विज्ञापन
This Article is From May 24, 2022

कुछ ऐसे अनिल कुंबले ने मेरे टेस्ट करियर में फिर से प्राण डाले, सहवाग ने याद किए वो पल

सहवाग ने कहा कि वे 60 रन मेर जिंदगी के सबसे मुश्किल रन थे. मैं अनिल भाई द्वारा मुझ में दिखाए गए भरोसे को सही साबित करने के लिए खेल रहा था.

कुछ ऐसे अनिल कुंबले ने मेरे टेस्ट करियर में फिर से प्राण डाले, सहवाग ने याद किए वो पल
दिग्गज भारतीय पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग
नई दिल्ली:

इसमें दो राय नहीं कि एक समय भारतीय दिग्गज वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) का अंतरराष्ट्रीय करियर लगभग खत्म हो गया था. दुनिया लगभग खत्म होते दिख रही थी, लेकिन अनिल कुंबले के एक फैसले ने सबकुछ बदल दिया. और वीरेंद्र सहवाग अपने करियर में कभी भी यह बात नहीं भूल पाएंगे. सहवाग ने उन पलों को याद किया है कि कैसे कुंबले ने उन्हें करियरदान दिया. सहवाग ने कभी भी यह उम्मीद नहीं की थी कि पचास से ज्यादा का औसत होने के बावूद वह भारतीय टीम से बाहर भी हो सकते हैं. लेकिन अपना 52वां टेस्ट मैच जनवरी 2007 में खेलने के बाद अपना 53वां टेस्ट मैच एक साल बाद ऑस्ट्रेलिया में खेला.

यह भी पढ़ें: बेटे को मुंबई इंडियंस में जगह नहीं मिलने पर आखिरकार बोले सचिन तेंदुलकर, दिल छू लेगी उनकी यह बात

सहवाग ने एक वेबसाइट से बातचीत में कहा कि अचानक ही मैंने महसूस किया कि मैं टेस्ट टीम का हिस्सा नहीं था. वीरू ने कहा कि अगर वह एक साल टेस्ट टीम से बाहर नहीं हुए होते, तो उनके टेस्ट क्रिकेट में दस हजार रन होते. साल 2007 में टीम से ड्रॉप होने के बाद सहवाग को एक साल बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए भारतीय टीम में फिर से शामिल किया गया. इस फैसले से बहुत से लोग हैरान रह गए थे. इस दौरे में भारत शुरुआती दो टेस्ट हारा, लेकिन सहवाग इन मैचों का हिस्सा नहीं थे. 

पर्थ में तीसरा टेस्ट खेलने से पहले भारतीय टीम ने कैनबरा में एक प्रैक्टिस मैच  था. और इस मैच से पहले कुंबले ने मुझसे कहा कि 50 रन बनाओ और तुम्हें पर्थ टेस्ट के लिए चुना जाएगा. इस प्रैक्टिस मैच में सहवाग ने लंच से पहले ही शतक जड़ दिया. कुंबले ने वादा निभाया और सहवाग को पर्थ टेस्ट के लिए टीम में शामिल किया. सहवाग ने दोनों पारियों में भारत को न केवल अच्छी शुरुआत दी, बल्कि दो विकेट भी लिए. और जब इसके बाद एडिलेड का चौथा टेस्ट आया, तो सहवाग ने पहली पारी में 63 और दूसरी पारी में मैच बचाने वाली151 रन की पारी खेलकर कुंबले के भरोसे को बिल्कुल सही साबित किया. 

यह भी पढ़ें:  कप्तानी का दबाव से इस खिलाड़ी की भारतीय टीम से भी जगह जा सकती है, रवि शास्त्री बोले

सहवाग ने कहा कि वे 60 रन मेर जिंदगी के सबसे मुश्किल रन थे. मैं अनिल भाई द्वारा मुझ में दिखाए गए भरोसे को सही साबित करने के लिए खेल रहा था. मैं नहीं चाहता था कि कोई भी अनिल भाई पर मुझे ऑस्ट्रेलिया ले जाने के लिए उन पर सवाल खड़ा  करे. बहरहाल, तब एडिलेड टेस्ट में चौथी पारी में विकेट गिरने के बावजूद सहवाग ने अपने ही अंदाज में बल्लेबाजी की. इस दौरे के बाद कुंबले ने सहवाग से किया वादा निभाया. 

वीरू ने कहा कि अनिल भाई ने कहा कि जब तक मैं कप्तान हूं, मैं टीम से ड्रॉप नहीं होऊंगा. यही वह बात है, जो हर खिलाड़ी अपने कप्तान से सुनना चाहता है. उसका भरोसा हासिल करना चाहता है. करियर के शुरुआती दिनों में यह भरोसा पहले मुझे सौरव गांगुली से मिला और फिर बाद में अनिल कुंबले से मिला. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com