- शिखर धवन ने 2004 अंडर-19 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाकर प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट का खिताब जीता था
- शिखर का टशन और अंदाज़ बचपन से ही था, जिसे उन्होंने ट्रक ड्राइवरों से मूंछों पर ताव देना सीखा था
- उन्होंने अपनी आत्मकथा लॉन्च करते हुए बचपन के कोच मदन शर्मा को याद किया और उनके साथ संबंध जताए
बात 2004 फरवरी की है. अंडर-19 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम लगातार धूम मचा रही थी. दिल्ली के विकासपुरी के एक मोहल्ले में अचानक मीडिया का जमावड़ा लगने लगा. अंडर 19 वर्ल्ड कप में बांग्लादेश में शिखर धवन का बल्ला लगातार आग उगल रहा था. शिखर धवन ने बांग्लादेश में आयोजित उस वर्ल्ड कप में सबसे ज़्यादा 505 रन बनाए और 3 शतकीय पारियां खेलीं. भारत सेमीफ़ाइनल में पाकिस्तान से हारा. लेकिन शिखर वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट चुने गए. और फिर मैदान पर रिकॉर्ड और मैदान के बाहर कही जानेवाली कहानियां बनती रहीं.
‘ट्रक ड्राइवर' से बॉलीवुड तक ‘गब्बर' का टशन
शिखर धवन तब 19 के थे, एकदम RAW, ख़ालिस देसी. मगर उनके अंदाज़ में एक टशन तब भी था. आज जब वो 40 के हैं. तब भी उनकी मौलिकता गायब नहीं हुई है. तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद उनके कैरेक्टर में किसी बनावटी मास्क ने जगह नहीं ली है. बचपने में उनके अंदाज़ में ‘गब्बर' सा किलर इंस्टिंक्ट तब भी था जब वो ‘गब्बर' नहीं बने थे. मगर ये गब्बर अपनी टीम का प्रेशर और टेंशन अपने सर लेने और टीम का माहौल हल्का करता था.
वो ये बताने से भी नहीं झिझकते कि उन्होंने मूंछों पर ताव देने का स्टाइल ट्रक ड्राइवरों से सीखा था. बाद में शिखर कू मांछ और दाढ़ी का स्टाइल क्रिकेट से बॉलीवुड तक फ़ैलता चला गया.
‘रील्स किंग से बॉलीवुड तक'
क्रिकेट को शिखर ने बेशक अलविदा कह दिया हो. लेकिन सोशल मीडिया पर उनके बनाये रील्स को 20 से 50 मिलियन तक फ़ैन्स देखकर लोट-पोट हो जाते हैं. पूछे जाने पर शिखर कहते हैं, “मौक़ा मिला तो बॉलीवुड में भी काम कर सकता हूं. क्यों नहीं? मालिक की इच्छा.”
बचपन में कोच से पिटाई की मीठी यादें
शिखर ने अपनी आत्मकथा का लॉन्च दिल्ली के उसी पांच सितारा लीला पैलेस होटल में किया जहां लियोनेल मेस्सी को एकदिन बाद आकर रुकना था. गब्बर ने एक छोटी सी पार्टी रखी थी. पुराने दोस्त, बुक पब्लिशर, पीआर की टीम और बेहद कम मीडिया. लेकिन सबसे अहम बचपन के अपने कोच मदन शर्मा को बुलाना नहीं भूले.
यही नहीं स्टेज पर बुलाकर कोच मदन शर्मा से कहा भी, “सर आपने ही बनाया, मगर पीटा भी सबसे ज़्यादा.” कोच मदन शर्मा कहते हैं, “जिस बच्चे से आपको ज़्यादा उम्मीद हो आप उसी की पिटाई करते हैं. मुझे सबसे ज़्यादा इसी से रन की उम्मीद होती थी. इसलिए ग़लती किसी और की भी हो तो शिखर को ही मार पड़ती थी.”
NDTV से बात करते हुए कोच मदन शर्मा ये भी बताते हैं, “1996 से लेकर 30 साल हो गए, शिखर एकदम नहीं बदला. रिटायरमेंट के बाद भी एकदिन मुझे गुरुग्राम बुलाकर पूछ रहा था कि सर मेरी ग़लती ज़रा देखना. बताना कहां ग़लत कर रहा हूं मैं.”
गर्लफ़्रेंड पर भी दकियानूसीपना से दूर
आत्मकथा, ‘द वन: क्रिकेट, माई लाइफ़ एंड मोर' लिखते वक्त भी शिखर (और सह लेखक चंद्रेश नारायण और नमिता काला) ने कोई पर्दादारी नहीं की है. वो अपनी पहले और आज की गर्लफ़्रेंड को लेकर कुछ छिपाते नहीं हैं. इस क़िताब में अपनी उस गर्लफ्रेंड का ज़िक्र भी करते हैं जिनके साथ उन्हें एक चयनकर्ता ने देख लिया था.
शिखर लिखते हैं, “एक शाम मैं अपनी ब्रिटिश गर्लफ़्रेंड एलेन के साथ डिनर के लिए जा रहा था और ये ख़बर टीम में जंगल की आग की तरह फ़ैल गई. एक सीनीयर चयनकर्ता ने हमें लॉबी में हाथों में हाथ डाले देख लिया. मुझे तब नहीं लगा कि मुझे अपना हाथ खींच लेना चाहिए था, क्योंकि मेरी नज़र में वो कोई गुनाह नहीं था. बहुत मुमकिन है कि उस दौरे पर अगर मैं कनसिस्टेंट परफॉर्म करता तो तब मुझे सीनीयर टीम इंडिया में जगह मिल जाती. मगर मेरा प्रदर्शन लगातार गिरता चला गया.”
NDTV से EXCLUSIVE बात करते हुए शिखर कहते हैं, “मुझे उस बात का या किसी और बात का कोई ग़म नहीं. मालिक ने मुझे बहुत कुछ दिया है. शायद उस घटना की वजह से ज़रूर मेरा करियर एक-दो साल पीछे चला गया.”
सपनों के शिखर पर
शिखर धवन ने टेस्ट क्रिकेट में (34 टेस्ट, 7 शतक) में मोहाली में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ अपने डेब्यु में ही सबसे तेज़ शतक लगाया तो IPL में बैक-टू-बैक रिकॉर्ड शतक (2 शतक, 51 हाफ़ सेंचुरी), आईपीएल का ख़िताब और 167 वनडे में 17 शतक और 39 अर्द्धशतक के सहारे वो सबकुछ हासिल किया जैसा दुनिया के ज़्यादातर क्रिकेटर हासिल करने का ख़्वाब देखते हैं.
परवाह इल्ला- एकदम बेबाक
मगर शिखर वाकई नहीं बदले हैं. NDTV संवादादाता विमल मोहन को कहते हैं, “आप जो पूछना चाहते हैं, पूछ लें. मुझे जिसका जवाब नहीं देना होगा, नहीं दूंगा.”
मगर वो अपनी गर्लफ़्रेंड, करियर में एक ज्योतिषी से मिलना, दोस्तों में गर्लफ़्रेंड को लेकर अपना रुतबा दिखाना, विराट कोहली के लिए 100वें शतक की चाहत- सबपर बात करते हैं. एकदम साफ़-साफ़. बिल्कुल बेबाक.
गर्ल्डफ्रेंड की कहानी कहते वक्त भी कहते हैं, “मुझे किसी बात का ग़म नहीं. लेकिन ये कहानी मैंने इसलिए लिखी है ताकि युवा खिलाड़ी इससे सीख ले सकें.” ‘हार्पर कॉलिंस' से छपी शिखर की आत्मकथा कई दूसरी आत्मकथाओं और जीवनी से ज़्यादा रंगीन, लेकिन ज़्यादा दिलचस्प तरीके से पेश की गई है.
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