन इन सबके बावजूद गेंदबाजों ने आस नहीं छोड़ी और लगातार प्रयास करते रहे।
गेंदबाजों का ही जोरदार प्रयास था कि पाकिस्तान का भी कोई बल्लेबाज अर्द्धशतक नहीं लगा सका। मिस्बाह ने सबसे अधिक 39 रन बनाए जबकि नासिर ने 34 रन जोड़े। उमर अकमल ने 25 रनों का पारी खेली। चोट के कारण पारी की शुरुआत से महरूम रहे मोहम्मद हफीज ने अंतिम समय में इशांत की गेंदों पर दो चौके लगाकर पाकिस्तान को लक्ष्य तक पहुंचाने का प्रयास किया लेकिन 49वें ओवर की पांचवीं गेंद पर वह मिडविकेट में युवराज के हाथों लपके गए।
नासिर, मिस्बाह और उमर के प्रयासों के कारण ऐसा लग रहा था कि भारत को 1983-84 के बाद अपने घर में किसी एकदिवसीय शृंखला के सभी मैचों में हार मिलेगी लेकिन गेंदबाजों ने इस सम्भावना को सच में तब्दील होने से बचा लिया।
इससे पहले, हाड़ कंपा देने वाली सर्दी के बीच भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 43.4 ओवरों का सामना किया। भारत की ओर से कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने एक बार फिर सबसे अधिक 36 रन बनाए। धोनी ने 55 गेदों पर एक चौके और तीन छक्के लगाए।
सुरेश रैना ने 31 रनों का योगदान दिया। रवींद्र जडेजा ने 27 रन बनाए। जडेजा के रूप में भारत का अंतिम विकेट गिरा। इस मैच में टॉस अहम माना जा रहा था क्योंकि मौसम में नमी थी। जीतने वाली टीम अगर गेंदबाजी करती तो उसे फायदा होता लेकिन भारतीय कप्तान ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया।
भारत की शुरुआत खराब रही। दिल्ली के अब तक के सबसे सफल क्रिकेट स्टार वीरेंद्र सहवाग के स्थान पर अंतिम एकादश में शामिल किए गए अंजिक्य रहाणे इस मौके को भुना नहीं सके और 19 के कुल योग पर मोहम्मद इरफान की गेंद पर आउट हुए। रहाणे चार रन बना सके। यह रन रहाणे ने अपने हिस्से में आए एकमात्र चौके की मदद से बनाए।
सहवाग के साथ-साथ गौतम गम्भीर के स्थान पर भी तलवार लटक रही थी। गम्भीर से अच्छी पारी की उम्मीद थी लेकिन वह भी 15 रन बनाकर आउट हो गए। गम्भीर को इरफान ने उमर अकमल के हाथों कैच कराया।
गम्भीर ने 27 गेंदों पर एक चौका लगाया। इस श्रृंखला में एक बार फिर भारतीय सलामी जोड़ी नाकाम रही। इस कारण अब मध्य क्रम पर पारी को सुधारने की जिम्मेदारी आ गई। यह जिम्मेदारी उठानी थी दिल्ली के वंडरब्वाय विराट कोहली और युवराज सिंह को, लेकिन दोनों ही नाकाम रहे।
कोहली को जुनैद खान ने सात रन के निजी योग पर यूनिस खान के हाथों स्लिप में कैच कराया। कोहली का विकेट 37 रन के कुल योग पर गिरा। इसके बाद युवराज ने सुरेश रैना के साथ चौथे विकेट के लिए 26 रन जोड़े।
यह साझेदारी अच्छी शक्ल ले रही थी कि हफीज ने अपनी एक शानदार गेंद पर युवराज को बोल्ड कर दिया। युवराज भौंचक रह गए और भारतीय दर्शक हैरान। युवराज का विकेट 63 रनों के कुल योग पर गिरा। युव्वी ने 23 गेंदों पर चार चौके लगाए।
इसके बाद कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ रैना ने 48 रनों की साझेदारी की। यह साझेदारी धीमी लेकिन जरूरी थी। धोनी और रैना ने 12.5 ओवरों में 3.74 के औसत से रन जुटाए।
रैना 111 रन के कुल योग पर सईद अजमल की गेंद पर आउट हुए। 70 मिनट बल्लेबाजी करने वाले रैना को पगबाधा आउट दिया गया। इसके बाद अगली ही गेंद पर अजमल ने रविचंद्रन अश्विन (0) को पगबाधा आउट कर चलता किया। अश्विन का स्थान लेने आए रवींद्र जडेजा ने अजमल को हैट्रिक पूरी नहीं करने दी।
जडेजा और धोनी के बीच बड़ी साझेदारी की उम्मीद थी क्योंकि हाल के दिनों में जडेजा ने एक भी अच्छी पारी नहीं खेली है। दोनों ने सम्भलकर खेलना शुरू किया लेकिन 35 गेंदों की साझेदारी के बाद दोनों 20 रन की साझेदारी करके विदा हुए।
इस बार कप्तान ने साथ छोड़ा। कप्तान का विकेट 131 रनों के कुल योग पर गिरा। भारतीय कप्तान को उमर गुल ने उमर अकमल के हाथों कैच कराया।
कुल योग में अभी 10 रन ही जुड़े थे कि अजमल ने अपने दूसरे स्पेल में भुवनेश्वर कुमार को आउट करके भारत को आठवां झटका दिया। कुमार ने दो रन बनाए। यह अजमल की तीसरी सफलता थी।
अजमल ने अपने नौवें ओवर में चौथी सफलता हासिल करते हुए ईशांत शर्मा को 160 के कुल योग पर आउट किया। इशांत ने पांच रन बनाए। वह अजमल की गेंद पर उन्हीं के हाथों आउट हुए। इशांत ने 15 गेदों का सामना किया और जडेजा के साथ नौवें विकेट के लिए 19 रन जोड़े।
पाकिस्तान की ओर से अजमल ने 24 रन देकर पांच विकेट लिए जबकि इरफान को दो सफलता मिली। जुनैद, गुल और हफीज ने एक-एक विकेट पाया।
पाकिस्तान ने चेन्नई में खेला गया पहला मैच पांच विकेट से जीता था जबकि कोलकाता में उसे 85 रनों से जीत नसीब हुई थी। कोटला में पाकिस्तान और भारत के बीच यह दूसरा मैच था। दोनों ने एक-एक मैच जीता है।
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