भारत के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने अपने करियर में वो सबकुछ हासिल किया जो एक क्रिकेटर अपने देश के लिए खेलने पर हासिल करने के लिए सोचता है. सचिन के रहते भारत ने 2011 में विश्व कप का खिताब भी जीत लिया था. जब 2007 में भारतीय टीम विश्व कप के पहले ही दौर से बाहर हो गई थी तो कहा जा रहा था कि तेंदुलकर का सपना टूट गया है. लेकिन सचिन ने खुद को फिट रखा और 2011 का विश्व कप भी खेले और आखिर में भारतीय टीम 28 साल बाद विश्व कप का खिताब जीतने का कमाल कर दिखाया. विश्व कप के जीतने के साथ ही सचिन का सपना भी पूरा हो गया. साल 2013 में सचिन ने इंटरनेशनल क्रिकेट से अलविदा कह दिया.
लेकिन अब 7 साल के बाद सचिन ने खुलासा किया है कि उनके करियर में कुछ ऐसी बातें अधूरी रह गई है जिसका उन्हें हमेशा मलाल रहेगा. तेंदुलकर ने क्रिकेट डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में कहा कि वह अपने करियर से काफी खुश हैं और साथ ही संतुष्ट हैं लेकिन उन्हें दो बातों का हमेशा ही मलाल रहेगा.
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सचिन ने कहा कि एक यह कि' सुनील गावस्कर के साथ क्रिकेट मैच नहीं खेलना और दूसरा मलाल विवियन रिचर्ड्स के खिलाफ नहीं खेल पाना' उन्हें हमेशा सताता रहेगा. बता दें कि जब सचिन ने डेब्यू किया था तो गावस्कर ने इंटरनेशनल क्रिकेट से कुछ साल पहले ही संन्यास ले लिया था. वैसे, सचिन ने कहा कि काउंटी क्रिकेट में मुझे अपने बचपन के हीरो विवियन रिचर्ड्स के साथ खेलने का मौका मिला लेकिन इंटरनेशनल स्तर पर उनके खिलाफ ऩहीं खेल पाया. यह दोनों बातें मुझे हमेशा सताती रहेगी.
बता दें कि सचिन तेंदुलकर ने 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट खेलकर अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया था. तेंदुलकर इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 शतक जमाने वाले इकलौते बल्लेबाज हैं.
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क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले तेंदुलकर ने 51 शतक टेस्ट में 49 शतक वनडे में जमाए हैं. वेस्टइंडीज के खिलाफ साल 2013 में तेंदुलकर ने मुंबई में अपने करियर का आखिरी टेस्ट मैच खेला था.
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