
फाइल फोटो
नई दिल्ली:
आईसीसी महिला विश्वकप क्रिकेट में टीम इंडिया रविवार को इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल खेलेगी. फाइनल तक का सफर शानदार रहा है. मिताली राज की अगुवाई में इस टीम के पास ऐसा फॉर्मूला है जिसे पुरुषों की टीम कई सालों से तलाश रही है. क्रिकेट के विशेषज्ञों का कहना है कि इंग्लैंड के मुकाबले टीम इंडिया का पलड़ा भारी पड़ रहा है. लेकिन अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर महिला टीम की कप्तान मिताली राज को ऐसा क्या फॉर्मूल मिल गया है जो सालों से टीम इंडिया नहीं खोज पा रही है.
क्या है वह फॉर्मूला
इसके लिए भारतीय टीम के इतिहास पर हमें नजर डालनी होगी. यह 1960 से 1970 के बीच का दौर था जब भारत के लिए इरापल्ली प्रसन्ना, श्रीनिवास वेंकटराघवन, भगवत चंद्रशेखर और बिशन सिंह बेदी जैसे दिग्गज स्पिनर खेलते थे. इस चौकड़ी के सामने दिग्गज बल्लेबाज भी क्रीज पर नाचते नजर आते थे. इन चारों ने मिलकर 853 विकेट लिए हैं जो इस उस समय के हिसाब से काफी ज्यादा थे क्योंकि तब इतने मैच नहीं खेले जाते थे. अब आप सोच रहे होंगे कि महिलाओं की टीम तो मिताली राज, गेंदबाज झूलन गोस्वामी और सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 171 रन बनाने वाली हरमनरप्रीत कौर और बाकी कई खिलाड़ियों की वजह प्रदर्शन कर रही है तो इन चारों को क्यों याद किया जा रहा है.
यह भी पढ़ें : पुरुष क्रिकेटर जो 'चमत्कार' 140 साल में नहीं कर सके, उस एक महिला ने कर दिखाया
भारत के पास '4 स्ट्रोक' का फॉर्मूला
दरअसल इस टीम में भी चार वैसे ही स्पिनर मौजूद हैं जो किसी भी पिच पर गेंद घुमाने की क्षमता रखती हैं. गौरतलब है कि इंग्लैंड की पिचों को तेज गेंदबाजी के लिए मददगार समझा जाता है और माना जा रहा था कि झूलन गोस्वामी यहां तगड़ा प्रदर्शन करेंगी लेकिन इन चारों ने उनको भी काफी पीछे छोड़ दिया और बाकी टीमें भी हैरान रह गईं कि आखिर टीम इंडिया के इस '4 स्ट्रोक' का फॉर्मूले का तोड़ कैसे निकाला जाए. इतना ही नहीं इस पूरे वर्ल्डकप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों में तीन भारतीय स्पिनर ही शामिल हैं.
यह भी पढ़ें : कौर का शतक बेकार गया, इंग्लैंड से हारा भारत
कौन हैं ये खिलाड़ी
इन स्पिनरों में दीप्ती शर्मा (12 विकेट ), पूनम यादव (9 विकेट), एकता बिष्ट (9 विकेट) और राजेश्वरी गायकवाड़ (6 विकेट) शामिल हैं. इनमें राजेश्वरी ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 5 विकेट लेकर सबको हैरान कर दिया. वैसे भी अंग्रेज बल्लेबाज स्पिन खेलने में उतने माहिर नहीं समझे जाते हैं. उम्मीद है कि टीम इंडिया के 4 स्ट्रोक के आगे इंग्लैंड की टीम फिर नाचती नजर आएगी.
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क्या है वह फॉर्मूला
इसके लिए भारतीय टीम के इतिहास पर हमें नजर डालनी होगी. यह 1960 से 1970 के बीच का दौर था जब भारत के लिए इरापल्ली प्रसन्ना, श्रीनिवास वेंकटराघवन, भगवत चंद्रशेखर और बिशन सिंह बेदी जैसे दिग्गज स्पिनर खेलते थे. इस चौकड़ी के सामने दिग्गज बल्लेबाज भी क्रीज पर नाचते नजर आते थे. इन चारों ने मिलकर 853 विकेट लिए हैं जो इस उस समय के हिसाब से काफी ज्यादा थे क्योंकि तब इतने मैच नहीं खेले जाते थे. अब आप सोच रहे होंगे कि महिलाओं की टीम तो मिताली राज, गेंदबाज झूलन गोस्वामी और सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 171 रन बनाने वाली हरमनरप्रीत कौर और बाकी कई खिलाड़ियों की वजह प्रदर्शन कर रही है तो इन चारों को क्यों याद किया जा रहा है.
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भारत के पास '4 स्ट्रोक' का फॉर्मूला
दरअसल इस टीम में भी चार वैसे ही स्पिनर मौजूद हैं जो किसी भी पिच पर गेंद घुमाने की क्षमता रखती हैं. गौरतलब है कि इंग्लैंड की पिचों को तेज गेंदबाजी के लिए मददगार समझा जाता है और माना जा रहा था कि झूलन गोस्वामी यहां तगड़ा प्रदर्शन करेंगी लेकिन इन चारों ने उनको भी काफी पीछे छोड़ दिया और बाकी टीमें भी हैरान रह गईं कि आखिर टीम इंडिया के इस '4 स्ट्रोक' का फॉर्मूले का तोड़ कैसे निकाला जाए. इतना ही नहीं इस पूरे वर्ल्डकप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों में तीन भारतीय स्पिनर ही शामिल हैं.
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कौन हैं ये खिलाड़ी
इन स्पिनरों में दीप्ती शर्मा (12 विकेट ), पूनम यादव (9 विकेट), एकता बिष्ट (9 विकेट) और राजेश्वरी गायकवाड़ (6 विकेट) शामिल हैं. इनमें राजेश्वरी ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 5 विकेट लेकर सबको हैरान कर दिया. वैसे भी अंग्रेज बल्लेबाज स्पिन खेलने में उतने माहिर नहीं समझे जाते हैं. उम्मीद है कि टीम इंडिया के 4 स्ट्रोक के आगे इंग्लैंड की टीम फिर नाचती नजर आएगी.
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महिला विश्व कप में भारतीय क्रिकेट टीम का शानदार प्रदर्शन
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