जस्टिस लोढा और अनुराग ठाकुर (फाइल फोटो)
मुंबई:
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कुछ बातें मान ली हैं, लेकिन कई अहम बिंदुओं को छोड़ने का फैसला किया है. शनिवार को मुंबई में हुई स्पेशल जनरल मीटिंग में लोढा कमेटी की नौ सिफारिशों को आम सहमति से मंजूर कर लिया गया, जिसमें सबसे अहम अपेक्स काउंसिल बनाने की सिफारिश है. हालांकि कई बातों को नजरअंदाज भी कर दिया गया. इस फैसले से देश की सर्वोच्च अदालत की त्योरियां चढ़ना तय है.
बीसीसीआई ने 70 साल से ज्यादा उम्र के पदाधिकारियों की छुट्टी, नौ साल या तीन कार्यकाल, लेकिन यह लगातार न हो, एक शख्स, एक पद, एक राज्य, एक वोट चयन समिति में तीन सदस्य जैसी कई सिफारिशों को मानने से इनकार कर दिया. लोढा कमेटी की सिफारिशों पर चर्चा के लिए खास तौर पर बुलाई गई बैठक में बोर्ड ने कोर्ट की पांच अहम 'गेंदों' को देखा-परखा, लेकिन फिर सर्वसहमति से जाने दिया.
सात घंटे से ज्यादा चली मैराथन बैठक के बाद बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा हमने उन सिफारिशें को मंजूर नहीं किया है जिन्हें कानूनी तौर पर चुनौती दी जा सकती है या जिन्हें अपनाने में व्यवहारिक दिक्कते हैं. हमारी संरचना ऐसी है कि यहां सदस्य बोर्ड का गठन करते हैं. हम सुप्रीम कोर्ट को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजेंगे.
बोर्ड ने लोढा कमेटी की कुछ अहम सिफारिशों को मान भी लिया है. इनमें कुछ बदलावों के साथ अपेक्स काउंसिल बनाने, सीएजी के नुमाइंदे को अपेक्स और आईपीएल गवर्निंग काउंसिल में सदस्य बनाने, खिलाड़ियों का संगठन बनाने, एजेंट के पंजीकरण से जुड़े नियम बनाने और आईसीसी के नियमों के तहत एसोसिएट मेंबरों को भी मताधिकार जैसी सिफारिशें शामिल हैं. लेकिन इससे एसोसिएट सदस्य बहुत खुश नहीं हैं. बैठक के बाद नगालैंड क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अबू माथा ने कहा क्रिकेट देश को जोड़ने वाला खेल है. बोर्ड को चाहिए कि वह हमारी मांगों का समर्थन करे, हमें भी वोटिंग का अधिकार मिले.
लोढा कमेटी की कुछ अहम सिफारिशों को मानने की तारीख एक दिन आगे निकल गई. सारी सिफारिशें मानी भी नहीं गईं. ऐसे में छह अक्टूबर भारत में क्रिकेट और उसे चलाने वालों के लिए निर्णायक हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट पिछली सुनवाई में बोर्ड को सीधे कह चुका है कि आप सुधर जाएं, नहीं तो हम आपको सुधारेंगे.
बीसीसीआई ने 70 साल से ज्यादा उम्र के पदाधिकारियों की छुट्टी, नौ साल या तीन कार्यकाल, लेकिन यह लगातार न हो, एक शख्स, एक पद, एक राज्य, एक वोट चयन समिति में तीन सदस्य जैसी कई सिफारिशों को मानने से इनकार कर दिया. लोढा कमेटी की सिफारिशों पर चर्चा के लिए खास तौर पर बुलाई गई बैठक में बोर्ड ने कोर्ट की पांच अहम 'गेंदों' को देखा-परखा, लेकिन फिर सर्वसहमति से जाने दिया.
सात घंटे से ज्यादा चली मैराथन बैठक के बाद बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा हमने उन सिफारिशें को मंजूर नहीं किया है जिन्हें कानूनी तौर पर चुनौती दी जा सकती है या जिन्हें अपनाने में व्यवहारिक दिक्कते हैं. हमारी संरचना ऐसी है कि यहां सदस्य बोर्ड का गठन करते हैं. हम सुप्रीम कोर्ट को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजेंगे.
बोर्ड ने लोढा कमेटी की कुछ अहम सिफारिशों को मान भी लिया है. इनमें कुछ बदलावों के साथ अपेक्स काउंसिल बनाने, सीएजी के नुमाइंदे को अपेक्स और आईपीएल गवर्निंग काउंसिल में सदस्य बनाने, खिलाड़ियों का संगठन बनाने, एजेंट के पंजीकरण से जुड़े नियम बनाने और आईसीसी के नियमों के तहत एसोसिएट मेंबरों को भी मताधिकार जैसी सिफारिशें शामिल हैं. लेकिन इससे एसोसिएट सदस्य बहुत खुश नहीं हैं. बैठक के बाद नगालैंड क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अबू माथा ने कहा क्रिकेट देश को जोड़ने वाला खेल है. बोर्ड को चाहिए कि वह हमारी मांगों का समर्थन करे, हमें भी वोटिंग का अधिकार मिले.
लोढा कमेटी की कुछ अहम सिफारिशों को मानने की तारीख एक दिन आगे निकल गई. सारी सिफारिशें मानी भी नहीं गईं. ऐसे में छह अक्टूबर भारत में क्रिकेट और उसे चलाने वालों के लिए निर्णायक हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट पिछली सुनवाई में बोर्ड को सीधे कह चुका है कि आप सुधर जाएं, नहीं तो हम आपको सुधारेंगे.
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