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This Article is From Apr 24, 2020

शशांक मनोहर अगले दो महीने ही रहेंगे आईसीसी चेयरमैन पद पर लेकिन बीसीसीआई विश्वास करने को राजी नहीं

आईसीसी बोर्ड के एक सदस्य ने बताया, ‘यह तय है कि मनोहर जा रहे हैं लेकिन अभी दो महीने और उन्हें पद पर रहना होगा. जून में आईसीसी बोर्ड की सालाना बैठक होती नहीं दिख रही. हो सकता है कि अगस्त में आईसीसी को नया चेयरमैन मिले.’

शशांक मनोहर अगले दो महीने ही रहेंगे आईसीसी चेयरमैन पद पर लेकिन बीसीसीआई विश्वास करने को राजी नहीं
शशांक मनोहर बीसीसीआई के पूर्व चेयरमैन रह चुके हैं
  • बीसीसीआई कभी खुश नहीं रहा शशांक मनोहर से
  • बोर्ड का अपने हितों की अनदेखी का आरोप
  • साल 2018 में आईसीसी अध्यक्ष बने थे शशांक
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नयी दिल्ली:

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के चेयरमैन शशांक मनोहर को कोरोना वायरस महामारी के कारण आईसीसी बोर्ड की बैठक टलने की पूरी संभावना को देखते हुए कार्यकाल में दो साल का विस्तार मिल सकता है. लेकिन ऐसी प्रबल संभावना है कि इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख कोलिन ग्रावेस उनकी जगह लेंगे. समझा जाता है कि बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष मनोहर तीसरी बार दो साल का कार्यकाल विस्तार नहीं चाहते. हालांकि, मनोहर की यह मनोस्थिति सूत्रों के हवाले से ही है. 

आईसीसी बोर्ड के एक सदस्य ने बताया, ‘यह तय है कि मनोहर जा रहे हैं लेकिन अभी दो महीने और उन्हें पद पर रहना होगा. जून में आईसीसी बोर्ड की सालाना बैठक होती नहीं दिख रही. हो सकता है कि अगस्त में आईसीसी को नया चेयरमैन मिले.' बीसीसीआई हालांकि विदर्भ के मनोहर को लेकर चिंतित है जिनका रवैया कइयों को भारतीय बोर्ड के खिलाफ लगता है.

बोर्ड के एक सूत्र ने कहा, ‘जब तक मनोहर आधिकारिक रूप से हट नहीं जाते, हम कुछ नहीं कह सकते. जब हटेंगे, तभी विश्वास होगा. अभी उनका एक कार्यकाल बाकी है. ऐन मौके पर वह पद पर बने रहने का फैसला लेते हैं तो हालात अलग होंगे.'' हांगकांग के इमरान ख्वाजा का नाम भी इस पद की दौड़ में था लेकिन समझा जाता है कि उन्हें पूर्णकालिक सदस्यों का समर्थन नहीं है. सूत्रों का कहना है कि ग्रावेस को सभी प्रमुख टेस्ट देशों का समर्थन हासिल है. बोर्ड के एक सदस्य ने कहा ,‘‘इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज उनकी दावेदारी के पक्ष में है. 

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भारतीय बोर्ड से भी उनके अच्छे संबंध हैं हालांकि बीसीसीआई ने खुलकर उनकी दावेदारी का समर्थन नहीं किया है.'' समझा जाता है कि मनोहर की तुलना में ग्रावेस के साथ बीसीसीआई के संबंध अच्छे रहेंगे. मनोहर पर आरोप लगता रहा है कि एन श्रीनिवासन के समय में उन्होंने भारतीय हितों की अनदेखी की. यही वजह है कि बीसीसीआई शशांक मनोहर लेकर विश्वस्त नहीं है.

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