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This Article is From Jul 17, 2020

...तो सुनील गावस्कर के खाते में 15000-16000 रन होते, इंजमाम की बात में बहुत दम है

बता दें कि 7 मार्च 1987 को गावस्कर ने अहमदाबाद में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट में दस हजार रन बनाए थे और वह ऐसा करने वाले पहले बल्लेबाज थे

...तो सुनील गावस्कर के खाते में 15000-16000 रन होते, इंजमाम की   बात में बहुत दम है
इंजमाम उल हक की फोटो
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
इंजमाम ने की गावस्कर की जमकर तारीफ
अपने यू-ट्यूब चैनल पर विस्तार से बोले इंजी
गावस्कर के दौर में भी किसी ने 10,000 रन नहीं बनाए
नई दिल्ली:

पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज इंजमाम उल हक ने भारतीय लीजेंड सुनील गावस्कर की प्रशंसा करते हुए कहा है कि सनी गावस्कर ने अपने खेलने के दिनों में सुनील गावस्कर ने दस हजार रन बनाने का वह कारनामा किया, जिसके बारे में सोचना भी बहुत ही मुश्किल था. उन्होंने कहा कि जावेद मियांदाद, विव रिचर्ड्स, गैरी सोबर्स और सर डॉन ब्रेडमैन जैसे बल्लेबाज भी गावस्कर से पहले या बाद के युग में थे, लेकिन कोई भी दिग्गज दस हजार का  आंकड़ा नहीं छू सका था. 

इंजमाम  ने कहा कि गावस्कर के दौर में भी कई दिग्गज बल्लेबाज थे, लेकिन कोई भी बल्लेबाज दस हजार रन बनाने में कामयाब नहीं हो सका. इंजी बोले कि आज के दौर में भी जब टेस्ट क्रिकेट बहुत ज्यादा खेली जा रही है, तो ऐसे दौर में भी उंगलियों पर गिने जाने लायक कुछ ही बल्लेबाज हैं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की. बता दें कि 7 मार्च 1987 को गावस्कर ने अहमदाबाद में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट में दस हजार रन बनाए थे और वह ऐसा करने वाले पहले बल्लेबाज थे. 

इंजमाम ने अपने यू-ट्यूब चैनल पर कहा कि अगर गावस्कर मॉडर्न एरा में खेलते, तो उनके रनों की संख्या कहीं ज्यादा होती.  उन्होंने कहा कि अगर आप मेरे से पूछोगे, तो मैं कहूंगा कि उस दौर के गावस्कर के दस हजार रन आज के समय मे 15000-160000 रनों के बराबर हैं. ये इससे ज्यादा भी हो सकते  हैं, लेकिन कम नहीं हो सकते. इंजी बोले कि अगर बल्लेबाज अच्छी फॉर्म में है, तो वह सीजन में 1000-15000 रन बना सकता है, लेकिन जब गावस्कर बैटिंग करते थे, तो हालात आज जैसे नहीं थे. आज के दौर में पिच पूरी तरह से बैटिंग अनुकूल हैं और आप  लगातार रन बना सकते हैं. वहीं, आईसीसी भी दर्शकों के मनोरंजन के लिए दर्शकों का मनोरंजन चाहती है, लेकिन, गावस्कर के दौर में पिच बैटिंग के लिए आसान नहीं थीं. खासकर तब, जब आप भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर खेलते थे.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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