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वैभव सूर्यवंशी के घर भी वही कहानी, पापा की फटकार, लेकिन मम्मी से प्यार, सुनिए उन्हीं की ज़ुबानी

Vaibhav Suryavanshi: बिहार के 14 साल वैभव सूर्यवंशी का सूरज हर रोज़ चमक रहा है. जब से उन्होंने आईपीएल और फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कदम रखा है उनका ग्राफ़ हर रोज़ चढ़ता ही जा रहा है.

वैभव सूर्यवंशी के घर भी वही कहानी, पापा की फटकार, लेकिन मम्मी से प्यार, सुनिए उन्हीं की ज़ुबानी
Vaibhav Suryavanshi: वैभव सूर्यवंशी के घर भी वही कहानी, पापा की फटकार, लेकिन मम्मी से प्यार
  • १४ साल के वैभव सूर्यवंशी ने आईपीएल और फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सफलता के साथ अपना करियर शुरू किया है.
  • वैभव के पिता मैच के बाद हमेशा उनसे उम्मीद करते हैं और उनकी खेल में सुधार की बात करते हैं.
  • वैभव की मां हमेशा खुश रहती हैं और उन्हें हर हाल में प्रोत्साहित करती हैं.
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Vaibhav Suryavanshi reveals father's tough love: बिहार के 14 साल वैभव सूर्यवंशी का सूरज हर रोज़ चमक रहा है. जब से उन्होंने आईपीएल और फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कदम रखा है उनका ग्राफ़ हर रोज़ चढ़ता ही जा रहा है. सिर्फ़ 14 के वैभव पर मैदान के अंदर और बाहर दबाव तो होता है लेकिन वो इसे अपने ही अंदाज़ और मासूमियत के साथ झेल जाते हैं. घर के अंदर भी मां-बाप की कैसी उम्मीद रहती है और कैसा दबाव बनता है इस बारे में उन्होंने bcci.tv पर खुलकर, दिलचस्प अंदाज़ में अपनी बात रखी है. 

‘पापा कहते हैं..'
एक मैच के बाद वो अपने पिता से बात करते हुए वैभव मैदान पर ही फ़ोन पर बिहारी अंदाज़ में कहते हैं, “हां पापा, परनाम.'' 

वैभव के पापा: खुस रहो, खुस रहो. 
वैभव: हो गया मैच ख़तम. देख रहे थे मैच?

वैभव के पापा: हां, सुरू से देख रहे थे. उस सॉट को उठा देता तो वो भी कवर के ऊपर छक्के हो जाता. 
वैभव: लगा नहीं सही से. थोरा स्लो आया था. 

वैभव के पापा: ठीक है अच्छा खेला... खूब अच्छा खेला. 
वैभव: होटल जाकर करते हैं फिर. 

वैभव के पापा: ठीक है..ठीक है.
वैभव: ठीक है, परनाम. 
वैभव के पापा: खुस रहो. 

‘मम्मी हमेशा खुश रहती हैं'

ये अंदाज़, टोन और तरीका कम से कम बिहार के हर घर की कहानी है. वैभव मुस्कुराते हुए बताते हैं, “मतलब, पापा को उतनी खुशी नहीं होती है. मैं 200 भी बनाता तो पापा कहते, 10 रन और बना सकते थे. लेकिन मम्मी को देखकर बहुत खुशी होता है. मैं 100 बनाऊं, 0 बनाऊं. मम्मी हमेशा खुश रहती है. बोलती है, अच्छा करना नेक्स्ट टाइम. बस.”

वैभव कहते हैं कि वो किसी भी मैच में कुछ एक्स्ट्रा ऑर्डीनरी ट्राई नहीं करते. उन्होंने जो कुछ सीखा है, उसे ही दुहराने की कोशिश करते हैं. 14 साल की उम्र में ही वैभव कई शानदार रिकॉर्ड बना चुके हैं और कई दिग्गज अब उन्हें टीम इंडिया की नीली जर्सी पहनते देखना चाहते हैं.

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